मरणोपरांत गैलंटरी मैडल से सम्मानित शहीद के परिवार को रोजगार की तलाश

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 May, 2017 02:32 PM

posthumous looking for job of martyr  s family honored with gallantry medal

अजनाला क्षेत्र के गांव हेलर में देश का एक ऐसा परिवार रह रहा है, जिसमें एक भाई ने मरणोपरांत तथा दूसरे ने जीवित रहते बहादुरी के खिताब हासिल किए हैं।  कितने हैरत की बात है कि शहीद हुए एक सैनिक भाई का परिवार आज रोजगार के लिए भटक रहा है।

अमृतसर(महेन्द्र,ब्यूरो): अजनाला क्षेत्र के गांव हेलर में देश का एक ऐसा परिवार रह रहा है, जिसमें एक भाई ने मरणोपरांत तथा दूसरे ने जीवित रहते बहादुरी के खिताब हासिल किए हैं।  कितने हैरत की बात है कि शहीद हुए एक सैनिक भाई का परिवार आज रोजगार के लिए भटक रहा है। किसी ने भी उन्हें रोजगार के तौर पर सम्मान देने की जहमत नहीं उठाई। इस बात का खुलासा उस समय हुआ, जब सांसद गुरजीत सिंह औजला शहीद सैनिक के घर पहुंचे। सांसद ने शहीद सैनिक के परिवार को पूरा यकीन दिलाया कि उनके पारिवारिक सदस्यों को सरकारी नौकरी दिलवाने के लिए वह मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के समक्ष मामला रखेंगे हालांकि इस संबंध में मामला तो उन्होंने तुरंत डिप्टी कमिश्रर को भी रैफर कर दिया। 

शहीद सैनिक को मरणोपरांत मिला था गैलंटरी मैडल

 सांसद औजला ने बताया कि गांव हेलर के इस परिवार के 2 सदस्य सेना में भर्ती हुए थे। बड़ा भाई गुरदेव सिंह पंजाब रैजीमैंट की 24वीं बटालियन में तथा छोटा भाई लखविन्द्र सिंह सी.आर. पी.एफ. की 31वीं बटालियन में तैनात था। छत्तीसगढ़ में सी. आर. पी.एफ. की इस बटालियन ने नक्सलवादियों के खिलाफ बड़ा आप्रेशन किया था।  इसके पश्चात नक्सलवादियों ने वर्ष 2008 में सी.आर.पी.एफ. की उस बटालियन पर बड़ा हमला करके कई सैनिकों को शहीद कर दिया था। इस हमले के दौरान लखविन्द्र ने बहादुरी दिखाते हुए शहादत हासिल की। वह  अपने पीछे पत्नी तथा दो बच्चे छोड़ गया। शहीद सैनिक लखविन्द्र सिंह को शहादत के 3 वर्ष बाद वर्ष 2011 में राष्ट्रपति ने पुलिस गैलंटरी मैडल से सम्मानित किया था। 

गुरदेव को 2004 में मिला था राष्ट्रपति से सेना मैडल
औजला ने बताया कि पंजाब रैजीमैंट की 24 बटालियन में तैनात रहे गुरदेव सिंह 2004 को उड़ी सैक्टर में आतंकवादियों का सफाया करने के लिए किए गए आप्रेशन के दौरान पूरी बहादुरी से लड़े थे। उनके द्वारा दिखाई गई बहादुरी पर उन्हें वर्ष 2004 में राष्ट्रपति द्वारा सेना मैडल से सम्मानित भी किया गया था। 

विधायक ने किया मजाक!
गुरदेव सिंह ने बताया कि लखविन्द्र सिंह के शहीद होने के पश्चात उन्होंने क्षेत्र के विधायक से अनुरोध किया था कि उन्हें पंजाब सरकार के किसी विभाग में सरकारी नौकरी दिलवा दी जाए। इस पर विधायक द्वारा आश्वासन दिए जाने पर उन्होंने सेना से 2013 में त्याग पत्र दे दिया था लेकिन बाद में विधायक ने उन्हें नजरअंदाज किया। ऐसा करके विधायक ने उनके साथ एक तरह का मजाक ही किया था। आखिर बाद में उन्हें वर्ष 2014 में डिफैंस सिक्योरिटी कोर्पस ज्वाइन करना पड़ा था। 

मामला मुख्यमंत्री के पास ले जाया जाएगा : औजला
सांसद औजला से गुरदेव सिंह ने कहा कि वह चाहते हैं कि उनके शहीद हुए छोटे भाई लखविन्द्र सिंह के बच्चों को ही कोई सरकारी नौकरी मिल जाए ताकि एक शहीद सैनिक का परिवार अपना सही तरीके से गुजारा कर सके। इस पर औजला ने शहीद सैनिक के परिवार को यकीन दिलाते हुए सारा मामला मुख्यमंत्री के पास ले जाने की बात कही। 

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