Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jun, 2017 12:35 PM
जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से पंजाबी भाषा से किए जा रहे भेदभाव से संबंधित शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर के साथ जम्मू-कश्मीर से आए सिखों के एक शिष्टमंडल ने मुलाकात करके राज्य में पंजाबी भाषा को बनता सम्मान दिलाने...
अमृतसर (दीपक, ममता): जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से पंजाबी भाषा से किए जा रहे भेदभाव से संबंधित शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर के साथ जम्मू-कश्मीर से आए सिखों के एक शिष्टमंडल ने मुलाकात करके राज्य में पंजाबी भाषा को बनता सम्मान दिलाने के लिए प्रयत्न करने की अपील की।
प्रो. बडूंगर के साथ मुलाकात करने पहुंचे इस प्रतिनिधिमंडल में गुरुद्वारा डिस्ट्रिक्टबोर्ड जम्मू-कश्मीर के प्रधान मोहन सिंह तराली, महासचिव भुपिन्दर सिंह और परमिन्दर सिंह शामिल थे। शिरोमणि कमेटी प्रधान ने शिष्टमंडल के सदस्यों से मामले से संबंधित जानकारी प्राप्त करने उपरांत जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को तुरंत एक पत्र लिख कर ऐतराज प्रकट करते राज्य में पंजाबी भाषा को बनता सम्मान दिलाने के लिए कार्रवाई करने की मांग की। शिरोमणि कमेटी प्रधान ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा कि जम्मू-कश्मीर में पंजाबी भाषा को बनता सम्मान न देना दुर्भाग्यपूर्ण है और इस के साथ राज्य में बसते पंजाबियों और खासकर सिखों में रोष है।
उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान बंटवारे से पहले महाराजा रणजीत सिंह के राजकाल में जम्मू-कश्मीर पंजाब का हिस्सा थे और पंजाबी भाषा को बनता सम्मान मिलता रहा, परन्तु आज अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि जम्मू-कश्मीर में पंजाबी भाषा को बनते सम्मान से वंचित किया गया है।
जम्मू-कश्मीर के स्कूलों में पंजाबी को अनिवार्य विषयों में से कम करना पंजाबी भाषा से भेदभाव करने वाला फैसला है। उन्होंने मांग की कि जम्मू-कश्मीर में पंजाबी भाषा को बनता सम्मान देने के लिए इस मामले की गंभीरता से जांच करवा कर फैसला लिया जाए। इस मौके शिरोमणि कमेटी के मुख्य सचिव हरचरन सिंह, सचिव अवतार सिंह सैंपला, एडीशनल सचिव सुखदेव लिंह भूराकोहना, निजी सहायक भगवंत सिंह और जगरूप सिंह सेखों उपस्थित थे।