Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jul, 2017 04:45 PM
गरीबी से कोई इतना लाचार हो जाए कि अपने जिगर के टुकड़े का शव लेने से मना कर दे एेसा अापने कभी सुना नहीं होगा।
फिल्लौरः गरीबी से कोई इतना लाचार हो जाए कि अपने जिगर के टुकड़े का शव लेने से मना कर दे एेसा अापने कभी सुना नहीं होगा। दिल को झकझोर कर रख देने वाला यह वाक्या फिल्लौर में सामने आया है। यहां ट्रेन से गिरकर मौत का शिकार हुए पश्चिम बंगाल के युवक के परिवार वालों ने इस वजह से उसका शव लेने से इस कारण इनकार कर दिया कि उनके पास शव ले जाने के लिए पैसे नहीं है।
फिल्लौर जी.आर.पी. चौकी इंचार्ज मोहिंदर पाल सिंह ने बताया कि दो दिन पहले रेलवे पटरी पर एक युवक के गिरने की सूचना मिली थी। पुलिस के पहुंचने से पहले युवक ने दम तोड़ दिया था। जेब की तलाशी लेने पर मिले आधार कार्ड से उसकी पहचान पश्चिम बंगाल के माजिद गांव निवासी जहांगीर आलम (29) के रूप में हुई।
उन्होंने बताया कि काफी मशक्कत के बाद पुलिस पश्चिम बंगाल में जहांगीर के गांव के स्थानीय थाने तक पहुंची। भाषाई परेशानी के बावजूद पुलिस पश्चिम बंगाल पुलिस के सहयोग से जब जहांगीर के घर पहुंची तो हालात देखकर दंग रह गई।
परिवार बेहद मुश्किल हालात से गुजर रहा था। जहांगीर की मौत की खबर से परिवार को दुख हुआ लेकिन उनके आर्थिक हालात के दुख के सामने बेटे की मौत का दुख भी छोटा दिखाई दे रहा था। बकौल मोहिंदर जैसे ही पंजाब पुलिस ने कहा कि बेटे के अंतिम संस्कार या शव लेने के लिए उन्हें पंजाब जाना होगा, तो घरवालों ने हाथ जोड़ते हुए शव लेने से इनकार कर दिया।
उनका कहना था कि उन्हें निवालों के लाले हैैं, वे इतनी दूर कहां जा पाएंगे। पुलिस ने मिन्नतें भी कीं, लेकिन परिवार राजी नहीं हुआ। पंजाब पुलिस ने उन्हें आने-जाने का खर्च देने की बात भी कही, लेकिन आने को कोई राजी नहीं हुआ।
मोहिंदर के मुताबिक, उनकी नजर में ये पहला ऐसा मामला है जब शव की पहचान के बाद भी उसका अंतिम संस्कार अज्ञात शवों की तरह ही किया जाएगा। फिलहाल जहांगीर आलम के शव को सिविल अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया है। अंतिम संस्कार के लिए समाज सेवी और मुस्लिम संगठनों से कहा गया है। हालांकि अभी तक किसी ने इसके लिए हामी नहीं भरी है।