Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 May, 2017 07:15 AM
पूर्व यू.पी.ए. सरकार के समय जम्मू-कश्मीर के चकान दा बाग व स्लामाबाद में पाकिस्तान आक्यूपाइड कश्मीर के साथ शुरू हुए बार्टर ट्रेड की एन.आई.ए. (राष्ट्रीय सुरक्षा एजैंसी) जांच कर रही है। कई हवाला कारोबारियों को भी गिरफ्तार किया गया है।
अमृतसर (नीरज): पूर्व यू.पी.ए. सरकार के समय जम्मू-कश्मीर के चकान दा बाग व स्लामाबाद में पाकिस्तान आक्यूपाइड कश्मीर के साथ शुरू हुए बार्टर ट्रेड की एन.आई.ए. (राष्ट्रीय सुरक्षा एजैंसी) जांच कर रही है। कई हवाला कारोबारियों को भी गिरफ्तार किया गया है। यह जांच इंडो-फॉरेन चैंबर ऑफ कॉमर्स की तरफ से लगाए गए आरोपों के बाद शुरू हुई है। बार्टर ट्रेड में पाकिस्तान से प्रतिबंधित अमरीकन गिरी भारी मात्रा में भेजी जा रही है, जबकि पाकिस्तान को केला एक्सपोर्ट किया जा रहा है जिन्हें अमृतसर स्थित इंटैग्रेटिड चैक पोस्ट से नहीं किया जा सकता है। पाकिस्तान ने चाइनीज वस्तुएं भी इसी रूट से भेजनी शुरू कर दी हैं। इसके खिलाफ ड्राईफ्रूट व्यापारियों की संस्था इंडो-फॉरेन चैंबर ऑफ कॉमर्स ने दिल्ली हाईकोर्ट में केन्द्र सरकार के खिलाफ याचिका भी दायर की है। इंडो-फॉरेन चैंबर ऑफ कॉमर्स के अनुसार इससे 50 अरब का ड्राईफ्रूट कारोबार प्रभावित हो गया है।
जम्मू-कश्मीर में जी.एस.टी. नहीं, ड्राईफ्रूट व गिरी पर 12 प्रतिशत टैक्स
केन्द्र सरकार पूरे देश में जी.एस.टी. लागू कर रही है। ड्राईफ्रूट व गिरी पर 5 प्रतिशत टैक्स है जिसे जम्मू-कश्मीर सरकार ने बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया है। वहीं जम्मू-कश्मीर में जी.एस.टी. लागू नहीं है। आई.सी.पी. के जरिए
ड्राईफ्रूट का आयात करने वाले व्यापारियों को कस्टम ड्यूटी अदा करनी पड़ती है जबकि जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड में कोई कस्टम ड्यूटी नहीं है।
आई.सी.पी. अटारी पर 242 करोड़ की ड्यूटी वसूली
जम्मू-कश्मीर का बार्टर ट्रेड आई.सी.पी. अटारी के जरिए होने वाले आयात-निर्यात के लिए भी बड़ा खतरा है और सरकार को भी रैवेन्यू के रूप में अरबों रुपए का चूना लगा है। आई.सी.पी. अटारी के जरिए होने वाले आयात पर कस्टम विभाग ने 242 करोड़ रुपए की ड्यूटी वसूली है जबकि जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड में न तो कोई ड्यूटी है और न ही किसी प्रकार का टैक्स है। इस मामले की गंभीरता के बारे में सरकार को सख्ती के साथ सोचना चाहिए और सख्त एक्शन भी लेना चाहिए।
बार्टर ट्रेड सिस्टम एक नजर में
पाकिस्तान आक्यूपाइड कश्मीर व भारतीय कश्मीर के लोग आपस में जरूरी वस्तुओं का आदान-प्रदान कर सकें इसके लिए यू.पी.ए. सरकार ने बार्टर ट्रेड शुरू किया था। बार्टर ट्रेड के बारे में बता दें कि हजारों वर्ष पहले वस्तुओं की अदला-बदली के जरिए कारोबार होता था जिसमें यदि कोई व्यापारी 50 किलो बादाम खरीदता है तो बेचने वाले व्यापारी को खरीदी गई रकम जितनी कोई दूसरी वस्तु देनी होती है।
आई.सी.पी. की तरह वसूल हो कस्टम ड्यूटी
व्यापारी मांग कर रहे हैं कि या तो बार्टर सिस्टम बंद किया जाए या फिर आई.सी.पी. अमृतसर की तरह कस्टम ड्यूटी वसूल करते हुए रैगुलर किया जाए। चकांन दा बाग, रावलकोट, जम्मू व स्लामाबाद, चकोटी (श्रीनगर)के रास्ते बार्टर ट्रेड की आड़ में अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं के अलावा प्रतिबंधित अमरीकन गिरी भी आ रही है जो 50 अरब के ड्राईफ्रूट कारोबार को खोखला कर रही है। पाकिस्तान में अमरीकन गिरी की पैदावार नहीं होती है लेकिन पाकिस्तानी व्यापारी जम्मू-कश्मीर बार्टर ट्रेड की आड़ में अमरीकन गिरी भी भारत भेज रहे हैं। इसके अलावा चाइनीज वस्तुओं को भी बार्टर ट्रेड की आड़ में भारत भेजा जा रहा है। चाइनीज लहसुन पकड़ा भी जा चुका है। इतना ही नहीं, बार्टर ट्रेड में हवाला के जरिए भी भुगतान किया जा रहा है। इस संबंध में व्यापारियों की तरफ से पी.एम. मोदी व वित्त मंत्री अरुण जेतली को भी शिकायत की गई है। हाल ही में अमृतसर से सांसद श्वेत मलिक को भी अपील की गई है कि बार्टर ट्रेड बंद किया जाए क्योंकि यह ट्रेड आई.सी.पी. अटारी के जरिए होने वाले कारोबार को खोखला कर रहा है।
600 रुपए किलो बादाम की गिरी का बार्टर ट्रेड में दाम 100 रुपए किलो
इंडो-फॉरेन चैंबर ऑफ कॉमर्स के अनुसार जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड में इससे ज्यादा गड़बड़ी और क्या हो सकती है कि बादाम की गिरी जिसकी पूरे देश में कीमत 600 रुपए किलो है,की कीमत बार्टर ट्रेड में 100 रुपए किलो चल रही है। व्यापारियों का आरोप है कि बाकी की राशि पाकिस्तान को हवाला के जरिए अदा की जा रही है।