संसद तक पहुंच चुकी हैं इन महिलाओं के शरबत की गूंज

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Oct, 2017 03:24 PM

hoshiarpurs desi rose shrbat

कहते है यदि मन में कुछ करने का जज्बा हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किल भी पल भर में पार हो जाती है। ऐसा ही कुछ होशियारपुर के छोटे से गांव मैली

होशियारपुरः कहते है यदि मन में कुछ करने का जज्बा हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किल भी पल भर में पार हो जाती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया होशियारपुर के छोटे से गांव मैली के संध्या सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं ने। 

 

जानकारी के अनुसार जिले के ब्लॉक माहिलपुर के गांव मैली में महिलाओं की ओर से चलाए जा रहे सैल्फ हैल्प ग्रुप की गूंज संसद के साथ साथ देश विदश तक सुनाई दे रही है। दरअसल,  इसी साल मार्च महीने में उन्होंने पीएयू के जरिए संसद भवन में रोज शरबत की 542 बोतलें भिजवाईं। इस शरबत की खासियत यह है कि ये आर्गेनिक तरीके से उगाए गुलाब के फूलों से बनाया गया है। इतना ही नहीं शरबत के साथ उनके बनाए अचार, मुरब्बा की डिमांड कैनेडा कुवैत में रहते एनआरआई में भी खूब है। 

 

ग्रुप की प्रधान विनाेद कुमारी शाह बताती है कि 12वीं के बाद वह फ्री थी तो उसने कुछ अलग काम करने का सोचा। गांव पिछड़ा था और आर्थिक तौर पर भी इतना समर्थ नहीं कि इनवेस्टमेंट कर कुछ कर सकें। 2005 में  गांव की 14 महिलाओं का ग्रुप बनाया, जो काम की तलाश में थी। इसी बीच गांव में देखा गया कि आम, संतरा, नींबू आदि पेड़ से टूटकर बर्बाद हो रहे हैं तो सोचा क्यों ना इस पर काम किया जाए। हम सभी ने मिलकर कृषि विज्ञान केंद्र में अचार, चटनी, स्क्वैश, मुरब्बा की ट्रेनिंग ली और बनाने लगीं।  इसी बीच हमारे गांव को आर्गेनिक तरीके से फूल उगाने के लिए चुना गया तो हमारे ग्रुप ने शरबत बनाना शुरू कर दिया। अब गांव में आर्गेनिक तरीके से दाल, हल्दी, फूल, चने आदि उगाए जाते हैं। विनोद कुमारी का कहना है कि महीने में 40 हजार रुपए कमा लेते हैं।

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