नाजायज किराए के रूप में वसूले गए 84 लाख रुपए वापस मिले : भट्ठल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Sep, 2017 08:52 AM

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पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री रजिन्द्र कौर  भट्ठल ने आम आदमी पार्टी के नेता सुखपाल सिंह खैहरा पर आज पलटवार करते हुए कहा है कि पूर्व अकाली सरकार द्वारा उनसे नाजायज तौर पर कोठी के किराए के रूप में वसूले गए 84 लाख रुपए की राशि मौजूदा कैप्टन सरकार द्वारा...

जालंधर  (धवन): पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री रजिन्द्र कौर  भट्ठल ने आम आदमी पार्टी के नेता सुखपाल सिंह खैहरा पर आज पलटवार करते हुए कहा है कि पूर्व अकाली सरकार द्वारा उनसे नाजायज तौर पर कोठी के किराए के रूप में वसूले गए 84 लाख रुपए की राशि मौजूदा कैप्टन सरकार द्वारा उन्हें वापस की गई है। 


सरकारी खजाने पर इसका कोई बोझ नहीं डाला गया है।  खैहरा ने कल कैप्टन सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने भट्ठल को सरकारी खजाने से 84 लाख रुपए का भुगतान किया है, जिसका जवाब देते हुए  भट्ठल ने कहा कि पंजाब विधानसभा के आम चुनाव के समय सरकार ने उन्हें चुनाव लडऩे के लिए एन.ओ.सी. देने से मना कर दिया था तथा उन पर दबाव डालकर 84 लाख रुपए की वसूली किराए के रूप में करवाई गई थी जबकि पंजाब सरकार पहले ही स्टेट कोर्ट में अपना केस हार चुकी थी। 


चूंकि उन्होंने चुनाव लडऩा था तथा एन.ओ.सी. सरकार से हासिल करनी थी, इसलिए उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर 84 लाख रुपए की राशि जमा करवा कर एन.ओ.सी. ले ली थी। सत्ता परिवर्तन होने के बाद उन्होंने कैप्टन सरकार से गुहार लगाई थी कि पूर्व अकाली सरकार द्वारा उनसे की गई ज्यादती को देखते हुए उनसे नाजायज वसूला गया किराया वापस किया जाए, जिसके बाद पंजाब कैबिनेट ने इस पर गौर करने तथा कानूनी राय लेने के बाद उनका 84 लाख रुपया वापस करने का फैसला लिया।  भट्ठल ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते वह चंडीगढ़ में कोठी नं. 46 में सुरक्षा कारणों से रह रही थीं। उन्हें ही नहीं बल्कि अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी सरकार ने चंडीगढ़ में सुरक्षा कारणों से कोठियां अलाट की हुई थीं। 


पूर्व अकाली सरकार ने तब उन्हें कोठी नं. 46 छोडऩे के लिए कहा तथा उन्हें नई कोठी नं. 8 अलाट कर दी। नई कोठी अलाट होते ही उन्होंने पुरानी कोठी नं. 46 को एक सप्ताह के भीतर खाली कर दिया था। बाद में पूर्व अकाली सरकार ने उन पर 84 लाख का किराया निकाल दिया। यह मामला स्टेट कोर्ट में गया तो उसमें सरकार को हार मिली परन्तु चुनाव निकट होने के कारण सरकार ने उनसे यह राशि सरकारी खजाने में जमा करवा ली थी।

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