Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 01:25 PM
माडर्न जेल कपूरथला में कुछ समय पहले 100 कैदियों को हुए एच.आई.वी. और हैपेटाइटिस बी और जेल में मृतक कैदियों की दो गलत लिस्टें देने के मामले में मानवाधिकार आयोग ने कड़ा संज्ञान लेते हुए ए.डी.जी.पी. जेल से स्पष्टीकरण मांगा था, जिसके जवाब में ए.डी.जी.पी....
जालंधर(रविंदर शर्मा): माडर्न जेल कपूरथला में कुछ समय पहले 100 कैदियों को हुए एच.आई.वी. और हैपेटाइटिस बी और जेल में मृतक कैदियों की दो गलत लिस्टें देने के मामले में मानवाधिकार आयोग ने कड़ा संज्ञान लेते हुए ए.डी.जी.पी. जेल से स्पष्टीकरण मांगा था, जिसके जवाब में ए.डी.जी.पी. जेल ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं और उनके द्वारा मानवाधिकार आयोग के पास अपनी रिपोर्ट सबमिट करने के लिए लगातार दूसरी बार अतिरिक्त समय की मांग की गई है, जिसे आयोग ने स्वीकार कर लिया है और इस मामले की अगली सुनवाई 2 जनवरी, 2018 को तय की है ताकि उससे पहले ए.डी.जी.पी. जेल अपनी रिपोर्ट सबमिट करवा सकें।
पंजाब केसरी से विशेष बातचीत में आर्गेनाइजेशन फार प्रोटैक्शन आफ ह्यूमन राइट्स (रजि.) के प्रदेश प्रधान संदीप शर्मा ने इस संबंधी जानकारी देते हुए कहा कि उन्होंने पंजाब स्टेट ह्यूमन राइट कमीशन के पास गुहार लगाई थी कि कपूरथला की माडर्न जेल के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं और कुछ समय पहले सामने आए एच.आई.वी. और हैपेटाइटिस बी से पीड़ित 100 से अधिक कैदियों के मामले में गहन जांच की जानी चाहिए। उनके द्वारा भेजे गए जवाब को मानवाधिकार आयोग की तरफ से ए.डी.जी.पी. जेल के पास भेजकर इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा था। संदीप ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि एच.आई.वी. और हैपेटाइटिस जैसी जानलेवा और नामुराद बीमारियों को लेकर ए.डी.जी.पी. जेल का रवैया उदासीन है और वह इनकी रोकथाम को लेकर कोई उचित कदम उठाना ही नहीं चाह रहे हैं। केवल बार-बार अतिरिक्त समय की मांग करके मानवाधिकार आयोग का कीमती समय बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं। ए.डी.जी.पी. जेल की तरफ से जो भी जवाब आता है उसे एफीडेविट के रूप में लें, ताकि इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
मामला बेहद गंभीर है और इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी अनिवार्य
संदीप ने कहा कि कपूरथला जेल में सामने आए उक्त मामले ने उनकी ङ्क्षचता को और भी गहरा कर दिया है क्योंकि पहले से चल रहे लाशें गायब होने और मानव अंगों की तस्करी वाले मामले की तरह इसे भी दबाने के प्रयास न आरंभ हो जाएं। जिस दिन से यह मामला सामने आया है और उनके द्वारा मानवाधिकार आयोग के पास शिकायत दर्ज करवाई गई है, तब से लेकर आज तक 3 ए.डी.जी.पी. जेल बदल चुके हैं और इतने कम समय में लगातार हुए 3 तबादले भी संदेह उत्पन्न करते हैं, क्योंकि मामला बेहद गंभीर है और इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी अनिवार्य है।
कैदियों के परिजनों से प्रमाण-पत्र सबूत के तौर पर लेकर दिया जाए
संदीप ने मानवाधिकार आयोग से मांग रखी है कि कपूरथला जेल के अंदर मरे हुए कैदियों की मौत का 2 तिथियों वाला प्रमाण-पत्र सबूत के तौर पर कैदियों के परिजनों से लेकर शिकायतकत्र्ता को दिया जाए क्योंकि शिकायतकत्र्ता को पूरा शक है कि मृतक कैदियों के अंगों की तस्करी की जा रही हो सकती है जिसकी गहन जांच-पड़ताल होनी अति आवश्यक है।