Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Aug, 2017 08:16 AM
पिम्स इम्प्लाइज यूनियन के बैनर तले पिम्स के अंदर अलग-अलग काम कर रहे पैरा मैडीकल स्टाफ जिसमें नॄसग स्टाफ, एक्स-रे टैक्नीशियन, बिलिंग स्टाफ, क्लैरिकल स्टाफ, इलैक्ट्रीशियन, प्लम्बर आदि की तरफ से कुछ समय पहले 15 दिन के लंबे अंतराल के लिए हड़ताल की गई थी...
जालंधर (अमित): पिम्स इम्प्लाइज यूनियन के बैनर तले पिम्स के अंदर अलग-अलग काम कर रहे पैरा मैडीकल स्टाफ जिसमें नॄसग स्टाफ, एक्स-रे टैक्नीशियन, बिलिंग स्टाफ, क्लैरिकल स्टाफ, इलैक्ट्रीशियन, प्लम्बर आदि की तरफ से कुछ समय पहले 15 दिन के लंबे अंतराल के लिए हड़ताल की गई थी जिसकी समाप्ति में मुख्य भूमिका निभाने वाली लेबर कमिश्नर के दफ्तर में दोनों पक्षों के बीच मीटिंग हुई जिसमें कुछ बातों को लेकर आम सहमति बनी थी और दोनों पक्षों में हुए समझौते के तहत स्टाफ ने हड़ताल खत्म करने का फैसला लिया था।
उसके टूटने संबंधी लेबर विभाग के पास की गई शिकायत का विभाग ने कड़ा संज्ञान लेते हुए पिम्स प्रबंधन और इम्प्लाइज यूनियन के बीच ए.एल.सी. दफ्तर में एक विशेष मीटिंग आयोजित की गई मगर काफी देर तक हुई बातचीत में दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं बन सकी जिसके परिणामस्वरूप 23 अगस्त को अगली सुनवाई तय की गई है और पिम्स प्रबंधन को अगली तारीख तक कर्मचारियों को दिए जाने वाले सैलरी स्केल संबंधी अंतिम फैसला लेने के लिए कहा गया है। इस अवसर पर सैक्रेटरी धॄमद्र कुमार, वीरपाल कौर, लवीजा, सङ्क्षतद्र सैनी, गगनदीप, विशाल कपिल, गुरविंद्र सिंह, साहिल शर्मा, दीपक आदि उपस्थित थे।
कैसे हुई मीटिंग, क्या हुई बातचीत
यूनियन के प्रधान नरिंद्र कुमार ने कहा कि यूनियन के सदस्य पूरे 11 बजे ए.एल.सी. के दफ्तर पहुंच गए मगर पिम्स प्रबंधन की तरफ से कोई भी वहां नहीं पहुंचा जिसके पश्चात लेबर कोर्ट की तरफ से पिम्स प्रबंधन को दोपहर 3 बजे तक हर हाल में उपस्थित होने के निर्देश जारी किए गए। 3 बजे पिम्स प्रबंधन की तरफ से दिनेश मिश्रा और उनके वकील ए.एल.सी. दफ्तर पहुंचे और लगभग एक घंटे तक सैलरी स्केल को लेकर विस्तारपूर्वक बातचीत हुई।
उन्होंने कहा कि पिम्स प्रबंधन द्वारा कम सैलरी स्केल देकर सरकार के साथ धोखा किया जा रहा है। डिपार्टमैंट ऑफ मैडीकल एजुकेशन एंड रिसर्च पंजाब की तरफ से पिम्स को जारी किए गए असैंशियल सर्टीफिकेट में जो सैलरी स्केल दिए जाते हैं वह पंजाब सरकार द्वारा निर्धारित सैलरी होती है मगर प्रबंधन अपनी मर्जी से कम स्केल दे रहा है। नरिंद्र ने कहा कि यूनियन ने मांग रखी कि अगर सरकारी स्केल नहीं दिए जा सकते तो डी.एम.सी. के बराबर स्केल दिए जाएं।