Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Jan, 2018 02:54 PM
पंजाब सरकार ने सूबे के 2750 सरकारी प्राइमरी स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम में क्लासों शुरू करने का ऐलान किया है
लुधियाना: पंजाब सरकार ने सूबे के 2750 सरकारी प्राइमरी स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम में क्लासों शुरू करने का ऐलान किया है परन्तु सरकार के इस ऐलान का विरोध भी शुरू हो गया है। इस बार कोई ओर नहीं, बल्कि इंटरनेशनल स्तर के अर्थ शास्त्री और सैंट्रल यूनिवर्सिटी बठिंडा के चांसलर डा. एस. एस. जौहल और प्रसिद्ध साहित्यकार व पंजाब साहित्य कला परिषद के चेयरमैन डा. सुरजीत पातर हैं। दोनों हस्तियों का मानना है कि कम से कम तीसरी कक्षा तक बच्चे को उसकी मातृ भाषा में ही शिक्षा दी जानी चाहिए। डा. जौहल ने साफ कर दिया है कि वह इसके लिए सूबे के अलग -अलग हिस्सों में कनवैन्शन भी करवाएंगे और सरकार को इसके साईड इफैक्ट भी बताएंगे। पंजाबी साहिब अकादमी समेत सभी साहित्यकार और विद्वान भी इसके विरोध में आ गए हैं।
डा. सरदारा सिंह जौहल का कहना है कि यू. एन. ओ. की कई रिपोर्टों के साथ-साथ मनोचिकित्सकों की भी रिपोर्ट हैं कि बच्चे को कम से कम तीसरी कक्षा तक सिर्फ मातृ भाषा में ही शिक्षा दी जानी चाहिए और चौथी कक्षा से राष्ट्रीय भाषा को जोड़ा जाना चाहिए। इसके बाद 7वीं कक्षा से ही अन्य भाषाओं को पढ़ाया जाना चाहिए। डा. जौहल का कहना है कि सरकार कई नीतियां बनाने समय माहिरों की रिपोर्ट को नजर अंदाज कर देती है। उन्होंने कहा कि बच्चा सबसे जल्दी अपनी, भावनाएं मातृ भाषा में बयां करता है और उतनी ही आसानी से दूसरे की भावनाओं को समझ सकता है जबकि अन्य भाषाओं को समझने के लिए उसका मानसिक विकास होना जरूरी है। ऐसी परिपक्ता बच्चो में 7वीं कक्षा तक जाने पर आती है।