Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Sep, 2017 08:50 AM
केंद्र की मोदी सरकार की रोजाना रेट बदलने की नीति के करीब 3 महीनों में ही पैट्रोल-डीजल को मानों आग लग गई है।
जालंधर (चोपड़ा): केंद्र की मोदी सरकार की रोजाना रेट बदलने की नीति के करीब 3 महीनों में ही पैट्रोल-डीजल को मानों आग लग गई है। केंद्र सरकार ने इसी वर्ष 16 जून को नई नीति लागू कर पैट्रोल-डीजल पर सरकारी नियंत्रण हटाकर दाम फिक्स करने का अधिकार कंपनियों को दे दिया, जिसके उपरांत पैट्रोल-डीजल को मानो आग लग गई और इनके रेट रोजाना लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। केंद्र सरकार की नई व्यवस्था से उपभोक्ताओं को कोई राहत नहीं मिली अलबत्ता उनकी जेब पर ज्यादा बोझ बढऩे से उनमें भारी मायूसी पाई जा रही है। वहीं महंगाई में भी इजाफा होने से जनता की मुश्किलें बढ़ेंगी। 1 जुलाई 2017 को जो पैट्रोल 67.97 रुपए लीटर था, आज 75.38 रुपए लीटर तक आ पहुंचा है।
इसी प्रकार 1 जुलाई को डीजल का भाव 53.57 रुपए लीटर था, जबकि आज डीजल का भाव 58.78 रुपए तक आ पहुंचा है अर्थात 1 जुलाई से अब तक अढ़ाई महीनों के कम समय में पैट्रोल 7.34 रुपए और डीजल 5.17 रुपए महंगा हो गया है। 16 जून को कम्पनियों के हाथों में अधिकार आने के उपरांत पहले 15 दिनों में पैट्रोल डीजल के दाम घटाए गए थे, जिससे उपभोक्ताओं को एक बार लगा कि मोदी सरकार के फैसले से जनता को फायदा मिलेगा। परंतु 15 दिनों में उक्त खुशी रफू-चक्कर हो गई और लोगों में भारी निराशा का आलम देखने को मिल रहा है।
16 जून से कंपनी ने जब दाम कम करने शुरू किए तो 1 जुलाई को पैट्रोल 64.97 रुपए और डीजल 53.57 रुपए तक पहुंच गया था परंतु इसके उपरांत बाजार में आए चढ़ाव ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। अब निजी कंपनियों की मनमानियों का खास असर व लोगों में रोष इसलिए देखने को नहीं मिलता क्योंकि कंपनियां रोजाना रेट फिक्स करने के दौरान अगर दाम कम करने हों तो केवल 5 से 10 पैसेकम करती हैं जबकि बढ़ाते समय 30 से 40 पैसों तक का अंतर डाला जाता है। जिस कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल व डालर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने का सारा बोझ उसी समय जनता के सर मढ़ दिया जा रहा है। कंपनियों को अधिकार सौंपने से पहले रेट फिक्स करने का कंट्रोल केंद्र सरकार के हाथों में होता था और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आए उतार-चढ़ाव का सारा बोझ जनता के सर नहीं डाला जाता था।
एस.एम.एस. से नहीं मिल रही जनता को रोजाना उतार-चढ़ाव की जानकारी
कंपनियों को अधिकार सौंपने से पहले केंद्र सरकार ने दावा किया था कि उपभोक्ताओं को एस.एम.एस. के जरिए रोजाना होने वाले उतार-चढ़ाव की जानकारी मुहैया होगी ताकि उन्हें पैट्रोल-डीजल के मौजूदा रेट रोजाना पता लगते रहें। लेकिन सरकार ने अपने दावे को न तो अमली जामा पहनाया और न ही जनता को इस बारे में जागरूक करने का कोई प्रयास किया। वैसे कंपनियों ने इस संबंध में मोबाइल एप लांच की है परंतु इस एप के बारे में किसी को पता नहीं है। वहीं कई पैट्रोल पंप भी उपभोक्ताओं को इस बारे में जानकारी देने से गुरेज कर रहे हैं। इन पंपों में पैट्रोल-डीजल के मौजूदा दामों की जानकारी मुहैया करवाने के लिए डिस्पले बोर्ड खराब पड़े हुए हैं।
