गुरदासपुर जेल कांडः 13 घंटे बाद आर्मी का आप्रेशन शुरू

Edited By Updated: 25 Mar, 2017 09:08 AM

police and prisoners clash in gurdaspur jail

सुबह 11.35 बजे गुरदासपुर जेल में कैदियों और पुलिस के बीच शुरू हुई झड़प रात लगभग 1 बजे के बाद भी जारी रही। हालांकि पुलिस ने

गुरदासपुर (विनोद, दीपक) : सुबह 11.35 बजे गुरदासपुर जेल में कैदियों और पुलिस के बीच शुरू हुई झड़प रात लगभग 1 बजे के बाद भी जारी रही। हालांकि पुलिस ने कैदियों की जायज मांगें मानने की बात कही भी लेकिन कैदी नहीं माने। शाम को कैदियों ने दूसरी बार जेल में आग लगा दी। साथ ही जेल में पानी की पाइपें उखाड़ कर पुलिस पर हमले करने लगा। जवाब में पुलिस ने हवाई फायरिंग की। कैदी किसी बड़ी घटना को अंजाम न दे सके इसलिए घटना के 13 घंटे बाद आर्मी ने भी मोर्चा संभाल लिया था। शुक्रवार को जेल में हुई इस वारदात ने जेल प्रशासन के प्रबंधों की भी पोल खोल कर रख दी कि जेल में सब ठीक नहीं है। जेल में जैमर लगे होने के बावजूद कैदी व हवालाती जेल के अंदर से मोबाइल का प्रयोग करते हैं। 

मीडिया से हुर्इ सीधे बात
इस बात का एक पुखता सबूत जेल से गैंगस्टर जगतार सिंह जग्गा छापियांवाली की तरफ से मीडिया को मोबाइल से फोन करना है। अगर जेल में कैदी व हवालाती मोबाइल का प्रयोग करते हैं तो यह कहना गलत न होगा कि जेल में कैदियों व हवालातियों को नशीले पदार्थ भी आसानी से उपलब्ध होते होंगे। जेल में 2016 से धारा 307, 427, 137, 148 तथा 25-54-59 शस्त्र एक्ट के तहत बंद जगतार सिंह उर्फ जग्गा पुत्र रूपिन्द्र सिंह निवासी छापेवाली पुलिस स्टेशन ब्यास ने मोबाइल नं. 86990-61056 से पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि जेल में कैदियों के बीच लड़ाई नहीं हुई जैसा कि कुछ चैनलों द्वारा प्रसार किया जा रहा है। हमारी लड़ाई जेल अधिकारियों के साथ हुई है। हम पुलिस के तशदद के खिलाफ लड़ रहे हैं। जेल सुपरिंटैंडैंट की शह पर जेल वार्डन बिना कारण हमसे मारपीट करते हैं तथा हमारी मांग है कि जेल सुपरिंटैंडैंट को बदला जाए। 

उच्चाधिकारियों के कारण घटी घटना: वार्डन
कैदियों के हमले के शिकार वार्डन महेश पाल तथा महिन्द्र मसीह का कहना है कि जेल में पुलिस कर्मचारियों की संख्या बहुत कम है। यदि हम अपने अधिकारियों की नहीं मानते तो हमें अधिकारियों के गुस्से का सामना करना पड़ता है। यदि हम कैदियों पर सख्ती करते हैं तो कैदी उन पर गुस्सा उतारते हैं। महेश पाल तथा महिन्द्र मसीह के अनुसार जेल में बंद खतरनाक कैदियों को जेल से शिफ्ट करने तथा जेल की सुरक्षा बढ़ाने संबंधी कई बार उच्चाधिकारियों को लिखा गया है। 

सबसे बड़ी चिंता जेल में 3 बच्चें की
इस जेल की क्षमता 750 कैदियों को रखने की है जबकि इस जेल में इस समय 1300 से अधिक कैदी व हवालाती बंद हैं जिन पर काबू पाने के लिए जेल सुपरिंटैंडैंट सहित 102 कर्मचारी  ही तैनात हैं। कैदियों और हवालातियों को काबू करने के लिए 3 जिलों सहित पूरी बटाला जिला पुलिस को लगाया गया। जेल में कैदी महिलाओं के साथ 3 बच्चे भी हैं। जिनको बचाने की कोशिश में पुलिस लगी हुई है।

कैदियों की मांग थी बिना कारण तशदद बंद हो : जिला पुलिस अधीक्षक
देर शाम जेल से बाहर आए जिला पुलिस अधीक्षक भूपिन्द्र जीत सिंह विर्क ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि प्रथम चरण में कैदियों व हवालातियों की कुछ जायज मांगों को स्वीकार कर लिया गया है। बंदियों ने कहा है कि उन पर बिना कारण तशद किया जाता है जो बंद होना चाहिए, उन्हें बैरकों में बंद करने का समय निश्चित हो तथा जेल में घूमने की इजाजत हो, जेल में हैल्थ क्लब स्थापित किया जाए। इन मांगों को तो स्वीकार कर लिया गया है जबकि बाकी मांगों पर उच्च स्तर पर विचार होगा। विर्क ने कहा कि पूर्व सरकार ने निर्णय लिया था कि बंदियों को उनके जिलों की जेलों में ही रखा जाए ताकि उनके परिवार वाले उन्हें आसानी से मिल सकें। इस समय गुरदासपुर जेल में बड़ी संख्या मे गैंगस्टर बंद हैं। अब सरकार बदल गई है तथा इन गैंगस्टरोंं को हाई सिक्योरिटी जेलों में भेजा जाएगा परंतु इस संबंधी निर्णय उच्च स्तर पर लिया जाएगा।

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