निगम चुनाव : कांग्रेसियों के हाथ में कंट्रोल आने के बावजूद 2 माह बाद शुरू हो पाएंगे नए विकास कार्य

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Nov, 2017 11:11 AM

ludhiana municipal corporation

वार्डबंदी की प्रक्रिया में खामियों कारण लुधियाना नगर निगम के चुनाव बाकी शहरों के मुकाबले लटकने का पहलू छिपाने के लिए भले ही कांग्रेसियों द्वारा पहले विकास कार्य करवाने का हवाला दिया जा रहा है। लेकिन असलियत यह है कि अफसरों के रूप में इन कांग्रेसियों...

लुधियाना(हितेश): वार्डबंदी की प्रक्रिया में खामियों कारण लुधियाना नगर निगम के चुनाव बाकी शहरों के मुकाबले लटकने का पहलू छिपाने के लिए भले ही कांग्रेसियों द्वारा पहले विकास कार्य करवाने का हवाला दिया जा रहा है। लेकिन असलियत यह है कि अफसरों के रूप में इन कांग्रेसियों के पास कंट्रोल होने के बावजूद नए विकास कार्य 2 महीने से पहले शुरू नहीं हो पाएंगे। 

निगम की कमान अकाली-भाजपा के हाथ में रहने के दौरान जब फंड की कमी का हवाला देते हुए नए विकास कार्यों के प्रस्तावों को मंजूरी न देने का फैसला किया जा रहा था तो कांग्रेसियों द्वारा विरोध करने के साथ-साथ जनरल हाऊस भंग होने के बाद अपने हाथ में कंट्रोल आने का दावा किया गया। लेकिन सितम्बर में जनरल हाऊस की मियाद खत्म होने के बाद से अब तक हालात कांग्रेसियों के सपनों से बिल्कुल उलट नजर आ रहे हैं। क्योंकि पहले लोकल बॉडीज विभाग ने अकाली-भाजपा के समय पास हुए सभी प्रस्तावों को यह कहकर लौटा दिया कि उनके नियमों व बजट प्रावधानों के मुताबिक होने का सर्टीफिकेट दिया जाए। इस चक्कर में अफसरों ने टैक्नीकल एडवाइजरी कमेटी में नए प्रस्ताव पास करने से हाथ पीछे खींच लिए।

जिसका हवाला देते हुए कांग्रेसी विधायकों द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर लोकल बॉडीज मंत्री नवजोत सिद्धू ने डायरैक्टर द्वारा जारी फरमान को रद्द कर दिया। अब अगर नए विकास कार्यों को शुरू करवाने की बात करें तो पहले चरण में उन फाइलों पर वर्क ऑर्डर किए गए हैं जो प्रस्ताव अकाली-भाजपा के समय पास किए गए थे। जिन प्रस्तावों पर पिछले सैशन दौरान टैंडर लगाने की मंजूरी दी गई थी, वह अब वर्क ऑर्डर जारी करने की मंजूरी लेने के लिए टैक्नीकल एडवाइजरी कमेटी के पास आ रहे हैं। जिनको पास तो कर दिया गया है, लेकिन साथ ही यह भी आदेश अफसरों को जारी किए गए हैं कि सरकार से मंजूरी आने या 21 दिन का समय पूरा होने पर ही अगली कार्रवाई की जाए। यही फार्मूला नए एस्टीमेटों पर लगने वाले टैंडरों पर लागू होगा। जिन पर वर्क ऑर्डर जारी करने के लिए फिर इसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। यानी कि कम-से-कम 21 या 42 दिन तो लगेंगे ही और बाकी प्रक्रिया के चलते कोई भी नया विकास कार्य शुरू करवाने के लिए 2 महीने का समय चाहिए।

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