Edited By Updated: 16 Mar, 2017 05:03 PM
पंजाब विधानसभा चुनावों में ‘आप’ की तुलना में इस बार कांग्रेस की रणनीति दमदार व बेहतर रही। चुनावी अभियान के अंतिम चरणों में जहां एक तरफ आम आदमी पार्टी बिखराव की तरफ बढ़ती चली गई तो दूसरी तरफ कांग्रेस एकजुट दिखाई दी।
जालन्धर(धवन): पंजाब विधानसभा चुनावों में ‘आप’ की तुलना में इस बार कांग्रेस की रणनीति दमदार व बेहतर रही। चुनावी अभियान के अंतिम चरणों में जहां एक तरफ आम आदमी पार्टी बिखराव की तरफ बढ़ती चली गई तो दूसरी तरफ कांग्रेस एकजुट दिखाई दी। कांग्रेस का चुनावी अभियान अंतिम दिनों में शिखर पर था।आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव से 72 घंटे पहले काफी घातक सिद्ध हुए। हिंदुओं तथा उदारवादी सिखों ने आम आदमी पार्टी को त्यागने तथा कांग्रेस का दामन थामने का निर्णय लिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा एक विवादास्प्रद आतंकी रहे व्यक्ति के घर में रात ठहरने तथा मौड़ में हुए बम धमाके ने चुनावी परिदृश्य को पूरी तरह से बदल कर रख दिया था।
आम आदमी पार्टी ने जहां एक तरफ पंजाब जोड़ो तथा पंजाब डायलॉग नामक कार्यक्रम शुरू किए थे, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने अपना अभियान पूरी तरह से कैप्टन अमरेन्द्र सिंह तक सीमित रखा। कैप्टन को लेकर कॉफी विद कैप्टन, हलके विच्च कैप्टन, कर्जा कुर्की खत्म, हर घर कैप्टन, मोबाइल कॉनैक्ट आदि कार्यक्रम चलाए गए। इसी कारण कांग्रेस को उम्मीद से ज्यादा सफलता मिली। चाहे कांग्रेस के बागी भी चुनाव मैदान में थे, परन्तु उनका इस बार असर नहीं हुआ।
कांग्रेस ने अंतिम समय में अकाली दल के कई विधायकों को तोड़ कर पार्टी में शामिल किया तो दूसरी तरफ नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी में लाया गया। आपणा पंजाब पार्टी के सुच्चा सिंह छोटेपुर की पार्टी चाहे इस बार अपना खाता खोलने में असफल रही परन्तु उसने आम आदमी पार्टी की छवि को धूमिल करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। छोटेपुर के खिलाफ हुए स्टिंग आप्रेशन के बाद उनको ‘आप’ से सस्पैंड कर दिया गया था। छोटेपुर ने राज्य के अनेकों भागों में जाकर ‘आप’ को पूरी तरह से डैमेज किया।