Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Oct, 2017 10:41 AM
पुराने समय में गांवों में बने छप्पड़ और छप्पडिय़ां पंजाब के सभ्याचार और विरसे का एक हिस्सा होते थे। जहां इन छप्पड़ों में भरा हुआ पानी पशुओं को पिलाया जाता था वहीं लोग भी साफ...
श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा): पुराने समय में गांवों में बने छप्पड़ और छप्पडिय़ां पंजाब के सभ्याचार और विरसे का एक हिस्सा होते थे। जहां इन छप्पड़ों में भरा हुआ पानी पशुओं को पिलाया जाता था वहीं लोग भी साफ पानी वाले छप्पड़ों में आ कर नहा जाते थे। इन छप्पड़ों के किनारे लगे वृक्षों की छाया गहरी होती थी और ठंडी जगह के कारण लोग यहां आते थे, परंतु समय की बदली हुई चाल के साथ-साथ अब गांवों में से यह छप्पड़ सिकुड़ कर छोटे हो रहे हैं और कई गांवों में छप्पड़ और छप्पडिय़ां लुप्त ही हो गए हैं क्योंकि यह छप्पड़ लोगों की तरफ से किए गए कथित अवैध कब्जों का शिकार हो रहे हैं।
पंचायतें व प्रशासन साबित हो रहे फेल: हैरानी वाली बात तो यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में छप्पड़ों के स्थानों पर लोगों की ओरसे किए गए अवैध कब्जे छुड़वाने में गांवों की पंचायतें, पंजाब सरकार और जिला प्रशासन पूरी तरह फेल साबित हो रहा है। यदि प्रशासन के उच्च अधिकारी कानून की पालना करें और जिन लोगों ने ग्रामीण छप्पड़ों की जगह पर अपने घर डाल लिए हैं, उनके विरुद्ध जोरदार कार्रवाई करें तो फिर ही यह अवैध कब्जे रुक सकते हैं।
पंजाब सरकार अवैध कब्जों की तरफ दे ध्यान
यदि आगे भी यही सिलसिला चलता रहा तो हमारी आने वाली नई पीढ़ी यह भूल जाएगी कि गांवों में छप्पड़ और छप्पडिय़ां भी होते थे। पंजाब सरकार को इस मसले की तरफ गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और छप्पड़ों पर किए गए अवैध कब्जे छुड़वाकर इनका अस्तित्व फिर से बहाल करवाना चाहिए।
छप्पड़-छप्पडिय़ों वाले स्थानों पर बस गए घर
अनेकों ऐसे गांव हैं जहां छप्पड़ों के स्थानों पर लोगों ने धड़ाधड़ कब्जे कर लिए हैं। इन कब्जा धारियों में गरीब वर्ग के लोगों के साथ-साथ सरमाएदार लोग भी शामिल हैं, जिस कारणछप्पड़ों वाले स्थानों पर अब घर बस गए हैं और अन्य अवैध कब्जे अभी जारी हैं।
वोटों का राज व सियासी ताना-बाना होने के कारण न तो किसी गांव की पंचायत ही छप्पड़ों पर हुए इन अवैध कब्जों के विरुद्ध आवाज उठा रही है और न ही समय की सरकारों के साथ संबंधित राजनैतिक नेता इस तरफ कोई जोर लगा रहे हैं।