Edited By Updated: 15 Dec, 2016 03:40 PM
कहते हैं कि अपराध की दुनिया के रंग अलग होते हैं।
फगवाड़ा(जलोटा): कहते हैं कि अपराध की दुनिया के रंग अलग होते हैं। कानून एक न एक दिन शातिर से शातिर अपराधी को अपनी गिरफ्त में ले लेता है, लेकिन शायद यह कहावत अब बीते जमाने की बात हो गई है, क्योंकि वर्तमान में अपराधी पुलिस व जेल प्रशासन पर हावी हैं। जिस प्रोफैशनल ढंग से पंजाब की हाई सिक्योरिटी नाभा जेल से कई खतरनाक सुपारी किलर व गैंगस्टर एक साथ फरार हुए, उसने अपराध की दुनिया के बेताज बादशाहों के हौसले और तकनीक का प्रमाण दे दिया है।बात भले ही चौंकाने वाली लगे, लेकिन हकीकत यह है कि पंजाब की बेहद सुरक्षित स्वीकारी जाती कपूरथला जेल से अब तक पैरोल पर गए 58 कैदी रहस्यमयी हालत में गायब हो चुके हैं। यह आंकड़ा गत 10 वर्षों का है। कपूरथला मॉडर्न जेल से सभी सरकारी व कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद तयशुदा नियमों के अधीन करीब 1000 कैदियों को पैरोल पर रिहा किया गया था। इनमें से करीब 73 कैदियों ने पैरोल के नियमों को तोड़कर जेल में वापसी नहीं की। इसके बाद संबंधित पुलिस थानों को जेल प्रशासन द्वारा दी गई सूचना के बाद 15 कैदियों को विभिन्न स्थानों से पुलिस ने पुन: गिरफ्तार कर जेल भेजा है, लेकिन 58 को पता नहीं जमीन निगल गई या आसमान खा गया।
खतरनाक आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त ज्यादातर कैदी
ज्यादातर कैदी खतरनाक आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं। इस संबंधी जेल प्रशासन का तर्क है कि उक्त कैदियों की पैरोल के पश्चात हुई फरारी को लेकर जेल प्रबंधन ने संबंधित पुलिस थानों को आधिकारिक तौर पर सूचना दे दी है और पुन: गिरफ्तारी की जिम्मेदारी उक्त पुलिस थानों की है। पैरोल जम्प करने वाले इन कैदियों में एक बड़ा नाम हत्या केस में शामिल आरोपी रोमी उप्पल जो एक पुलिस अधिकारी का पुत्र है, का रहा है। उक्त आरोपी विदेशी छात्र यानिक निहिनगाजा हत्याकांड में शामिल रहा है।
पैरोल से भागे कैदियों के लिए जेल प्रशासन जिम्मेदार नहींः विशेषज्ञ
इस संबंधी कानून के विशेषज्ञों का कहना है कि जो कैदी पैरोल के पश्चात फरार हो जाता है, उसके लिए किसी भी स्तर पर जेल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराना तर्कसंगत नहीं है, क्योंकि जेल प्रशासन ने प्रिजनर्स एक्ट 1900 के तहत तयशुदा कानून का पालन करने के बाद ही कैदी को जेल से रिहा किया है। इनकी पुन: गिरफ्तारी की सारी जिम्मेदारी उक्त कैदी के घर के पते के अनुसार पड़ते पुलिस थाने की है। जेल प्रशासन द्वारा ऐसे मामलों में पैरोल के पश्चात फरार संबंधित पुलिस थाने को भेज दिया जाता है। इसी को आधार बनाकर उक्त पुलिस थाना ऑन रिकार्ड आरोपी कैदी के खिलाफ पैरोल जम्प करने के आरोप में बाकायदा पुलिस केस दर्ज करता है गिरफ्तार करने के बाद कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए पुन: जेल प्रशासन के हवाले करता है।