Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Aug, 2017 11:23 AM
सरकारी जगह पर अवैध कब्जे के आरोप में बुल्डोजर चलने के खौफ में जी रहे चौड़ा बाजार के दुकानदारों को हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। इसके
लुधियाना (हितेश): सरकारी जगह पर अवैध कब्जे के आरोप में बुल्डोजर चलने के खौफ में जी रहे चौड़ा बाजार के दुकानदारों को हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। इसके तहत 4 अक्तूबर को होने वाली अगली सुनवाई तक कार्रवाई पर रोक लगाते हुए कोर्ट ने पहले हुए किराया वसूलने के फैसले को लेकर नगर निगम व सरकार से रिपोर्ट मांगी है।
यह है निगम के आरोप
निगम ने चौड़ा बाजार में दुकानों के बाहर सड़क की जगह में हुए निर्माण को सरकारी जगह पर अवैध कब्जे के आरोप में मार्क करके गिराने के नोटिस दिए हुए हैं। इससे बचने के लिए दुकानदारों द्वारा सियासी शरण में जाने पर जोनल कमिश्नर की अगुवाई में बनी अफसरों की कमेटी द्वारा दोबारा सुनवाई का मौका देने के बावजूद कोई राहत देने से इंकार कर दिया था। उसी के तहत निगम द्वारा लगातार बुल्डोजर चलाने की चेतावनी दी जा रही है।
यह है दुकानदारों की दलील
दुकानदारों का कहना है कि सभी परिसरों का एक जैसा फ्रंट करने के लिए उन्हें प्रशासन द्वारा ही 1972 में जगह दी गई थी। इसके लिए शैड व फुटपाथ बनाने पर आए 2.50 लाख के खर्च का भुगतान भी दुकानदारों ने किया। इसके बाद बकायदा एग्रीमैंट करके किराया भी वसूला गया। जो पैसा बाद में निगम ने लेना बंद कर दिया, जिसे वे देने के लिए तैयार हैं। इसके आधार पर उन्होंने कब्जाधारी मानकर होने वाली कार्रवाई से बचने के लिए कोर्ट की शरण ली।
इस तरह किया सरकार के फैसले को चैलेंज
इस मामले में निगम के जनरल हाऊस ने पिछले साल मार्च के दौरान दुकानदारों से पुराना बकाया किराया वसूलकर आगे के लिए जगह की लीज का एग्रीमैंट करने का फैसला किया था। इसमें यह भी लिखा गया कि जब जरूरत होगी, जगह खाली करवा ली जाएगी। लेकिन डायरैक्टर लोकल बॉडीज ने यह कहकर प्रस्ताव रद्द कर दिया कि सरकारी जगह पर हुए कब्जों को रैगुलर नहीं किया जा सकता है। यह बात उन्होंने मेयर द्वारा सिफारिश भेजने के बाद भी दोहराई। अब दुकानदारों ने सरकार के एक अन्य पत्र के जरिए ही उसके फैसले को चुनौती दी है कि निगम अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है और लोकल बॉडीज विभाग उसमें दखल नहीं दे सकता।
निगम ने पुलिस पर फोड़ा देरी का ठीकरा
चौड़ा बाजार में अतिक्रमणों पर कार्रवाई बारे कोर्ट द्वारा पहले जारी किए गए आदेशों पर अमल न होने का ठीकरा निगम ने पुलिस पर फोड़ दिया है। इस संबंधी खुद निगम कमिश्नर द्वारा दाखिल किए गए हलफनामे में कहा गया है कि बार-बार मांगने पर पुलिस ने फोर्स मुहैया नहीं करवाई। यहां तक कि पुलिस कमिश्नर से बात करने पर उन्होंने कानून-व्यवस्था की स्थिति सामान्य होने पर ही अवैध कब्जे हटाने की कार्रवाई में कोई मदद कर पाने की बात कही।
नहीं हल हो रही अवैध कब्जों की समस्या
चौड़ा बाजार में सड़क की जगह पर हुए पक्के निर्माण के अलावा एक समस्या दुकानदारों के बाहर होने वाले अस्थायी कब्जों की भी है। इसमें वहां लगने वाली रेहड़ी-फडिय़ां तो शामिल हैं ही, दुकानदारों द्वारा भी कई फुट बाहर तक सामान रखा जाता है। जिसे लेकर कोर्ट द्वारा पहले जारी आदेशों पर अमल के नाम पर ताबड़तोड़ कार्रवाई करके नो टोलरैंस जोन डिक्लेयर किया गया था। यहां तक कि सड़क की जगह पर पड़ा सामान जब्त करके चालान काटने व केस तक दर्ज करवाने की कार्रवाई भी हुई। लेकिन रैगुलर कार्रवाई होने के बावजूद हालात नहीं सुधर रहे।
14 साल पुराना है मामला
अवैध कब्जों से कार्रवाई का मामला 14 साल पुराना है। जब शिवपुरी नाले के किनारे बनी दुकानों को तोडऩे का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने के दौरान सारे शहर में सरकारी जगह पर हुए अवैध कब्जों का मुद्दा भी उठा। इसके तहत कोर्ट द्वारा जारी आदेशों पर तैयार हुई हजारों कब्जों की सूची पर अब तक अधूरी कार्रवाई ही हो पाई है जबकि कई जगह कब्जे हटाने के कुछ देर बाद दोबारा हो गए हैं। इन हालातों में निगम द्वारा सिर्फ कोर्ट केस की सुनवाई नजदीक आने पर कार्रवाई की दिशा में कदम बढ़ाया जाता है। इनमें से ज्यादातर बार तो विरोध या पुलिस फोर्स मिलने का बहाना बनाकर पैर पीछे खींच लिए जाते हैं।