Edited By Updated: 15 Dec, 2016 09:56 AM
पंजाब में विधानसभा चुनाव की घोषणा को कुछ ही वक्त बचा है। ऐसे में चुनाव आयोग की जमीनी स्तर पर क्या तैयारियां हैं और इस बार के चुनाव में वोटरों की सुविधा के अलावा स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव के लिए आयोग ने क्या-क्या योजनाएं बनाई हैं
जालंधर: पंजाब में विधानसभा चुनाव की घोषणा को कुछ ही वक्त बचा है। ऐसे में चुनाव आयोग की जमीनी स्तर पर क्या तैयारियां हैं और इस बार के चुनाव में वोटरों की सुविधा के अलावा स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव के लिए आयोग ने क्या-क्या योजनाएं बनाई हैं, इस बारे ‘पंजाब केसरी’ के संवाददाता रमनदीप सोढी ने देश के मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैद्दी से बातचीत की। पेश है पूरी बातचीत:
पंजाब में चुनाव कब हो सकते है?
उ. : फिलहाल हम जमीनी स्तर पर सुरक्षा तैयारियों और अन्य प्रबंधों का जायजा ले रहे हैं। इस वक्त मैं तिथि के बारे में कुछ नहीं बता पाऊंगा लेकिन पंजाब विधानसभा का कार्यकाल 19 मार्च, 2017 को समाप्त हो रहा है और इससे पहले आयोग ने चुनाव प्रक्रिया पूरी करनी है। लिहाजा चुनाव इससे पहले ही होंगे और नतीजा भी आ जाएगा।
पंजाब में क्या चुनौतियां हैं?
उ. : पंजाब भौगोलिक स्थिति के लिहाज से अन्य राज्यों से अलग है, क्योंकि पंजाब की सीमा अंतर्राष्ट्रीय बार्डर के साथ लगती है। इसके अलावा कई अन्य राज्यों की सीमाएं पंजाब से लगती हैं, जिसके चलते ड्रग्स व अपराधियों का आवागमन बड़ी चुनौती रहती है। पंजाब का इतिहास भी अपने आप में एक बड़ी चुनौती है क्योंकि इस राज्य ने आतंकवाद का सामना किया है। हाल ही में राज्य में कुछ कट्टरपंथी लोगों की गतिविधियां भी देखने में आई हैं। लिहाजा हर पहलू को ध्यान में रखकर शांतिपूर्ण तरीके से निष्पक्ष व स्वतंत्र चुनाव करवाना बड़ी चुनौती है लेकिन चुनाव आयोग इस चुनौती का जिम्मेदारी के साथ सामना करेगा और हम लोगों से स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव करवाने का वायदा करते हैं।
कितने सुरक्षा बलों की तैनाती होगी?
उ. : फिलहाल इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन जहां जरूरत होगी वहां
सुरक्षा बल तैनात किए जाएंगे। यह पूरी चुनावी प्रक्रिया का अहम हिस्सा है। लोगों में विश्वास बहाली के लिए अद्र्धसैनिक बलों का मार्च व तैनाती चुनाव प्रक्रिया के दौरान जरूरी है। आचार संहिता लागू होने के बाद पैट्रोङ्क्षलग, चैकपोस्ट बनाने के सारे काम अद्र्धसैनिक बल ही करते हैं। इसके बारे में गृह मंत्रालय के साथ बातचीत जारी है
संवेदनशील सीटों पर क्या तैयारी है?
उ. : हम पिछले चुनाव के व्यवहार, विधानसभा सीट पर उम्मीदवार की पृष्ठभूमि और लोगों के प्रभाव के अलावा सीट के इतिहास के आधार पर सीट की संवेदनशीलता तय करते हैं। ऐसे इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ-साथ चुनाव प्रक्रिया की वैब कास्टिंग की जाएगी। इसके अलावा हलके के ऐसे लोगों को राऊंडअप किया जा सकता है, जिनकी आपराधिक पृष्ठभूमि है। जेल से बाहर आए व्यक्तियों पर भी विशेष नजर रखी जाती है। चुनाव में किसी तरह की गड़बड़ी की इजाजत नहीं दी जाएगी।
असले को लेकर क्या कदम उठाए गए हैं?
