Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Aug, 2017 11:35 AM
नगर निगम आटो वर्कशाप हमेशा यूनियनों के निशाने पर रहती है कि उनके पास गाडियां ठीक करने के लिए मैकेनिक तो हैं, लेकिन सामान नहीं है। वर्कशाप में मैकेनिकों को हजारों रुपए वेतन दिया जाता है,पर सामान न मुहैया होने पर वे भी मायूस रहते हैं।
अमृतसर(रमन): नगर निगम आटो वर्कशाप हमेशा यूनियनों के निशाने पर रहती है कि उनके पास गाडियां ठीक करने के लिए मैकेनिक तो हैं, लेकिन सामान नहीं है। वर्कशाप में मैकेनिकों को हजारों रुपए वेतन दिया जाता है,पर सामान न मुहैया होने पर वे भी मायूस रहते हैं।
इस संबंध में अमृतसर यूथ एसो. के आर.टी.आई. एक्टिविस्ट रजिंद्र शर्मा राजू, रविंद्र सुल्तानविंड, जय गोपाल लाली, रजनीश शर्मा, सोनू बाबा, राजेन्द्र शर्मा, राजेश विज, परविंद्र सिंह, अमरीक शिंदा, अनिल डोगरा, सतपाल सिंह आदि ने बताया कि आर.टी.आई. द्वारा निगम से पचास साल का ब्यौरा मांगा जाएगा कि पांच सालों में कितनी 50 हजार रुपए की फाइलें गाडियां ठीक करवाने के लिए पास करवाई हैं एवं आटो वर्कशाप में मैकेनिक होते हुए भी क्या ऐसा हुआ कि आऊटसोॄसग से गाडिय़ां ठीक करवाई हैं, क्योंकि लाखों रुपए की फाइलें पास हुईं, पर गाडिय़ां फिर कंडम हैं और पैसे कहां गए हैं।
राजू ने बताया कि पिछले सालों में नगर निगम के अंदर अंधेर नगरी और चौपट राजा वाला हिसाब रहा है और अधिकारियों ने अपने निजी फायदों के लिए फाइलें पास करवाई हैं। यह निगम के अंदर एक बड़ा घोटाला बन कर सामने आएगा, जिसका वह पर्दाफाश करेंगे। निगम में किसी भी अधिकारी के खिलाफ अगर जांच बैठती है तो ले देकर बात को दबा दिया जाता है, ताकि बात बाहर न निकले। इन सबको लेकर वह भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए तैयार हैं। अगर लाखों रुपए की फाइलें पास हुई हैं और काम हुए हैं तो गाडिय़ां कंडम एवं कबाड़ का रूप क्यों धारण कर रही हैं।
सिद्धू पहले अपने इन विभागों को करें चैक
शर्मा ने कहा कि स्थानीय निकाय विभाग के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू जहां केबल के पीछे पड़े हैं। वहीं अपने इन विभागों में हुई धांधली के बारे में भी चैकिंग करवाएं कि पिछले समय में निगम की वित्तीय हालत क्यों खराब हुई है, आखिर फंडों के पैसे कहां गए हैं। वह आटो वर्कशाप के पिछले पांच सालों में हुई गाडिय़ों की मुरम्मत को लेकर पास हुई फाइलों के बारे में जांच करवाएं, खुद दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।
नामोनिशान मिटाने की तैयारी में निगम
आटो वर्कशाप निगम के कर्मचारियों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आज से दस साल पहले आटो वर्कशाप में हर काम होता था। हर छोटी-बड़ी गाड़ी यहां पर ही ठीक होती एवं रिपेयर होती थी, लेकिन दिन-प्रतिदिन अधिकारियों की वजह से ही आज आटो वर्कशाप का नामोनिशान मिटने का समय आ गया है।
अगर आज के समय में पिछले सालों का रिव्यू किया जाए तो खुद अधिकारियों की कार्यप्रणाली सामने आ जाएगी। अधिकारी आऊटसोर्सिंग से काम करवाना पसंद करते हैं, ताकि बाहर से कमीशनें आ सकें, बल्कि निगम में 3 मैकेनिक, 11 हैल्पर मौजूद हैं, लेकिन उनसे काम नहीं लिया जाता है। वर्कशाप में पंक्चर लगाने वाली मोटर नहीं है, नट बोल्ट, वैल्डिंग राड, फिल्टर, बीयरिंग, टायर ट्यूब नहीं है।
निगम में वैल्डर हैं पर वैल्डिंग करने का सामान नहीं है। खराद की मशीनें, टायरों में हवा भरने वाली मशीनें कबाड़ का रूप धारण कर चुकी हैं। अधिकारी आटो वर्कशाप की सुध नहीं लेते जिससे आज हालात यह हैं कि वर्कशाप की छत कभी भी गिर सकती है, जिससे कोई बड़ा हादसा हो सकता है। इसको लेकर भी यूनियनों द्वारा लिखित में दिया गया पर सिविल विभाग द्वारा अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस संबंध में एक्सियन तिलक राज जस्सड़ को कई बार फोन किया पर उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा।