6 माह बाद भी माइनिंग पॉलिसी तैयार नहीं, क्रशर इंडस्ट्री डूबने की कगार पर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Sep, 2017 12:40 PM

mining policy is not ready  crusher industry is on the brink of drowning

क्रशर इंडस्ट्री समूचे राज्य के विकास के लिए अहम इंडस्ट्री मानी जाती है। पंजाब में होने वाला हर विकास कार्य इसी क्रशर इंडस्ट्री पर निर्भर है क्योंकि हर निजी तथा सरकारी विकास कार्य में क्रशर इंडस्ट्री से तैयार होने वाली निर्माण सामग्री रेत, बजरी आदि...

पठानकोट/बमियाल (शारदा, राकेश): क्रशर इंडस्ट्री समूचे राज्य के विकास के लिए अहम इंडस्ट्री मानी जाती है। पंजाब में होने वाला हर विकास कार्य इसी क्रशर इंडस्ट्री पर निर्भर है क्योंकि हर निजी तथा सरकारी विकास कार्य में क्रशर इंडस्ट्री से तैयार होने वाली निर्माण सामग्री रेत, बजरी आदि का भरपूर प्रयोग होता है।

इसके अलावा अगर रैवेन्यू की बात की जाए तो पंजाब में रेत-बजरी की कुल  वार्षिक डिमांड 2 करोड़ टन है वहीं, पंजाब का रेत-बजरी का कुल सालाना व्यापार करीब 3,000 करोड़ है, जिससे राज्य सरकार को भारी रैवेन्यू एकत्रित होता है परंतु पंजाब में कांग्रेस पार्टी द्वारा मार्च महीने में सत्ता संभालने के चंद दिनों बाद ही क्रशर इंडस्ट्री की नई पॉलिसी बनाने की घोषणा करने के साथ ही माइनिंग के नाम पर गुंडा टैक्स इकट्ठा करने वाले कारिन्दों के स्थान पर छापेमारी करके अवैध वसूली पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी गई थी।

इससे पंजाब भर के लोगों में नई सरकार से एक अच्छी माइनिंग पॉलिसी तथा रेत-बजरी के रेट कम होने की उम्मीद जगी थी परंतु 6 महीने बीत जाने के बाद भी रेत-बजरी के दामों में कमी आने की बजाय 400 से लेकर 500 रुपए प्रति सैंकड़ा दामों में वृद्धि हुई है जिसका मूल कारण आधा वर्ष बीत जाने के बाद भी पंजाब सरकार द्वारा माइनिंग पॉलिसी का न तो ड्रॉफ्ट तथा न ही इसे अब तक अमलीजामा पहनाया जाना है। 

पंजाब सरकार द्वारा माइनिंग संबंधी नई पॉलिसी जारी न करने से सीमावर्ती जिला पठानकोट तथा जिला होशियारपुर की क्रशर इंडस्ट्री पूर्ण बंद होने कारण डूबने की कगार पर पहुंच चुकी है। विचार योग्य है कि करीब 6 महीने पहले कांग्रेस के सत्ता में आते ही माइनिंग की पुरानी पॉलिसी को रद्द करते हुए सरकार ने पूरे पंजाब में माइनिंग पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी थी जिसके चलते कुछ क्रशर यूनिटों ने अपने पास रॉ-मैटीरियल का स्टॉक होने का दावा किया था, जिसके बल पर कुछेक यूनिट तो इन तीन-चार महीनों से चल पा रहे थे परंतु अब क्रशर इंडस्ट्री के पास इतनी देर तक कच्चा माल डम्प होना संभव नहीं था जिसके चलते  पिछले 1 महीने से पठानकोट तथा होशियारपुर जिलों के लगभग सभी क्रशर यूनिट बंद पड़े हैं जिसका प्रभाव दिन-प्रतिदिन क्रशरधारकों की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है। 

