Edited By Updated: 28 Feb, 2017 09:18 AM
इंकम टैक्स विभाग की अलग-अलग टीमों की तरफ से प्रिंसीपल कमिश्नर आर.आई.एस. गिल के निर्देशानुसार ज्वाइंट कमिश्नर उमेश चन्द्रा व अन्य अधिकारियों की टीमों ने पैट्रोल पंप हाईवे फिलिंग स्टेशन व माता लाल देवी फिलिंग स्टेशन पर छापेमारी की है जिसमें विभाग को...
अमृतसर (नीरज) : इंकम टैक्स विभाग की अलग-अलग टीमों की तरफ से प्रिंसीपल कमिश्नर आर.आई.एस. गिल के निर्देशानुसार ज्वाइंट कमिश्नर उमेश चन्द्रा व अन्य अधिकारियों की टीमों ने पैट्रोल पंप हाईवे फिलिंग स्टेशन व माता लाल देवी फिलिंग स्टेशन पर छापेमारी की है जिसमें विभाग को करोड़ों रुपए की अघोषित आय सरैंडर होने की संभावना है। इस कार्रवाई से पहले एक टिंबर मर्चैंट व फिलिंग स्टेशन पर की गई कार्रवाई में एक करोड़ रुपए से अधिक की अघोषित आय सरैंडर हुई थी जबकि इससे पहले वाली कार्रवाई में रणजीत एवेन्यू व बटाला रोड स्थित 2 कारोबारियों ने 65 लाख रुपए की अघोषित आय सरैंडर की।
जानकारी के अनुसार पी.एम. नरेन्द्र मोदी की तरफ से पूरे देश में 8 नवम्बर को लागू की गई नोटबंदी के दौरान उन धन-कुबेरों पर इंकम टैक्स विभाग ने छापेमारी शुरु कर दी है जिन्होंने अपने बैंक खातों में करोड़ों रुपए की राशि जमा करवाई है। दिल्ली हैडक्वार्टर की तरफ से उन बैंक खाताधारकों को मैसेज भेजकर व ई-मेल के जरिए इंकम का सोर्स पूछा जा रहा है। जो व्यक्ति अपना इंकम सोर्स नहीं बताता है उस पर लोकल कमिश्नरेट की तरफ से कार्रवाई की जा रही है क्योंकि दिल्ली हैडक्वार्टर को सही सूचना नहीं दिए जाने के बाद विभाग संबंधित कमिश्नरेट को बैंक में रुपए जमा करवाने वालों का नाम व पता भेज देता है। सरैंडर होने वाले प्रतिष्ठानों को विभाग प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में शामिल कर रहा है। विभागीय सूत्रों से पता चला है कि हाईवे फिलिंग व माता लाल देवी फिलिंग स्टेशन ने नोटबंदी के दौरान अपने बैंक खातों में 2-2 करोड़ रुपए से अधिक की पुरानी करंसी जमा करवाई थी जो विभाग की कार्रवाई के दायरे में आ गई थी।
नोटबंदी के दौरान कुछ पैट्रोल पंप मालिकों ने भी की थी सौदेबाजी
इंकम टैक्स विभाग की तरफ से बैंकों में जमा करवाए गए पुराने नोटों के मामले में अभी तक यह सामने आ चुका है कि जिला अमृतसर के 3 पैट्रोल पंपों पर विभाग कार्रवाई कर चुका है और 1.65 करोड़ रुपऐ की अघोषित आय सरैंडर हो चुकी है। आज भी पैट्रोल पंपों पर ही कार्रवाई जारी है। इस मामले में बताते चलें कि नोटबंदी के दौरान कुछ पैट्रोल पंप मालिकों ने भी जमकर चांदी कूटी थी और काले धन के मालिकों से भारी-भरकम राशि लेकर उनको नई करंसी दी थी। एक लाख रुपए के बदले में 80 हजार रुपए में सौदा होता था।
लोग इंकम टैक्स विभाग से बचने के लिए इस सौदेबाजी में शामिल भी हुए क्योंकि पैट्रोल पंपों की करोड़ों रुपए की लिमिट होती है जिसमें आसानी से काला धन एडजस्ट किया जा सकता है लेकिन बैंकों में जमा की गई राशि का इंकम सोर्स बताना भी जरूरी रहता है। यदि इंकम सोर्स न बताया जाए तो विभाग सर्वे या रेड कर सकता है।
कुछ बैंक अधिकारियों ने भी जम कर की कमाई
करोड़ों रुपए का लेन-देन करने वाले बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने तो नोटबंदी का जमकर फायदा उठाया ही, वहीं कुछ बैंक अधिकारी पीछे नहीं रहे। आर.बी.आई. ने कुछ बड़े बैंक अधिकारियों को सस्पैंड भी किया है। इसके अलावा लोकल स्तर पर कुछ बैंक अधिकारियों की शिकायत हुई थी जिन्होंने बैंक में आया कैश नियमानुसार वितरित नहीं किया।
आम जनता जहां कई-कई दिन ए.टी.एम. की कतारों में धक्के खाती नजर आई वहीं कुछ लोगों को घर बैठे ही बैंकों से नई करंसी मिल जाती थी और इसमें बैंक अधिकारियों को कमीशन दी जाती थी। कई बैंकों के बाहर गुस्साए लोगों ने धरना भी दिया लेकिन उस समय कोई सुनवाई नहीं हुई। जिला प्रशासन भी कुंभकर्णी नींद सोया रहा और बैंकों में छापेमारी करने की किसी ने भी जहमत नहीं उठाई, आम जनता त्राहि-त्राहि करती रही।