Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Nov, 2017 02:42 PM
आलू का 85 प्रतिशत हिस्सा पानी है। हाल के वर्षों में बंपर फसल के बावजूद सिर्फ सात फीसदी आलू ही प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में जाता है। पहले प्रत्येक दो-चार साल में आलू की फसल किसी बीमारी का शिकार हो जाती थी जबकि अब ऐसा नहीं है।
जालंधरः आलू का 85 प्रतिशत हिस्सा पानी है। हाल के वर्षों में बंपर फसल के बावजूद सिर्फ सात फीसदी आलू ही प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में जाता है। पहले प्रत्येक दो-चार साल में आलू की फसल किसी बीमारी का शिकार हो जाती थी जबकि अब ऐसा नहीं है।
सैंट्रल पोटेटो रिसर्च स्टेशन बादशाहपुर के इंचार्ज और प्रिंसीपल वैज्ञानिक डॉ. राजकुमार ने बताया कि बीमारी का असर नहीं पड़ने के कारण साल दर साल प्रोडक्शन बढ़ रही है पर मार्केट में डिमांड कम है। किसानों को मुंहमांगे दाम नहीं मिल रहे।
रिसर्च स्टेशन के सीनियर टेक्निकल अफसर योगेश कुमार गुप्ता ने बताया कि पुराने समय में लोग खाने-पीने की चीजों को सुखाकर स्टोर कर लेते थे और समय आने उनका इस्तेमाल करते थे। आलू का 85% हिस्सा सिर्फ पानी है।
रिसर्च सेंटर ने एक तकनीक इजाद की है जिससे हम आलू से पानी निकाल लेते हैं। आलू की खूबियां हूबहू बनी रहती हैं। इसे रसोई में दाल और चीनी की तरह डिब्बों में रख सकते हैं। छीलने और धोने का भी झंझट नहीं होता। रसोई में छह महीने से एक साल तक रखा जा सकता है। इसका इस्तेमाल आलू परांठों, पुलाव और सब्जी में किया जा सकता है। साथ ही इससे नूडल और टिक्की भी बनाई जा सकती है। सेंटर ने इस सूखे आलू को अभी बाजार में नहीं उतारा है।
दो डिग्री तापमान पर आलू कुछ समय बाद मीठा होना शुरू हो जाता है। आलू में शामिल स्टार्च ग्लूकोज में तबदील होना शुरू हो जाती है और आलू मीठा हो जाता है। 12 डिग्री पर आलू अंकुरित होना शुरू हो जाता है। डॉ. राजकुमार ने बताया कि अगर हम आलू पर सीआईपीसी केमिकल का स्प्रे कर उसके अंकुरण को रोक सकते हैं।
सर्टीफिकेशन की जरूरत : सिक्की
खडूरसाहिब से कांग्रेस एमएलए रमनजीत सिंह सिक्की खुद दुनिया में आलू के बड़े बीज निर्माताओं में से एक हैं। उन्होंने बताया कि पंजाब में आलू की क्वाॅलिटी को मान्यता देने वाला केंद्र स्थापित किया जा सके। पंजाब आलू उगाने में देश के मोहरी राज्यों में से एक है। ऐसे में अगर किसानों के आलू को अंतर्राष्ट्रीय सर्टीफिकेट अगर मिल जाता है तो वह दुनिया के किसी भी कोने में अपना आलू बेच पाएंगे।