231 पटवारियों के पास है 500 निजी कारिन्दों की फौज

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Nov, 2017 12:01 PM

patwari jalandhar

किसी भी जिले की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले रैवेन्यू रिकार्ड की बागडोर निजी कारिन्दों के हाथों में आ चुकी है, हालांकि नियमानुसार रैवेन्यू रिकार्ड की देख-रेख की सारी जिम्मेदारी केवल पटवारी की ही होती है। मौजूदा समय में अधिकतर पटवारियों द्वारा अपना...

जालंधर(अमित): किसी भी जिले की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले रैवेन्यू रिकार्ड की बागडोर निजी कारिन्दों के हाथों में आ चुकी है, हालांकि नियमानुसार रैवेन्यू रिकार्ड की देख-रेख की सारी जिम्मेदारी केवल पटवारी की ही होती है। मौजूदा समय में अधिकतर पटवारियों द्वारा अपना काम निपटाने के लिए निजी कारिन्दों का सहारा लिया जा रहा है। निजी कारिन्दे ही सरकारी कार्यालयों में बैठकर पटवारी की भूमिका अदा कर रहे हैं। अगर जालंधर जिले की बात करें तो मौजूदा समय में पटवारियों की कुल 401 सैंक्शनंड पोस्टें हैं जिनमें से 170 पोस्टें खाली पड़ी हैं। इस समय 231 पटवारी 401 सर्कलों का काम देख रहे हैं, जबकि उनके पास काम करने वाले निजी कारिन्दों की संख्या 500 के आसपास है। एक पटवारी के पास 2 से 3 सर्कलों का काम है, जिसे चलाने के लिए उन्होंने अपने पास निजी कारिन्दों की इतनी बड़ी फौज भर्ती की हुई है। हालांकि प्रदेश सरकार द्वारा नए पटवारियों की भर्ती प्रक्रिया आरंभ की जा चुकी है, मगर ट्रेनिंग ले रहे नए पटवारियों को अपनी ड्यूटी संभालने में अभी काफी समय लगेगा। जिले में कुल 140 पटवारी नए भर्ती हुए थे, जिनमें से 125 के आसपास ने ट्रेनिंग ज्वाइन की थी, जिनमें से काफी अन्य जिलों में चले गए। अब लगभग 50-60 पटवारी ही ट्रेङ्क्षनग ले रहे हैं। इनमें से भी कितने फील्ड में काम करने के लिए उपलब्ध होंगे, इसको लेकर कुछ भी कहना संभव नहीं है।

सरकारी रिकार्ड के साथ सरेआम करते हैं छेडख़ानी
सुबह से लेकर शाम तक पटवारखाने और पटवारियों के निजी कार्यालयों में उनके द्वारा रखे गए निजी कारिन्दे सरेआम सरकारी रिकार्ड के साथ छेडख़ानी करते हैं, हालांकि कानूनन सरकारी रिकार्ड में पटवारी के अलावा कोई अन्य न तो एंट्री डाल सकता है और न ही उसमें कोई बदलाव कर सकता है, मगर मौजूदा समय जमाबंदियों, इंतकाल और फर्द जारी करने जैसे हर काम निजी कारिन्दों द्वारा ही किए जा रहे हैं। 

अधिकारियों से साइन करवाने भी जाते हैं निजी कारिन्दे
बहुत से निजी कारिन्दे रूटीन में जमाबंदियों, इंतकाल आदि के काम को लेकर अधिकारियों के पास साइन करवाने जाते हैं। कई बार तो पटवारी उनके साथ होते हैं, परन्तु कई बार वे अकेले ही जाते हैं। सब कुछ भली भांति जानते हुए भी अधिकारी निजी कारिन्दों द्वारा लाए गए सरकारी दस्तावेजों पर साइन कर देते हैं। 

पटवारियों की जगह भी साइन कर रहे कई निजी कारिन्दे
ऐसा भी देखने में आया है कि जब पटवारी किसी काम के सिलसिले में बाहर गए होते हैं तो उनकी गैर-मौजूदगी में फर्द जैसे रूटीन दस्तावेज पर कई निजी कारिन्दे पटवारी की जगह साइन करके जनता को दे देते हैं, जो कि बिल्कुल गलत और गैर-कानूनी है।

8 से 12 हजार सैलरी पर रखे हैं निजी कारिन्दे
पटवारियों के पास गैर-कानूनी ढंग से काम करने वाले निजी कारिन्दे मुफ्त में अपनी सेवाएं प्रदान नहीं कर रहे हैं, बल्कि पटवारियों ने 8 से 12 हजार रुपए प्रति माह की सैलरी पर निजी कारिंदे रखे हुए हैं। जिले में लगभग हर पटवारी के पास 2 से 3 निजी कारिन्दे काम कर रहे हैं।  

विजीलैंस विभाग के राडार पर हैं पटवारी
पिछले लम्बे समय से प्रदेश के पटवारी विजीलैंस विभाग के राडार पर चल रहे हैं, क्योंकि बहुत से पटवारी अपनी काली कमाई के बलबूते पर करोड़पति बन चुके हैं जिनके पास लाखों-करोड़ों रुपए की बेनामी सम्पत्ति है, जो उन्होंने हर प्रकार का गलत काम करके अर्जित की है।

विजीलैंस ब्यूरो ने सरकार को किया है आगाह
कुछ समय पहले ही विजीलैंस ब्यूरो, पंजाब ने एक पत्र लिखकर सरकार को इस बात से आगाह किया था कि कैसे पटवारियों ने अपने पास निजी कारिन्दे तैनात किए हुए हैं, जिनके द्वारा न केवल भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है, बल्कि सरकारी खजाने को भी चूना लगाया जा रहा है। तहसीलों में जमकर रिश्वतखोरी चल रही है, जिसके लिए पूरी तरह से पटवारी और उनके पास रखे गए निजी कारिन्दे जिम्मेदार हैं। 

तहसील में मचा हड़कम्प 
सरकार के आदेश से तहसील में हड़कम्प मच गया है। पटवारी भी परेशान हैं क्योंकि उनके पास पिछले कई सालों से काम करने वाले निजी कारिन्दे उनके लिए इतने जरूरी बन चुके हैं कि अगर उन्हें निकाला जाता है तो एक दिन भी काम चलाना उनके बस में नहीं होगा, इसलिए पटवारी इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि सरकार के आदेश की पालना कैसे सुनिश्चित की जाए। कुछ पटवारियों ने तो अपने निजी कारिन्दों को कुछ दिन के लिए अंडरग्राऊंड होने का आदेश दे दिया है, जबकि कुछ का यह तर्क है कि उनके पास पहले ही काम का इतना बोझ है कि वह अकेले इसे पूरा नहीं कर सकते, ऐसे में निजी कारिन्दों को निकालकर वह सरकार का काम कैसे पूरा कर सकेंगे।

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