Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Feb, 2018 09:27 PM
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेतली की तरफ से गुरू घरों में लंगरों पर जी.एस.टी. सम्बन्धित बयान को गुमराह करार दिया है। ...
अमृतसर: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेतली की तरफ से गुरू घरों में लंगरों पर जी.एस.टी. सम्बन्धित बयान को गुमराह करार दिया है।
बताने योग्य है कि आम बजट के बाद केंद्रीय वित्तमंत्री का यह बयान आया है कि गुरुद्वारों के अंदर वरताए जाते लंगरों पर किसी किस्म का टैकस नहीं लगाया जाता। शिरोमणि कमेटी के प्रधान भाई गोबिन्द सिंह लोंगोवाल ने जेतली के इस बयान को तथ्यों से कोसों दूर बताया है। दफ्तर शिरोमणि कमेटी से जारी एक बयान में प्रवक्ता दिलजीत सिंह बेदी ने कहा कि केंद्रीय वित्तमंत्री का बयान सही नहीं है। उन्होंने कहा कि अरुण जेतली कह रहे हैं कि गुरू के लंगर पर जी.एस.टी. नहीं है, जबकि वास्तविकता में ऐसा नहीं है।
बेदी ने कहा कि देश की सरकार में एक जिम्मेदार व्यक्ति का ऐसा बयान केंद्र सरकार की व्यवस्था पर सवालिया निशान है। उन्होंने बताया कि जब से देश भर में जी.एस.टी. लागू किया गया है, तब से ही गुरू घर के अंदर लंगरों के लिए खरीद की जाती वस्तुओं पर इस टैकस का भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि शिरोमणि कमेटी की तरफ से तब से लेकर अब तक इस टैकस के विरद्ध आवाज उठाई जा रही है और देश के प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री सहित संसद सदस्यों को भी पत्र लिखे जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि यदि लंगरों पर जी.एस.टी. माफ है तो सरकार ने इस बारे में कोई सर्कुलर क्यों नहीं जारी किया। उन्होंने सवाल उठाया कि काफी महीने बीतने के बाद भी शिरोमणि कमेटी के पास सरकार द्वारा जी.एस.टी. माफ होने सम्बन्धित कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री के बयान के साथ स्थिति जटिल बन गई है और यदि सचमुच ही धार्मिक स्थानों को इस टैकस से मुक्त किया गया है तो केंद्रीय मंत्री को इसकी लिखित तौर पर सूचना जारी करनी चाहिए।