Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Sep, 2017 11:20 AM
जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों में शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की मानो होड़-सी लगी हुई है।
जालन्धर (अमित, राज): जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों में शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की मानो होड़-सी लगी हुई है। शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के बड़े-बड़े दावे करने वाले अधिकारियों को शायद शहर के बीचों-बीच लगभग पूरी तरह से उजड़ चुकी ग्रीन बैल्ट दिखाई ही नहीं देती, जिसके चलते स्मार्ट सिटी बनाने का सपना साकार होना मुश्किल प्रतीत हो रहा है।
जालन्धर शहर की लाइफ लाइन कही जाने वाली पुरानी जी.टी. रोड (पटेल चौक से सूरानुस्सी को जाने वाली सड़क) के दोनों ओर कई वर्ष पहले पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने के लिए ग्रीन बैल्ट को खूबसूरती के साथ सजाया गया था। इस ग्रीन बैल्ट में जगह-जगह लोहे और सीमैंट की ग्रिलिंग कर इनके अंदर घास लगा कर पौधे लगाए गए थे।
इस सड़क के दोनों तरफ बने छोटे-छोटे पार्कों की खूबसूरती देखते ही बनती थी, लेकिन कुछ वर्ष गुजरने के बाद बड़े चाव से लगाए गए खूबसूरत पेड़-पौधों का सही ढंग से रख-रखाव न करने से यह सुंदर बाग बगीचे वाली ग्रीन बैल्ट उजडऩी शुरू हो गई। बड़ी हैरानी वाली बात है कि नगर निगम का बागवानी विभाग पिछले कई वर्षों से कुभकर्णी नींद सोया है, जिस कारण शहर की लाइफ लाइन कही जाने वाली पुरानी जी.टी. रोड शहर की खुबसूरती को दागदार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही।
पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने के लिए एक तरफ तो सरकार और जिला प्रशासन द्वारा रोजाना पौधे लगाने का प्रचार किया जा रहा है, परन्तु दूसरी तरफ नगर निगम के बागवानी विभाग ने लापरवाही करते हुए बनी बनाई इस ग्रीन बैल्ट को उजाड़ कर रख दिया। जिस इलाके की ग्रीन बैल्ट उजड़ चुकी है उसके आस-पास वाले इलाके का चयन स्मार्ट सिटी विकसित करने के लिए हुआ है और इस इलाके में पेड़-पौधों की हुई बर्बादी अपने आप में कई सवाल खड़े करती है।