Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Aug, 2017 02:48 PM
लोकल बॉडीज विभाग ने नगर निगम सुपरिंटैंडैंटों को सैके्रटरी बनाने के मामले में कोर्ट द्वारा जारी आदेशों के तहत नए सिरे से डिपार्टमैंटल प्रमोशन
लुधियाना (हितेश): लोकल बॉडीज विभाग ने नगर निगम सुपरिंटैंडैंटों को सैके्रटरी बनाने के मामले में कोर्ट द्वारा जारी आदेशों के तहत नए सिरे से डिपार्टमैंटल प्रमोशन कमेटी की मीटिंग तो कर ली है। लेकिन इसके तहत किन अफसरों की किस्मत चमकेगी, उसका खुलासा एक हफ्ते के बाद रिपोर्ट जारी होने पर ही होगा।
प्रभावित अफसरों ने कोर्ट की शरण ली
यहां बताना उचित होगा कि पूर्व मंत्री अनिल जोशी के समय प्रमोट किए गए अफसरों को रिवर्ट करने बारे जो मुहिम नवजोत सिद्धू द्वारा सरकार बदलते ही चलाई गई थी, उसमें नगर निगमों के 14 सैक्रेटरीज को भी गलत ढंग से प्रमोशन लेने के आरोप में दोबारा सुपरिंटैंडैंट बना दिया गया। इस संबंधी 9 मई को जारी आदेशों के खिलाफ प्रभावित अफसरों ने कोर्ट की शरण ली। उन्होंने कुछ सुपरिंटैंडैंटों के नाम पहले ही डी.पी.सी. में क्लीयर होने का हवाला दिया। लेकिन सरकार सहमत नहीं हुई और रद्द किए गए आदेश जारी करने के लिए नए सिरे से डी.पी.सी. की मीटिंग न बुलाने सहित अन्य नियमों का पालन न होने का हवाला दिया गया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान लोकल बॉडीज विभाग ने इन सुपरिंटैंडैंटों को अस्थायी प्रमोशन दिए जाने की जानकारी दी।
अगली सुनवाई 3 अक्तूबर को रखी
इसके मद्देनजर सुपरिंटैंडैंटों को सैक्रेटरी बनाने का काम वरिष्ठता सूची व नियमों के आधार पर जल्द दोबारा डी.पी.सी. करके पूरा करने का हवाला दिया गया। इस पर कोर्ट ने 12 जुलाई से पहले यह प्रक्रिया पूरी करने के आदेश दिए। लेकिन उसके बाद 2 बार हुई सुनवाई के दौरान सरकार ने और समय मांगा तथा इसी दौरान नए नाम शामिल करके ताजा वरिष्ठता सूची भी जारी कर दी। अब मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार ने एक दिन पहले नए सिरे से डी.पी.सी. की मीटिंग करने की जानकारी दी। लेकिन उसकी रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा। जिससे साफ होगा कि किन 14 सुपरिंटैंडैंटों का सैक्रेटरी बनने के लिए नंबर लगा है। हालांकि कोर्ट ने अगली सुनवाई 3 अक्तूबर को रखी है।
एक दशक से चल रहा नियम बदलने का खेल
नगर निगम के सुपरिंटैंडैंटों में सैक्रेटरी बनने को लेकर करीब एक दशक से लड़ाई चल रही थी। इसमें पहले सुपरिंटैंडैंट से सैक्रेटरी बनने के लिए ग्रैजुएशन के साथ 5 साल का तजुर्बा लाजमी था। लेकिन उसके बाद कई बार नियम बदले गए। इसमें सॢवस का पीरियड कम या ज्यादा करने के अलावा ग्रैजुएशन के नंबर तय किए गए और प्रमोशन चैनल में एम.बी.ए. व एल.एल.बी. का कोटा भी शामिल हुआ। इसे लेकर प्रभावित होने वाले व लाभ हासिल करने वाले सुपरिंटैंडैंटों के 2 गुट बन गए। इनके बीच आपस में कई कोर्ट केस भी चल रहे हैं।
3 बार हुई प्रमोशन व डिमोशन
सितम्बर 2016 में सरकार ने सब नियम खत्म करते हुए 1998 के पुराने ग्रैजुएशन के साथ 5 साल के तजुर्बे वाले सिस्टम के तहत कई सुपरिंटैंडैंटों को सैक्रेटरी बना दिया। इसके खिलाफ कई सुपरिंटैंडैंटों ने यह कहकर कोर्ट की शरण ली कि कई सुपरिंटैंडैंट रिटायर हो चुके हैं और सरकार के नियमों मुताबिक एक्सटैंशन के दौरान उनको प्रमोशन नहीं मिल सकती। इस पर सरकार ने दिसम्बर2016 में जब-जब पोस्टें खाली हुईं, उस समय के नियमों के हिसाब से 14 सुपरिंटैंडैंटों को सैक्रेटरी बना दिया। उस फैसले को बाकी सुपरिंटैंडैंटों ने कोर्ट में चुनौती दी, जिस पर कोर्ट का फैसला आने से पहले ही सिद्धू ने अपना डंडा चला दिया।