Edited By Updated: 28 Apr, 2017 02:24 PM
ऋण माफी का मामला कैप्टन को काफी महंगा पड़ने वाला है
चंडीगढ़ः ऋण माफी का मामला कैप्टन को काफी महंगा पड़ने वाला है क्योंकि पंजाब के कृषि क्षेत्र में मुख्य ऋण की कुल रकम 62,931 करोड़ रुपए है। इस कारण अब पंजाब सरकार ऋण माफी की बजाय कर्ज राहत का रास्ता चुन सकती है।
डा. टी हक के नेतृत्व वाला माहिरों का तीन सदस्यीय ग्रुप जब शुक्रवार को मुलाकात कर रहा था तो सूबा सरकार और ‘स्टेट स्तर बैंकरज समिति ’ (एस.एल.बी.सी) के पास किसानी ऋण के हैरान कर देने वाले आंकड़े सामने अाए जिसमें पंजाब का कृषि ऋण 77,684 करोड़ रुपए दिखाया गया। इसमें से 14,753 करोड़ रुपए अवधि ऋण
है। इस का मतलब है कि मुख्य ऋण 62,931 करोड़ रुपए है, जो 30.23 लाख किसानों ने लिया। इसमें से 54,521 करोड़ रुपए ‘किसान कर्ज़ कार्डों ’ के द्वारा लिया गया।
खास बात यह है कि यह बैंकों से लिया ऋण है, जबकि आढतियों से लिए ऋण की कुल हद तो अभी तक पता नहीं लगी। सरकारी सूत्रों ने कहा कि बैंकरज ने स्पष्ट संकेत दिया कि सूबा सरकार पंजाब के ऋण माफी की डावांडोल स्थिति को देखते भार उठाने की हालत में नहीं है।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि इसे ध्यान में रखते सूबा सरकार उत्तर प्रदेश की योगी अदित्यानाथ सरकार की तर्ज़ पर ऋण माफी की जगह ऋण राहत का विधि अपना सकती है। हालांकि पंजाब में ऋण राहत की हद उत्तर प्रदेश की अपेक्षा ज़्यादा होगी।संपर्क करने पर डा. टी हक ने कहा कि माहिरों के ग्रुप की कल पहली मीटिंग है, जिस में हर कोई इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए अपने विचार रखेगा। इस बारे कल कुछ आधिकारियों के साथ भी चर्चा होगी।