पहले नोटबंदी अब महंगाई ने निकाला जनता का कचूमर

Edited By Updated: 04 Dec, 2016 02:04 PM

currency shortage

एक तरफ जहां नोटबंदी के फैसले के बाद समूचा कामकाज प्रभावित होकर रह गया है, वहीं लोगों की प्रारंभिक जरूरतों में शामिल खान-पान की वस्तुओं पर इसका असर ज्यादा पड़ता दिखाई नहीं दे रहा।

मोगा(ग्रोवर): एक तरफ जहां नोटबंदी के फैसले के बाद समूचा कामकाज प्रभावित होकर रह गया है, वहीं लोगों की प्रारंभिक जरूरतों में शामिल खान-पान की वस्तुओं पर इसका असर ज्यादा पड़ता दिखाई नहीं दे रहा। दुकानदारों ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि वे करियाना का सामान पहले की तरह ही मंगा रहे हैं, लेकिन सामान को नोटबंदी के कारण कुछ लोग उधार, पेटीएम तथा अन्य विधियों द्वारा खरीदते हैं।

वहीं सरकार द्वारा देसी घी व रसोई में इस्तेमाल होने वाली अन्य सामग्री के बढ़ाए कथित रेटों संबंधी मिली जानकारी के उपरांत विवरण हासिल करने के लिए जब ‘पंजाब केसरी’ द्वारा बाजारों में करियाना की दुकानों व स्टोरों का दौरा किया गया तो यह तथ्य उभर कर सामने आया कि नोटबंदी का करियाना के कारोबार पर असर तो जरूर पड़ा है, लेकिन लोग इस समस्या का हल अलग-अलग ढंग से कर रहे हैं। 
दाना मंडी स्थित एक होलसेल करियाना दुकानदार ने कहा कि नोटबंदी के बाद जहां कारोबार पहले ही प्रभावित था, वहीं दिन-प्रतिदिन वस्तुओं के बढ़ रहे रेट के कारण रोजाना की बिक्री पर असर पड़ता है, लेकिन खान-पान की वस्तुओं की लोगों द्वारा खरीदारी की जाती है। दूसरी तरफ, जब आम जनता से आज बढ़े रेटों के बारे में बातचीत की तो हरेक द्वारा जहां नोटबंदी के फैसले पर सरकार की प्रशंसा की गई, वहीं सरकार द्वारा वस्तुओं में की जा रही महंगाई के कारण सरकार के प्रति निराशा भी पाई गई।

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