Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Aug, 2017 10:58 AM
मोगा शहर में गंदे पानी की निकासी का मामला लंबे समय से गंभीर ङ्क्षचता का विषय बना हुआ है। बरसाती दिनों दौरान तो यह समस्या और भी बढ़ जाती है। चाहे नगर निगम मोगा तथा समय की सरकारों ने आए दिन ओवरफ्लो होते सीवरेज सिस्टम की स्थिति को सुधारने के लिए कई बार...
मोगा (पवन ग्रोवर/ संदीप) : मोगा शहर में गंदे पानी की निकासी का मामला लंबे समय से गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। बरसाती दिनों दौरान तो यह समस्या और भी बढ़ जाती है। चाहे नगर निगम मोगा तथा समय की सरकारों ने आए दिन ओवरफ्लो होते सीवरेज सिस्टम की स्थिति को सुधारने के लिए कई बार वायदे किए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर मामला ज्यों का त्यों लटक रहा है। शहर के कई स्थान ऐसे हैं जहां बरसात होने के उपरांत जमा पानी से एक सप्ताह तक गुजरने में परेशानी होती है।
‘पंजाब केसरी’ की ओर से इस मामले में की गई जांच-पड़ताल दौरान यह तथ्य सामने आया है कि बरसाती पानी की निकासी के लिए जरूरी स्टॉर्म सीवरेज (बरसात होने के बाद इकट्ठा पानी की निकासी वाली अलग पाइप लाइन) न होना बरसाती दिनों में लोगों की परेशानी बढऩे का मुख्य कारण है। ऐसे में बारिश के उपरांत इकट्ठा पानी की निकासी बिछाई गई सीवरेज लाइन पर ही निर्भर है।
इस कारण ओवरफ्लो पानी कई-कई घंटे शहर की सड़कों पर जमा रहता है। वहीं मैनहोलों पर ढक्कन तथा जालियों के न होने के कारण समस्या बढ़ जाती है। सूत्र बताते हैं कि राज्य की राजधानी चंडीगढ़ सहित कुछेक शहरों को छोड़ कर बाकी शहरों में बरसाती पानी की निकासी का बोझ केवल सीवरेज की पाइप लाइन पर ही है।
ब्लॉक सीवरेज खोलने के लिए नगर निगम के पास है सिर्फ 1 जैटिंग मशीन वैन
सीवरेज ब्लॉकेज की शिकायत मिलने पर इस ब्लॉकेज को खोलने के लिए नगर निगम के सीवरेज कर्मचारियों की टीम की ओर से पहले तो बांस तथा लोहे की पाइपों की सहायता से ब्लॉक हुए सीवरेज को खोलने का प्रयत्न किया जाता है, लेकिन यदि ब्लॉकेज अधिक हो तो जैटिंग मशीन वैन की सहायता से ब्लॉकेज को खोला जाता है।
नगर निगम के मुख्य इंजीनियर सतीश वर्मा के अनुसार निगम के पास एक ही जैटिंग मशीन वैन है। उन्होंने शहर में वार्डबंदी दौरान वार्डों तथा आबादी की बढ़ौतरी को देखते हुए जल्दी ही निगम की जरूरत के अनुसार सहूलियतों में बढ़ौतरी करने की बात कही।
शहर में पहली सीवरेज लाइन 35 साल पहले बिछाई गई
पब्लिक हैल्थ डिपार्टमैंट के अधिकारियों से प्राप्त ब्यौरों के अनुसार 35 वर्ष पहले जब शहर की आबादी 40 हजार के लगभग थी तो उस समय सीवरेज लाइन बिछाई गई थी। इसके उपरांत शहर में नए इलाकों के जुडऩे के बाद 2002-03 में दोबारा बहुकरोड़ी सीवरेज की लाइन बिछाई गई, लेकिन अभी भी शहर में सीवरेज सिस्टम खराब है।
गांव बुक्कनवाला में लगाया करोड़ों की लागत से ट्रीटमैंट प्लांट
विभागीय आंकड़े के अनुसार शहर में रोजाना 270 लाख लीटर पानी की सप्लाई दी जा रही है तथा हर शहरवासी के हिस्से में हर रोज 135 लीटर पानी आता है। इसके साथ ही शहर के गांव बुक्कनवाला की सड़क पर गंदे पानी को साफ करने के लिए करोड़ों रुपए की लागत से सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट लगाया गया है। पहले सीवरेज का गंदा पानी इस ट्रीटमैंट प्लांट द्वारा साफ करने के बाद उसको नहर तथा सेम नाले में छोड़ा जाता है।
सीवरेज ओवरफ्लो की समस्या को देखते हुए 16 करोड़ रुपए की लागत से बनाई जाएगी सीवरेज लाइन
पब्लिक हैल्थ डिपार्टमैंट की ओर से शहर में बरसात के मौसम दौरान पानी की निकासी तथा सीवरेज ओवरफ्लो होने की समस्या को देखते हुए व शहर की आबादी डेढ़ लाख से ज्यादा होने के कारण जल्द ही 16 करोड़ रुपए की लागत वाला सीवरेज पाइप लाइन प्रोजैक्ट शुरू करने का फैसला किया गया है।
विभागीय अधिकारियों ने यह कार्य जल्द ही शुरू करने की पुष्टि की है। इस दौरान शहर में शामिल किए गए नए इलाकों कोठे पत्ती मोहब्बत, बाबा मल्लनशाह रोड, गांव लंडेके इलाके के साथ ही फिरोजपुर रोड की नैस्ले फैक्टरी के साथ लगते कुछ जरूरी इलाकों में सीवरेज लाइन बिछाई जाएगी।
शहरवासी दें सीवरेज निकासी सुचारू करने में सहयोग : एस.डी.ओ. बलजीत सिंह
पब्लिक हैल्थ डिपार्टमैंट के एस.डी.ओ. बलजीत सिंह ने विशेष तौर पर बातचीत करते हुए कहा कि एक तरफ बीते 2 सालों से शहर में लुधियाना-फिरोजपुर नैशनल हाईवे फोरलेन का निर्माण कार्य चलने के कारणतथा दूसरी तरफ बरसात का मौसम होने से सीवरेज ओवरफ्लो होने की समस्या पेश आ रही है। उन्होंने शहरवासियों से अपील की कि वे घरों के निकासी पानी की पाइपों तथा नालियों में लिफाफे तथा कूड़ा-कर्कट और इस तरह का वेस्ट मैटीरियल न फैंकें, ताकि इस तरह का सामान सीवरेज ब्लॉकेज का कारण न बन सके। उन्होंने शहरवासियों से सीवरेज निकासी की प्रक्रिया सुचारू ढंग से चलाने में सहयोग देने की अपील की।