रोजाना सुबह 6 बजे बदलते हैं पैट्रोल-डीजल के दाम
केंद्र सरकार की नई नीति के उपरांत प्रतिदिन सुबह 6 बजे दामों में बदलाव किया जाता है, जिसको लेकर पैट्रोल पंपों को कंपनी से ऑनलाइन जोड़ा गया है। कंपनी की तरफ से निर्धारित किए दाम पंपों पर सुबह 6 बजे अपडेट हो जाते हैं, जिसके उपरांत पंपों पर उपभोक्ताओं के लिए नए बिक्री रेट लागू कर दिए जाते हैं।
विपक्षी राजनीतिक दलों ने भी मुद्दे पर साधी चुप्पी
इससे पूर्व जब भी केंद्र की कोई सरकार दाम बढ़ाती थी बाकि सभी राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे को भुनाने के लिए सरकार के विरोध में देशभर में जमकर प्रदर्शन करती थी परंतु अब धीरे-धीरे हो रहे बदलावों के कारण कोई भी राजनीतिक पार्टी केंद्र सरकार के फैसले का विरोध नहीं कर पाई है, जिस कारण जनता के साथ हो रही मनमानियों व उनके हितों की आवाज अब कोई नहीं उठा रहा है।
पैट्रोल पंपों का अकाऊंट नहीं हो पा रहा मेनटेन : मोंटी सहगल
पैट्रोल पंप डीलर्स एसो. पंजाब के प्रवक्ता गुरमीत मोंटी सहगल ने कहा कि केंद्र सरकार की जिद थी कि पैट्रोल-डीजल के डेली प्राइजिज फिक्स करने का अधिकार सरकारी नियंत्रण से हटाकर कंपनियों को दे दिया जाए परंतु अब इस बदलाव के दुष्प्रभाव सामने आने लगे हंै। एक तरफ जहां दामों में लगातार वृद्धि दर्ज हुई है वहीं पैट्रोल पंप मालिकों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मोंटी ने कहा कि रोजाना नए रेट व नए वैट के कारण पंपों के अकाऊंट मेनटेन नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल व डालर के मुकाबले रुपए की स्थिति भी पैट्रो पदार्थों के रेट्स को फिक्स करती है।
कंपनियों को लाभ पहुंचाने की आड़ में जनता पर डाला बोझ : नीरज मित्तल
कांग्रेसी नेता नीरज मित्तल ने कहा कि रोजाना पैट्रोल डीजल के दाम कम-ज्यादा होने से पिछले अढ़ाई महीनों में पैट्रोल 10 रुपयों से ज्यादा महंगा हो गया इसका पता ही नहीं चला। इससे पूर्व जब सरकार रेट फिक्स करती थी तो उपभोक्ताओं को समूची जानकारी रहती थी। परंतु मोदी सरकार ने जिली कंपनियों को लाभ पहुंचाने की आड़ में आम जनता पर सारा बोझ डाल दिया है। मित्तल ने कहा कि सरकार को इस फैसले की विफलताओं को देखते हुए रेट फिक्स करने का अधिकार पुन: सरकारी नियंत्रण में लेना चाहिए।
दाम बढऩे से महंगाई में होगी बढ़ौतरी : अनूप गौतम
कारोबारी अनूप गौतम ने बताया कि पैट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों की वजह से महंगाई में बढ़ौतरी होगी। उन्होंने कहा कि रोजाना बढ़ रहे रेटों के कारण अभी बढ़ती हुई महंगाई महसूस नहीं हो रही है। परंतु ट्रांसपोर्टेशन महंगी हो जाने के कारण कोई भी ऐसी चीज अछूती नहीं रहेगी जिसके दाम न बढ़े हों। अनूप ने कहा कि इससे जहां व्यापार-इंडस्ट्री को नुक्सान होगा वहीं आम जनसाधारण का मासिक बजट भी बुरी तरह से बिगड़ जाएगा।
पिछले 3 महीनों में पैट्रोल-डीजल के रेटों पर एक नजर
तिथि पैट्रोल (रुपए प्रति लीटर) डीजल (रुपए प्रति लीटर)
1 जुलाई 67.97 53.57
14 जुलाई 68.79 54.88
30 जुलाई 69.94 55.52
16 अगस्त 73.17 57.53
31 अगस्त 74.21 57.23
12 सितम्बर 75.38 58.78