Edited By Updated: 03 Mar, 2017 10:47 AM
पंजाब विधानसभा चुनावों के बाद केंद्र और पंजाब सरकार के खुफिया तंत्र के अलावा अलग-अलग सर्वे और मीडिया रिपोर्टों से यह बात उभर कर सामने आई थी
पटियाला (राजेश) : पंजाब विधानसभा चुनावों के बाद केंद्र और पंजाब सरकार के खुफिया तंत्र के अलावा अलग-अलग सर्वे और मीडिया रिपोर्टों से यह बात उभर कर सामने आई थी कि पंजाब में अकाली-भाजपा गठजोड़ का सूपड़ा साफ हो जाएगा और सरकार कांग्रेस या आम आदमी पार्टी की बनेगी। चुनावों से ठीक 2 दिन पहले डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख द्वारा अकाली-भाजपा गठजोड़ की हिमायत करने के कारण यह संभावना पैदा हो गई थी कि पंजाब में त्रिशंकु विधानसभा भी बन सकती है और किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिलने के कारण राष्ट्रपति शासन भी लग सकता है।
इसको लेकर अकाली-भाजपा के वर्कर वोटिंग के बाद ही मायूस हो गए थे। अब चुनाव नतीजों के ऐलान के 10 दिन पहले ही दिल्ली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डी.एस.जी.पी.सी.) के चुनावों में अकाली दल की शानदार जीत से पंजाब के अकाली-भाजपा वर्करों के मुर्झाए चेहरों पर रौनक छा गई है। चुनाव नतीजों के बाद ही वर्करों ने कहना शुरू कर दिया है कि अकाली-भाजपा फिर से सरकार बनाएगी। इस दौरान यह तर्क दिए जा रहे हैं कि डेरा सच्चा सौदा सिरसा, डेरा ब्यास, डेरा सचखंड बल्लां, दिव्य ज्योति जागृति संस्थान नूरमहल, संत हरनाम सिंह की अगुवाई वाले संत समाज समेत पंजाब के कुल 5 से लेकर 8 तक ऐसे डेरे हैं, जिन्होंने अकाली दल की डट कर हिमायत की है। ऐसे में अकाली दल के वर्करों को उम्मीद हो गई है कि इसका अकाली दल को लाभ मिलेगा व अकाली-भाजपा गठजोड़ तीसरी बार अपनी सरकार बनाने में सफल होगा।