Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jun, 2017 11:16 AM
सरकारी विभागों से रिकवरी करने के प्रति पावर निगम के अधिकारी गंभीर नहीं जिसके चलते सरकारी विभागों पर पावर निगम का बिजली बिलों का करोड़ों रुपया बकाया है, नार्थ जोन जालंधर के अंतर्गत आते सरकारी दफ्तरों से विभाग ने 96 करोड़ से अधिक की रिकवरी करनी है।
जालंधर (पुनीत): सरकारी विभागों से रिकवरी करने के प्रति पावर निगम के अधिकारी गंभीर नहीं जिसके चलते सरकारी विभागों पर पावर निगम का बिजली बिलों का करोड़ों रुपया बकाया है, नार्थ जोन जालंधर के अंतर्गत आते सरकारी दफ्तरों से विभाग ने 96 करोड़ से अधिक की रिकवरी करनी है।
पावर निगम के पंजाब में बार्डर, सैंट्रल, साऊथ, वैस्ट व नार्थ जोन को मिलाकर कुल 5 जोन हैं जिनमें जालंधर का शक्ति सदन नार्थ जोन का हैड आफिस है, इस जोन के अंतर्गत जिला जालंधर, कपूरथला, होशियारपुर, नवांशहर का इलाका आता है। इस जोन की मार्च के बाद बनी पिछली तिमाही डिफाल्टिंग रिकवरी लिस्ट के मुताबिक सरकारी विभागों से 96.51 करोड़ 52 हजार की राशि वसूल करनी है।
इसमें सबसे अधिक बकाया राशि पब्लिक हैल्थ विभाग की है जो 80.57 करोड़ 32 हजार रुपए है जबकि पंजाब पुलिस 49.66 लाख की देनदार है। इसी तरह इस जोन के अंतर्गत आती तहसीलों पर 1.5 लाख 74 हजार की देनदारी है व लोकल बाडी के म्यूनिसिपल कार्पोरेशनों ने 2.41 करोड़ 48 हजार रुपए देने हैं, सरकारी अस्पतालों की बात की जाए तो उन पर 3.4 करोड़ 56 हजार बकाया हैं।
प्राइवेट कनैक्शन काटने में रहती है रुचि
सरकारी विभागों पर पावर निगम द्वारा आमतौर पर कार्रवाई नहीं की जाती जबकि आम उपभोक्ता द्वारा बिल जमा न करवाया गया हो तो उसे काटने के प्रति विभाग खासी रुचि दिखाता है। बताया जाता है कि यदि इंडस्ट्री के किसी कनैक्शन की डिफाल्टिंग अमाऊंट तो वहां जाना कर्मचारियों के साफ्ट टारगेट पर होता है क्योंकि इंडस्ट्री का कनैक्शन काटने के स्थान पर उसे कुछ दिनों की मोहलत देने के बदले अच्छी-खासी राशि वसूल की जाती है। वहीं दुकानों, शोरूमों के कनैक्शनों के प्रति भी विभागीय अधिकारियों की पैनी नजर रहती है जबकि इसके विपरीत घरेलू उपभोक्ता के प्रति विभागीय कर्मचारियों का रवैया नर्म रहता है।
प्रतिमाह हो रहा लाखों का नुक्सान
सरकारी विभागों द्वारा समय पर बिल जमा न करवाने से विभाग को बड़े स्तर पर नुक्सान उठाना पड़ रहा है, यदि प्रत्येक सरकारी विभाग द्वारा समय पर बिल इत्यादि जमा करवाया जाए तो विभाग को इसके लिए प्रतिमाह लाखों का ब्याज प्राप्त होगा जिससे विभाग की वित्तीय हालत में और सुधार आएगा क्योंकि किसी भी विभाग के आगे बढऩे के लिए उसकी वित्तीय हालत का ठीक होना बेहद आवश्यक है। पावर निगम से जुड़े सूत्र बताते हैं कि कई सरकारी विभाग बिल जमा करवाने के प्रति सजग नहीं हैं जिसके चलते विभाग को यह नुक्सान उठाना पड़ता है।
21 दिनों बाद काटा जाता है टैंपरेरी कनैक्शन
विभागीय नियमों के मुताबिक बिल काटे जाने के 21 दिनों के भीतर यदि उपभोक्ता द्वारा बिल जमा नहीं करवाया जाता तो पावर निगम के पास टैंपरेरी तौर पर कनैक्शन काटने का प्रावधान है। अस्थाई तौर से कनैक्शन काटने के 1 माह के भीतर बिल जमा न होने के बाद पक्के तौर पर कनैक्शन काटा जा सकता है। विभाग द्वारा अस्थाई तौर पर इसलिए कनैक्शन काटा जाता है क्योंकि कई बार उपभोक्ता छुट्टी पर विदेश गया हो सकता है जो वापस लौटने पर बिल जमा करवा कर अपनी बिजली सप्लाई चालू करवा सकता है।