Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Nov, 2017 10:49 AM
पंजाब में पिछले कुछ वर्षों दौरान गैंगस्टर कल्चर तेजी से बढ़ा है और गैंगस्टर्स से जुड़ी वारदातें व गैंग सरगनाओं की आपसी मारामारी की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। ऐसी घटनाओं को लेकर जहां जनता दहशत में रही है वहीं राजनीतिक तौर पर भी अक्सर चिंता जताई जाती...
चंडीगढ़(रमनजीत सिंह): पंजाब में पिछले कुछ वर्षों दौरान गैंगस्टर कल्चर तेजी से बढ़ा है और गैंगस्टर्स से जुड़ी वारदातें व गैंग सरगनाओं की आपसी मारामारी की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। ऐसी घटनाओं को लेकर जहां जनता दहशत में रही है वहीं राजनीतिक तौर पर भी अक्सर चिंता जताई जाती रही है। हालांकि पिछली अकाली-भाजपा सरकार द्वारा भी गैंगस्टर कल्चर को खत्म करने के लिए सख्त कानून लाने की कोशिश की गई थी लेकिन वह प्रयास बीच में ही दम तोड़ गया था। अब पंजाब में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस पार्टी सत्तासीन हुई है और कै. अमरेंद्र सिंह द्वारा पकोका को जल्द लागू करने का ऐलान किया गया है। वहीं महाराष्ट्र के ‘मकोका’ एक्ट की तर्ज पर अब यहां ‘पकोका’ (पंजाब कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) तैयार किया गया है जिसे कानूनी पेचीदगियों के लिए जांचा जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि पंजाब में अगर यह कानून बन जाता है तो गैंगस्टर कल्चर के साथ-साथ नशे पर भी पूरी तरह लगाम लगाने का हथियार पुलिस के हाथ आ जाएगा।
पुलिस का सिरदर्द बने गैंगस्टरों पर लगाम की तैयारी
पंजाब में कई खतरनाक गिरोह हैं जिन्हें पंजाब पुलिस के विभिन्न विंग्स द्वारा ट्रेस करके उनका पूरा ब्यौरा तैयार किया गया है। पंजाब में इस तरह के कोई 57 गिरोहों की शिनाख्त की गई जिनके 423 मैंबर बताए गए। आलम यह है कि पंजाब पुलिस द्वारा गैंगस्टर्स की एक बुकलैट तैयार करवाकर सभी जिलों में भेजी गई थी ताकि समन्वयता के साथ इन गैंगस्टर्स पर कार्रवाई हो सके। यही नहीं, ऐसे गिरोहों को राजनीतिक व पुलिसिया मदद मिलने की खबरें भी चर्चा में रहीं। शायद यही कारण था कि 2010 से 2016 तक गैंगस्टर गिरोहों से जुड़े करीब 55 मामले अदालतों तक पहुंचे लेकिन उनमें से एक में भी सजा नहीं हुई और गैंगस्टर आसानी से बरी हो गए। ठीक ऐसे ही 1996 से लेकर 2016 तक के वर्षों में ऐसे गिरोहों के खिलाफ 105 मामले अदालतों में गए, जिनमें से केवल 10 में ही सजा हुई जबकि 95 मामलों में दोषी बरी हो गए। गैंगस्टरों के बरी होने में पुलिसिया जांच और गवाहों का मुकरना या बयान बदल लेना बड़ी वजह रही।
क्या है ‘पकोका’
पंजाब सरकार गुंडागर्दी और अपराधों पर काबू पाने के लिए पंजाब कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (पकोका) को लागू करने की तैयारी कर रही है। इस एक्ट में ऐसे प्रावधान समाहित हैं जिनसे पंजाब में बढ़े गैंगस्टर कल्चर को काबू करने में पुलिस के हाथ सख्त हो जाएंगे। आई.पी.सी. के अधीन बने कानूनों के मुताबिक पुलिसिया पूछताछ दौरान अपराधी द्वारा किए गए इकबालिया बयान को अदालत में मान्यता नहीं मिलती जबकि ‘पकोका’ लागू होने के बाद एक्ट के तहत तय रैंक के पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में अपराधी द्वारा किया कबूलनामा अदालत में भी मान्य होगा। ऐसे ही कुछ अन्य प्रावधान हैं जो पुलिस को और मजबूत बनाने का काम करेंगे जिनमें ये शामिल हैं।
1.सरकार को गैंगस्टर या और अपराधियों को 1 या 2 साल तक बिना जमानत नजरबंद रखे जाने का अधिकार मिलेगा।
2.किसी भी दोषी की ओर से डी.एस.पी. स्तर के अधिकारी के सामने दिए गए इकबालिया बयान को ही सही मानने की भी धारा है।
3.बंद कमरे में अदालती कार्रवाई और विशेष अदालतें बनाने का अधिकार होगा।
4. दोष सिद्ध होने के बाद 5 वर्ष से उम्रकैद या फांसी तक की सजा और आर्थिक जुर्माना।
5. डी.आई.जी. या इससे ऊपरी रैंक के अधिकारी को किसी भी ‘पकोका’ अपराधी को इसकी धाराओं से बाहर करने का अधिकार भी मिलेगा।
6.पुलिस द्वारा एकत्र किए सारे इलैक्ट्रॉनिक सबूतों को 10 वर्ष तक गवाह के तौर पर मानने का प्रावधान होगा, यानी पुलिस इलैक्ट्रॉनिकली, टैलीफोनिक, वायर्ड या अनवायर्ड किसी भी तरह के कम्यूनिकेशन को सर्विलांस कर सकेगी।
यह कानून मकोका की तर्ज पर बनाए जाने की चर्चा है जो महाराष्ट्र सरकार ने 1999 से लागू किया है। मकोका लागू होने के बावजूद भी एन.सी.आर.बी. (19 अगस्त, 2015) की रिपोर्ट अनुसार महाराष्ट्र अपराध और गुंडागर्दी के एक वर्ष में 2,49,834 दर्ज मामलों के साथ देश का दूसरा सबसे ज्यादा अपराधों वाला राज्य रहा है जबकि पंजाब सरकार दावा कर रही है कि पकोका आने के साथ गैंगस्टरों पर नकेल कसी जाएगी।