Edited By Updated: 20 Feb, 2017 03:30 PM
आटा-दाल योजना के तहत गरीबों को मिलने वाली गेहूं फिलहाल चुनावी मौसम में बंद है, लेकिन इस समय महानगर में फूड सप्लाई विभाग के एक इंस्पैक्टर व एक डिपो होल्डर के बीच विवाद का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।
अमृतसर(नीरज): आटा-दाल योजना के तहत गरीबों को मिलने वाली गेहूं फिलहाल चुनावी मौसम में बंद है, लेकिन इस समय महानगर में फूड सप्लाई विभाग के एक इंस्पैक्टर व एक डिपो होल्डर के बीच विवाद का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा यह है कि इंस्पैक्टर हरप्रीत सिंह (काल्पनिक नाम) डिपो होल्डर लाडी सिंह (काल्पनिक नाम) पर यह दबाव बना रहा था कि उसके एक ट्रक गेहूं की ब्लैक कर दे और 12 रुपए किलो के हिसाब से पेमैंट दे दे, लेकिन डिपो होल्डर ने इंस्पैक्टर की बात मानने से मना कर दिया। इसके बाद दोनों में काफी झगड़ा हुआ।
पता चला है कि डिपो होल्डर ने इसकी शिकायत डी.एफ.एस.सी. से लेकर विजीलैंस विभाग व अन्य अधिकारियों को भेज दी है और इसकी जांच भी शुरू होने जा रही है। जिला अधिकारी पहले ही इसकी जांच करवा रहे हैं।
इंस्पैक्टर ने लगभग 10 लाख रुपए की एक नई कार खरीदी है। इसी विवाद में 3600 लीटर मिट्टी के तेल की भी कहीं पर चर्चा हो रही है, जो कि आश्चर्यजनक है। सवाल यह है कि यदि इस विवाद में कुछ सच्चाई है तो इंस्पैक्टर के पास एक ट्रक गेहूं कहां से आया? 10 लाख रुपए की कार कहां से आई? 3600 लीटर मिट्टी का तेल किसका है? इन सवालों के जवाब संबंधित विभागों के लिए जांच का विषय है।
जांच अधिकारी ने बताया कि मामले की तह तक पहुंचा जाएगा। इस बाबत आर.टी.आई. एक्टिविस्ट व समाज सेवक संजय अग्रवाल ने कहा कि सरकारी अधिकारी अपने विभाग को सूचित करने के बाद ही कार खरीद सकता है और बकायदा विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है, ऐसा कोड भी है। फूड सप्लाई विभाग से सूचना अधिकार कानून में जानकारी मांगी गई है कि क्या सभी कर्मचारियों व अधिकारियों ने अपनी कार व अन्य वाहन खरीदने के लिए संबंधित विभाग से अनुमति ली है लेकिन इसका कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है।