कैसे मिलेगा 11 मृतक श्रमिकों को इंसाफ, 21 महीने का बाद भी पुलिस खाली हाथ

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Sep, 2017 02:59 PM

police empty hands even after 21 months

गांव अंबेमाजरा स्थित रुद्रा अलायज प्रा. लि. की भट्ठी में 21 नवम्बर 2015 को दोपहर करीब 2.15 बजे हुए जोरदार धमाके के कारण मारे........

मंडी गोबिंदगढ़ (मग्गो): गांव अंबेमाजरा स्थित रुद्रा अलायज प्रा. लि. की भट्ठी में 21 नवम्बर 2015 को दोपहर करीब 2.15 बजे हुए जोरदार धमाके के कारण मारे गए करीब 11 प्रवासी श्रमिकों व घायल हुए करीब 8 श्रमिकों को अभी तक पूरा इंसाफ नहीं मिल पाया है जबकि इस मामले में एक आरोपी की तो मृत्यु भी हो चुकी है।

क्या है मामला
लोहा नगरी मंडी गोबिंदगढ़ के गांव अंबेमाजरा में स्थित रुद्रा अलायज प्रा. लि. की भट्ठी में 21 नवम्बर 2015 को दोपहर करीब 2.15 बजे एक जोरदार धमाका हो गया था जिस कारण फर्नेस में करीब 19 श्रमिक बुरी तरह से झुलस गए थे। उन्हें उपचार के लिए इलाके के विभिन्न निजी अस्पतालों में भर्ती करवाया गया था। जहां से गंभीर रूप में झुलसे श्रमिकों को सी.एम.सी. लुधियाना तथा अन्य अस्पतालों में रैफर कर दिया गया था।

इलाज दौरान करीब एक सप्ताह में ही फग्गू लाल पुत्र आरती, रोशन कुमार पुत्र जवाहर महतो, सदानंद पुत्र परमानंद, प्रमोद कुमार पुत्र कपूरी मंडल, जुगनू पुत्र शिवानंद, मनोहर पुत्र खुशी राम, लालू राय पुत्र जय किशन राय, देव सिंह पुत्र फागू सिंह, अशोक कुमार पुत्र अनूप लाल, दलीप महतो पुत्र कपिल देव महतो तथा अशोक कुमार ने दम तोड़ दिया था जबकि पवन कुमार पुत्र सुकेश राय, मंजीत कुमार पुत्र अशर्फी राय, सर्बजीत सिंह पुत्र चंदीपार, प्रमोद शाह पुत्र माधो महतो, मुकेश कुमार यादव पुत्र द्वारका यादव, निजरुल इस्लाम पुत्र अनवर अली तथा राजेश राय पुत्र देव उप्पल राय आदि झुलस गए थे।

क्या की सरकार ने कार्रवाई
इस मामले में तत्कालीन प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कड़ा संज्ञान लेते हुए इस मामले की गहराई से जांच करने के लिए जिला फतेहगढ़ साहिब के डिप्टी कमिश्रर, जिला पुलिस प्रमुख, पंजाब प्रवासी भलाई बोर्ड के चेयरमैन आर.सी. यादव तथा मैंबर प्रवासी भलाई बोर्ड जत्थेदार कौशल मिश्रा की विशेष तौर पर ड्यूटी लगाई थी ताकि इस मामले में आरोपी हर व्यक्ति को उसके किए की सजा जल्द से जल्द दिलाई जा सके।

इसके चलते मुख्यमंत्री के आदेश पर चेयरमैन आर.सी. यादव ने सभी मृतक श्रमिकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपए की सहायता राशि देने का ऐलान किया था जोकि अभी तक सभी को मिल चुकी है जबकि किसी भी घायल को न तो सरकार ने तथा न ही किसी अन्य ने कोई मुआवजा दिलाया। 

क्या की पुलिस ने कार्रवाई
इस हादसे में करीब 11 लोगों के मारे जाने तथा करीब 8 श्रमिकों के गंभीर व मामूली घायल होने के बावजूद पुलिस ने मात्र 337, 338 तथा 304ए के अधीन मुकद्दमा नंबर 251 केवल 2 आरोपियों के विरुद्ध दर्ज किया था जिनमें से एक की मृत्यु हो चुकी है। 

क्या कहते हैं सहायक थानेदार
इस मामले संबंधी जब पुलिस स्टेशन मंडी गोङ्क्षबदगढ़ के सहायक थानेदार नरेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस मामले में सभी श्रमिकों से फर्नेस मालिकों का समझौता हो गया था। जिस कारण मालिकों ने इस संबंधी एक पत्र जिला पुलिस प्रमुख को दिया था। इस मुकद्दमे को खारिज करने के लिए प्रक्रिया आरम्भ कर दी गई है। इसकी अब जांच एस.पी. जांच के पास पैंङ्क्षडग है तथा वहां से रिपोर्ट आने के बाद ही इस मुकद्दमे को कैंसल करने के लिए आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

उल्लेखनीय है कि लोहा नगरी के इतिहास में हुई इस भयानक घटना में दर्ज किए गए मुकद्दमे को भी समझौते की भेंट चढ़ाया जा रहा है जबकि इस मामले में आज तक की सबसे बड़ी संख्या में श्रमिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। कई अन्य आज भी घायलावस्था में अपना नर्क भरा जीवन जीने को मजबूर हैं। क्या नई सरकार इस मामले में कोई ठोस कदम उठाने का प्रयास करेगी ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगाने की कोशिश हो सके। 

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