Edited By Updated: 29 Apr, 2017 01:05 PM
पंजाब में आम आदमी पार्टी के नेताओं के बगावती सुर के कारण पार्टी में अंतर्कलह तेज हो गई है।
चंडीगढ़ः पंजाब में आम आदमी पार्टी के नेताओं के बगावती सुर के कारण पार्टी में अंतर्कलह तेज हो गई है। यह अंतर्कलह यदि नहीं रुकी तो पार्टी टूट भी सकती है। ऐसे में शिरोमणि अकाली दल भी आप के असंतुष्ट विधायकों पर नजर जमाए हुए है।
यदि आप के दो तिहाई विधायक अलग ग्रुप बना कर शिअद से हाथ मिला लेते हैं तो वह विपक्ष की भूमिका में आ सकता है। आप के कुछ नेताओं की पार्टी के 14 विधायकों का ग्रुप बनाने की कोशिश की भी सूचना है।
पंजाब विधानसभा चुनाव में हार के बाद दिल्ली नगर निगम चुनाव में भी पराजय से आप में सुधार के नाम पर पार्टी नेतृत्व के विरोध में उठे सुर फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। दिल्ली निगम चुनाव के परिणाम आने के बाद पार्टी के पंजाब प्रभारी संजय सिंह व संगठन प्रभारी दुर्गेश पाठक के इस्तीफे के बाद अंदरखाते चल रही बगावत और तेज हो गई है।
बताया जाता है कि पार्टी के कुछ नेताओं की कोशिश है कि किसी भी प्रकार 14 विधायकों का ग्रुप बनाकर आगे की सियासत की जाए। अगर ऐसा होता है तो इन 14 विधायकों का ग्रुप किसी के साथ भी हाथ मिलाकर पंजाब की सियासत में नई हलचल पैदा कर सकता है।
पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद आप के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के आदेश के बाद पार्टी की तरफ से प्रदेश के सभी विधानसभा हलकों में हलका इंचार्जों के साथ बैठकें करके वालंटियर्स को नए सिरे से जोड़ने की कवायद पार्टी ने शुरू की थी।
जालंधर में पहली बैठक में ही पार्टी के प्रवक्ता व चीफ व्हिप सुखपाल सिंह खैहरा ने स्पष्ट तौर पर यह कहकर झंडा बुलंद कर दिया था कि अब पंजाब में बाहरी नेतृत्व को स्वीकार नहीं किया जाएगा। अगर पार्टी को मजबूत करना है तो बाहरी नेतृत्व को किनारे करके पंजाब की आम आदमी पार्टी बनानी होगी। इसके बाद अन्य हलकों में हुई ज्यादातर बैठकों में भी यही मुद्दा उठता रहा, नतीजतन पार्टी ने हलका बैठकों को बंद करवा दिया।
अभी आप के 20 विधायक हैं। इनमें से दो तिहाई यानी 14 टूट जाते हैं तो छह विधायकों के दम पर पार्टी की हालत कमजाेर हो जाएगी और विधानसभा में नेता विपक्ष का पद भी उसके हाथ से चला जाएगा। अगर अान के 14 विधायक टूट कर शिअद से हाथ मिला लेते हैं तो शिअद के विधायकों की संख्या 29 हो जाएगी। उसे भाजपा के तीन विधायकों का साथ भी है तो ऐसे में शिअद के समर्थक विधायकों की संख्या 32 विधायक हो जाएगी। इसके साथ् ही शिअद के हिस्से में नेता विपक्ष का पद भी आ जाएगा।