Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jun, 2017 07:41 AM
उत्तर भारत में मानसून की दस्तक में लगभग 2 हफ्ते का समय ही रह गया है और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के जद्दी शहर में बाढ़ कंट्रोल करने को लेकर तैयारी तो दूर अभी तक बड़ी नदी और जैकब ड्रेन तक की सफाई नहीं की गई।
पटियाला(राजेश, बलजिन्द्र) : उत्तर भारत में मानसून की दस्तक में लगभग 2 हफ्ते का समय ही रह गया है और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के जद्दी शहर में बाढ़ कंट्रोल करने को लेकर तैयारी तो दूर अभी तक बड़ी नदी और जैकब ड्रेन तक की सफाई नहीं की गई। यदि मौसम माहिरों की भविष्यवाणी सही साबित होती है तो निश्चित तौर पर प्रशासन की लापरवाही का खमियाजा पटियाला के लोगों को भुगतना पड़ सकता है। वर्णनीय है कि पटियाला शहर का काफी बड़ा हिस्सा ऐसा है जो एवरेज मानसून के दौरान भी बाढ़ की चपेट में आ जाता है।
औसत से थोड़ी अधिक बारिश ला सकती है तबाही
पटियाला शहर में औसत से थोड़ी ज्यादा बारिश होने की सूरत में बरसात का पानी पटियाला में तबाही मचा सकता है क्योंकि पटियाला शहर का काफी बड़ा अंदरूनी हिस्सा और काफी बड़ा बाहरी हिस्सा नीची जगह में है।
1 जून तक करनी होती है सफाई
आम तौर पर 1 जून तक बड़ी नदी, छोटी नदी और जैकब ड्रेन समेत मुख्य नालों की सफाई का काम पूरा कर लिया जाता है क्योंकि जून में 2 या 3 बार प्री-मानसून की तेज बारिश जरूर होती है और दूसरा उत्तर भारत समेत पंजाब में भी जून के अंतिम हफ्ते में मानसून दस्तक दे देता है, जिसमें सिर्फ 2 हफ्ते रह गए हैं।
वर्ष 1993, 1994 और 1988 में पटियाला में बाढ़ मचा चुकी है बड़ी तबाही
पटियाला में वर्ष 1993, 1994 और 1988 में पटियाला बाढ़ की चपेट में आ चुका है। उस समय पटियाला शहर में भारी तबाही हुई थी। उस समय भी बड़ी नदी और छोटी नदी में दरार पडऩे के कारण शहर में भारी मात्रा में बरसात का पानी भर गया था और अंदरूनी शहर राघोमाजरा और आसपास, तेज बाग कालोनी, गुरबख्श कालोनी, सनौरी अड्डा, गुरु नानक नगर, अर्बन एस्टेट आदि कई इलाके बुरी तरह पानी की चपेट में आ गए थे।
अधूरा प्रोजैक्ट भी बन सकता है बाढ़ का कारण
अकाली-भाजपा सरकार के समय का छोटी नदी को पक्का और कवर करने के लिए 13 करोड़ की लागत वाला प्रोजैक्ट अधूरा लटकना भी बाढ़ का कारण बन सकता है। इसकी तरफ भी प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।