7,000 लोगों का रोजगार छिनने की कगार पर 
क्रशर इंडस्ट्री बंद होने से जहां क्रशरधारक आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं वहीं क्रशर इंडस्ट्री के साथ व्यवसाय करने वाले जैसे कि क्रशर स्पेयर पार्ट्स, इलैक्ट्रिक स्पेयर पार्ट्स, वाहन स्पेयर पार्ट्स आदि के व्यापार पर भी अधिक प्रभाव पड़ा है। इसके साथ ही बहुत से लोगों का रोजगार भी खत्म होने की कगार पर है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जिला होशियारपुर तथा जिला पठानकोट में कुल 200 के करीब क्रशर लगे हुए हैं। एक क्रशर पर लगभग 40 से 50 लोग रोजगार प्राप्त कर रहे हैं परंतु धीरे-धीरे क्रशर इंडस्ट्री बंद होने के कारण पठानकोट तथा होशियारपुर जिलों के करीब 7,000 लोगों का रोजगार छिनने की कगार पर है।

एक-दो साल पहले स्थापित क्रशर यूनिट हुए बंद
पठानकोट की क्रशर इंडस्ट्री में बहुत सारे क्रशर यूनिट ऐसे हैं जोकि एक-दो साल पहले स्थापित किए गए हैं। क्रशर यूनिट स्थापित करने के लिए भी उद्यमियों को लोहे के चने चबाने पड़ते हैं। एन.ओ.सी. लेनी पड़ती है जिसमें पॉल्यूशन बोर्ड, एजुकेशन बोर्ड, हैल्थ डिपार्टमैंट, पी.डब्ल्यू.डी. डिपार्टमैंट, ईरीगेशन डिपार्टमैंट आदि से परमिशन ली जाती है। बावजूद इतनी मशक्कत के क्रशर यूनिट तो स्थापित हुए हैं परन्तु एक माइनिंग पॉलिसी न बन पाने के कारण करोड़ों की राशि लगाकर स्थापित किए गए क्रशर यूनिट बंद पड़े हैं।

ब्लैक में बिक रही है रेत-बजरी  
जानकारी अनुसार पंजाब सरकार में कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने से पहले चल रही माइनिंग पॉलिसी के तहत रेत का भाव 1,000 से लेकर 1,200 रुपया प्रति सैंकड़ा तथा बजरी का भाव भी 800 रुपए प्रति सैकड़ा था परंतु नई पॉलिसी न ला पाने व पुरानी पॉलिसी को रद्द करके क्रशर इंडस्ट्री को बंद करने के बाद जहां एक तरफ पंजाब सरकार का दावा था कि वे लोगों को सस्ते रेट में रेत-बजरी उपलब्ध करवाएंगे वहीं मौजूदा समय में रेत-बजरी मार्कीट में सामग्री की कमी के कारण ब्लैक में बिक रही है, जिसके चलते रेत 1,900 प्रति सैंकड़ा तथा बजरी 1,200 प्रति सैंकड़ा बिक रही है। इससे लोगों में रोष है कि जो सरकार इस क्रशर इंडस्ट्री को माफिया कहती थी तथा पंजाब के लोगों को सस्ती रेत-बजरी दिलवाने के दावे करती थी, उसी सरकार के चलते यहां सस्ती तो दूर, रेत-बजरी मिलना ही असंभव हो गया है, जिसके चलते जहां एक तरफ लोगों के निजी कंस्ट्रक्शन वर्क  रुके पड़े हैं वहीं सरकारी काम पर भी प्रभाव पड़ रहा है।
क्या कहता है विभाग
जी.एम. माइनिंग श्री वालिया का कहना है कि नई पॉलिसी लाना पंजाब सरकार के हाथ में है। यह सरकार के नियम पर निर्भर है कि वह नई पॉलिसी पेश करते हैं या फिर पुरानी पॉलिसी के अनुसार क्रशर इंडस्ट्री को लीगल माइनिंग के आदेश दिए जाते हैं।

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