Edited By Updated: 05 Dec, 2016 05:41 PM
मोदी सरकार की नोटबंदी का सामाजिक रिश्तों पर घातक असर पडऩा शुरू हो गया है। नोटबंदी ने दुकानदार-होलसेलर व दुकानदार-ग्राहक के रिश्ते में दरार पैदा करनी शुरू कर दी है।
नोटबंदी के 26 दिन बीतने के बावजूद शैहणा में कैश का मसला हल नहीं हो रहा है। लोग सुबह...
बरनाला(ब्यूरो): मोदी सरकार की नोटबंदी का सामाजिक रिश्तों पर घातक असर पडऩा शुरू हो गया है। नोटबंदी ने दुकानदार-होलसेलर व दुकानदार-ग्राहक के रिश्ते में दरार पैदा करनी शुरू कर दी है।
नोटबंदी के 26 दिन बीतने के बावजूद शैहणा में कैश का मसला हल नहीं हो रहा है। लोग सुबह से लाइनों में लग जाते हैं।
दूसरी ओर होलसेलर ने दुकानदारों से अपनी राशि वापस मांगनी शुरू कर दी है। होलसेलर अपने पैसे मांग रहा है । कई स्थानों पर पुराने ग्राहक-दुकानदार वाले रिश्ते टूटने शुरू हो गए हैं। कर्मचारी-पैंशनरों को भी अपने मासिक वेतन, पैंशन नहीं मिल रही है। बैंक में कई घंटे लाइन में लगने के बाद 2000 रुपए ही मिलते हैं। बाजारों में 50 प्रतिशत कार्य कम हो गया है। बाजार भी सुनसान पड़े हैं। दुकानों में 50 प्रतिशत सामान भी समाप्त हो गया है। एक दुकानदार राजेश कुमार ने बताया कि होलसेलर को 20 चीजें लिखवाओ तो केवल 8 ही मिलती हैं। कुल मिलाकर बाजारी कार्य तहस नहस हो गया है।