सोशल मीडिया के जरिए भारतीय युवकों को फंसा रही ISI

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Oct, 2017 03:09 PM

isi is trapping indian youth through social media

इंटरनैट के अच्छे प्रभाव के साथ-साथ बुरे प्रभावों के कारण लोग फेसबुक व व्हाटसएप के गुलाम बनकर रह गए हैं। ऐसे नौजवानों को पाकिस्तानी खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. अपने जाल में फंसा रही है। महिला जासूसों के जरिए भारतीय नौजवानों से जानकारियां हासिल कर रही है।

अमृतसर (नीरज): इंटरनैट के अच्छे प्रभाव के साथ-साथ बुरे प्रभावों के कारण लोग फेसबुक व व्हाटसएप के गुलाम बनकर रह गए हैं। ऐसे नौजवानों को पाकिस्तानी खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. अपने जाल में फंसा रही है। महिला जासूसों के जरिए भारतीय नौजवानों से जानकारियां हासिल कर रही है।

मुंबई निवासी भारतीय कैदी इंजीनियर हामिद अंसारी का केस भी कुछ इसी से मिलता-जुलता है। वह फेसबुक पर एक पाकिस्तानी लड़की से प्यार कर बैठा और अफगानिस्तान का बार्डर क्रास करके पाकिस्तान पहुंच गया।  लड़की के रूप में उसे पाकिस्तानी खुफिया एजैंसीं के अधिकारी मिले और हामिद को गिरफ्तार कर लिया गया। हामिद का केस उन लोगों के लिए एक अच्छा सबक है जो रात-दिन फेसबुक व व्हाट्सएप पर व्यस्त रहते हैं और चैटिंग करते रहते हैं। इसलिए हमें इससे सबक लेने की जरूरत है।

जीनत को भारतीय कैदी की मदद करना पड़ा था महंगा
पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. भारतीय कैदियों व भारतीय कैदियों की मदद करने वाले लोगों का क्या हाल करती है इसका जिंदा सबूत पाकिस्तानी पत्रकार जीनत शहजादी का केस है। पाकिस्तानी लड़की के प्यार के चक्कर में अफगानिस्तान बार्डर के जरिए अवैध रूप से पाकिस्तान जाने वाले मुंबई निवासी इंजीनियर हामिद अंसारी की मदद करने वाली पाकिस्तानी महिला पत्रकार जीनत शहजादी जो 2 वर्ष लापता होने के बाद अफगानीस्तान बार्डर पर मिल गई है, को पाक में 2 वर्ष तक किडनैप करके रखा गया। इतना ही नहीं, जीनत के छोटे भाई ने भी इस दौरान फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली और उसका सारा परिवार दुखों के पहाड़ के नीचे आ गया। 

2 वर्ष तक कहां रखी गई थी जीनत
पाकिस्तानी खुफिया एजैंसी ने भारतीय कैदी इंजीनियर हामिद अंसारी के जासूस होने का दावा किया और कई महीनों तक थर्ड डिग्री भी दी लेकिन वह नहीं टूटा। जब हामिद के माता-पिता को इसका पता चला तो उन्होंने भारत सरकार के अलावा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज व अन्य बड़े नेताओं तक पहुंच की लेकिन पाकिस्तान की महिला पत्रकार जीनत शहजादी ने हामिद की मदद करने के लिए पहल की और उसका केस मानवाधिकार आयोग पाकिस्तान में दायर कर दिया। इसके अलावा पाकिस्तानी हाई कोर्ट में भी केस दायर कर दिया। इसके कुछ महीनों बाद उसे रहस्यमयी परिस्थितियों में गायब कर दिया गया। जीनत की तलाश के लिए जब मीडिया में आवाज उठी तो अब अफगानिस्तान बार्डर से उसके जिंदा होने के सबूत मिले हैं आखिरकार 2 वर्ष तक उसे कहां रखा गया और उसके साथ क्या किया गया, इसकी जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है। 

मेरा बेटा बेगुनाह : फौजिया अंसारी

भारतीय कैदी इंजीनियर हामिद अंसारी की मां फौजिया अंसारी ने कहा कि उसका बेटा बेगुनाह है। वह पाकिस्तान में जासूसी करने नहीं गया था बल्कि गलती से पाकिस्तान चला गया था। फेसबुक पर वह किसी पाकिस्तानी लड़की से प्यार कर बैठा था। पाकिस्तानी पत्रकार जीनत ने कोई गलत काम नहीं किया था। जीनत ने सारी जांच करने के बाद हामिद का केस लडऩे के लिए मुझसे पॉवर ऑफ अटार्नीली थी और पाकिस्तान कोर्ट में उसकी रिहाई के लिए याचिका दायर की थी लेकिन जीनत को उसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। हामिद को 3 वर्ष की सजा मिली है जो पूरी हो चुकी है लेकिन फिर भी उसे पाकिस्तान रिहा नहीं कर रहा है। भारत सरकार भी हामिद की रिहाई के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा रहीा है। एक बेटे को खोने का अहसास उसी को हो सकता है जिसका बेटा खोया हो।

रॉ के लिए कोई भी जासूसी न करे : पंकज

भारतीय खुफिया एजैंसी रॉ के लिए पाकिस्तान में 18 वर्ष तक जासूसी करने वाले पठानकोट निवासी पंकज कुमार ने इंजी. हामिद अंसारी के मामले पर कहा है कि रॉ के लिए किसी भी नागरिक को पाकिस्तान में जाकर जासूसी नहीं करनी चाहिए। पंकज ने कहा कि पाकिस्तान जब भी किसी भारतीय कैदी को पकड़ता है तो उसे जासूस बताकर अदालत में पेश करता है, बेशक कुछ लोग अनजाने में पाकिस्तान पहुंच जाते हैं लेकिन जो लोग रॉ के लिए जासूसी करने पाकिस्तान जाते हैं उनको रॉ से कोई मदद नहीं मिलती है। 

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