Edited By Updated: 25 May, 2017 12:46 PM
मौड़ बम कांड संघर्ष कमेटी के मैंबरों ने एक बैठक की, जिसमें प्रशासन तथा सरकार द्वारा पीड़ित परिवारों को इंसाफ न दिए जाने तथा अन्य मांगें
मौड़ मंडी(प्रवीन/वनीत): मौड़ बम कांड संघर्ष कमेटी के मैंबरों ने एक बैठक की, जिसमें प्रशासन तथा सरकार द्वारा पीड़ित परिवारों को इंसाफ न दिए जाने तथा अन्य मांगें पूरी न होने संबंधी विचार-विमर्श किया गया। पत्रकारों से बातचीत करते हुए गुरमेल सिंह मेला, जगदीश राय शर्मा, नवीन सिंगला, डा. बलवीर सिंह, जीत इंद्र सिंह आदि ने बताया कि 31 जनवरी को चुनाव से पहले मौड़ मंडी में हुए बम धमाके में 6 जानें चली गई थीं तथा मौड़ बम कांड संघर्ष कमेटी द्वारा इलाका निवासियों, समाज सेवी संस्थाओं तथा भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर आदि को साथ लेकर पीड़ित परिवारों को इंसाफ दिलवाने तथा मंडी में जरूरत की सहूलियतें मुहैया करवाने को लेकर संघर्ष शुरू किया गया था जिस कारण प्रशासन द्वारा संघर्ष कमेटी की मांगों को माने जाने का वायदा किया गया था परंतु बाद में प्रशासन द्वारा इन मांगों को अनदेखा करने की कोशिशें की जाने लगीं।
21 दिन में मांगें पूरी करने का दिया था आश्वासन
धमाके के 2 महीने बाद 31 मार्च को बम धमाके में जख्मी हुए बच्चे अंकुश इंसां की मौत हो गई थी जिसके बाद भारी गिनती में इलाका निवासियों, समाज सेवी संस्थाओं तथा डेरा प्रेमियों ने मौड़ बम कांड संघर्ष कमेटी के बैनर तले शव को बम कांड वाली जगह पर रखकर धरना देते हुए मांगों को लागू करवाने के लिए संघर्ष शुरू किया था। इसके बाद प्रशासन में भगदड़ मच गई थी तथा प्रशासन की तरफ से डिप्टी कमिश्नर भटिंडा दीप्रवा तथा एस.एस.पी. भटिंडा स्वपन शर्मा, एस.डी.एम. मौड़ लतीफ अहमद तथा अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने धरने वाली जगह पर पहुंचकर 21 दिन के अंदर-अंदर पीड़ित परिवारों को सरकारी नौकरी देने तथा अन्य सभी मांगें माने जाने संबंधी आश्वासन दिलाकर धरना उठवा दिया था। धरनाकारियों ने प्रशासन के वायदों पर विश्वास करते हुए धरना खत्म करके बच्चे अंकुश इंसां का अंतिम संस्कार कर दिया था।
मांगें न मानी तो मौड़ बम कांड संघर्ष कमेटी फिर पकड़ेगी संघर्ष की राह
संघर्ष कमेटी के मैंबरों ने बताया कि वे 21 दिन बीत जाने के बाद बार-बार प्रशासनिक अधिकारियों को मिल रहे हैं परंतु प्रशासनिक अधिकारी इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे। उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि उसने हजारों इलाका निवासियों की उपस्थिति में मांगें माने जाने का भरोसा दिया था परंतु प्रशासन अभी तक अपने वायदों पर खरा नहीं उतरा। उन्होंने बैठक में फैसला किया कि एक बार फिर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी अगर फिर भी प्रशासन ने मांगों की तरफ ध्यान न दिया तो फिर से संघर्ष का रास्ता पकड़ा जाएगा।