Edited By Updated: 21 Feb, 2017 11:56 AM
नशों से पीड़ित नौजवानों को नशों से मुक्ति दिलाकर उन्हें कुछ दिन पुनर्वास सैंटर (रिहैबलीटेशन सैंटर) में रखकर उनको रोजगार के साथ-साथ तकनीकी जानकारी देने के लिए पंजाब भर में 24 पुनर्वास सैंटर स्थापित किए गए हैं परंतु......
गुरदासपुर (विनोद): नशों से पीड़ित नौजवानों को नशों से मुक्ति दिलाकर उन्हें कुछ दिन पुनर्वास सैंटर (रिहैबलीटेशन सैंटर) में रखकर उनको रोजगार के साथ-साथ तकनीकी जानकारी देने के लिए पंजाब भर में 24 पुनर्वास सैंटर स्थापित किए गए हैं परंतु सभी सैंटर अब लगभग बेकार साबित हो रहे हैं जिनका प्रयोग अब अन्य कार्यों के लिए किया जा रहा है। ऐसा ही एक सैंटर गुरदासपुर में बना है जिस पर जमीन की कीमत के अलावा लगभग 5 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च आया है, परंतु गुरदासपुर में सरकारी स्तर पर चल रहे इस पुनर्वास सैंटर को भी अब सेहत विभाग अन्य कार्यों के लिए प्रयोग कर रहा है, जबकि 50 बैड के इस सैंटर में कभी भी 10 से अधिक नौजवान नहीं ठहरे।
जानकारी अनुसार गुरदासपुर में सरकारी नशा-मुक्ति सैंटर के सामने पुनर्वास सैंटर की इमारत बनाई गई है। नशा-मुक्ति सैंटर तो 10 बैड का है जबकि इस पुनर्वास सैंटर की क्षमता 50 बैड की है। पूरे पंजाब में इस तरह के 24 सैंटर बनाए गए हैं। अमृतसर, जालन्धर, पटियाला, फरीदकोट व भटिंडा में ये पुनर्वास सैंटर 100-100 बैड की क्षमता के हैं जबकि अन्य सभी जिलों में ये 50-50 बैड क्षमता के हैं जबकि सरकारी नशा-मुक्ति सैंटर में 2 या 3 नौजवान ही नशों से मुक्ति पाने के लिए दाखिल होते हैं।
क्या कहते हैं सेहत विभाग के अधिकारी
लगभग 30 साल पहले इस पुनर्वास सैंटर का उद्घाटन पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने किया था, परंतु इस सैंटर में नशों से मुक्ति पाने के बाद दाखिल होने वालों की संख्या कम होने के कारण अब इस पुनर्वास सैंटर में सेहत विभाग गुरदासपुर द्वारा मैडीकल वार्ड, फिजियोथैरेपी वार्ड, दवाइयों के स्टोर सहित 2 लैब्स चलाई जा रही हैं। यही स्थिति पंजाब भर में खोले गए अन्य पुनर्वास सैंटरों की है। सेहत विभाग के अधिकारियों ने अपना नाम गुप्त रखने के आश्वासन पर बताया कि यह योजना केन्द्र सरकार से मिली ग्रांट पर आधारित है जोकि बिना-सोचे समझे बनाई गई है।