उ. : पिछले कुछ समय में पंजाब में असला लाइसैंस की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। राज्य में 3.84 लाख लोगों के पास असले का लाइसैंस है। 2012 के चुनाव में 70 फीसदी लोगों ने हथियार जमा करवा दिए थे। उसके बाद 2014 में हुए चुनाव में भी 70 फीसदी से ज्यादा हथियार जमा हो गए थे। इस बार हमने लोगों को खुद-ब-खुद आगे आकर हथियार जमा करवाने की अपील की है और अब तक 55000 लोगों ने हथियार जमा करवा दिए हैं। चुनाव की घोषणा और आचार संहिता लागू होने के बाद इस काम में तेजी लाई जाएगी और एक विशेष टीम के जरिए लोगों के हथियार जमा करवाए जाएंगे। यह हमारे लिए बड़ी समस्या नहीं है।
नोटबंदी का चुनाव पर कितना असर होगा?
उ. : जाहिर सी बात है कि नोटबंदी का असर चुनाव पर भी होगा, क्योंकि पाॢटयों और उम्मीदवारों के पास नकद में पैसा नहीं है। नकदी का फ्लो कम होने के कारण चुनाव में पैसे का प्रभाव कम होगा लेकिन हमारी नजरें वोट के बदले शराब, ड्रग्स व गिफ्ट्स के आबंटन पर भी लगी हैं। कुछ स्थानों पर लोग उधार की पर्ची का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
विपक्ष की क्या शिकायतें रही हैं?
उ. : पंजाब में विपक्षी पाॢटयां निष्पक्षता और असामाजिक तत्वों के इस्तेमाल को लेकर ङ्क्षचतित हैं। चुनाव आयोग द्वारा किए गए राज्य के दौरे के दौरान भी इस तरह की ही शिकायतें सामने आई हैं। आयोग को बताया गया है कि सत्ताधारी पार्टी सरकारी मशीनरी के अलावा अपने संसाधनों का बेजा इस्तेमाल कर सकती है, लेकिन चुनाव आयोग ऐसा नहीं होने देगा। आयोग ने जमीनी स्तर पर वोटर रजिस्ट्रेशन प्रोसैस में लगे ऐसे कर्मचारियों को इस प्रक्रिया से हटा लिया है जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वह सरकार का सहयोग कर सकते हैं।
पंजाब में कितने वोटर बढ़े हैं?
उ. : सितम्बर में पंजाब में वोटरों का आंकड़ा 1.92 करोड़ था और आज की तारीख में यह आंकड़ा 1.97 करोड़ है। 3 महीने की अवधि में 5 लाख नए वोटरों ने रजिस्ट्रेशन करवाई है और इनमें से अढ़ाई लाख वोटर युवा हैं। यह सामान्य बात है।
गिल हलके में 40000 वोट बढऩे का क्या कारण है?
उ. : हम इसकी जांच करवाएंगे कि इसमें कहीं कोई घपलेबाजी तो नहीं है। यह सामान्य ग्रोथ नहीं है। यह जांच के बाद ही पता लगेगा कि वहां इतने वोटर कैसे बढ़ गए।
युवाओं को जोडऩे के लिए क्या किया जा रहा है?
उ. : युवा देश की रीढ़ हैं और उन्हें बढ़-चढ़कर चुनाव की इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिस्सा लेना चाहिए लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि बड़ी संख्या में युवा न तो वोट बनवाते हैं और न ही वोट के अपने हक का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे युवाओं को इस प्रक्रिया से जोडऩे के लिए युवाओं पर आधारित गतिविधियां की जा रही हैं। चुनाव आयोग स्थानीय प्रशासन के साथ जाकर कालेज कैम्पस में युवाओं को जागरूक कर रहा है और इसके अच्छे नतीजे भी आ रहे हैं। हमें उम्मीद है कि बड़ी संख्या में युवा इस कार्यक्रम के साथ जुड़ेंगे और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे।
सोशल मीडिया का इस्तेमाल किस तरीके से किया जाएगा?
उ. : आज के जमाने में सोशल मीडिया की ताकत बहुत बढ़ गई है। बड़ी संख्या में युवा वर्ग ट्विटर, फेसबुक व अन्य सोशल साइट्स के साथ जुड़ा है। चुनाव आयोग ने राज्यों के चुनाव आयोगों और जिला चुनाव अधिकारियों को ट्विटर व फेसबुक के अलावा यू-ट्यूब व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपने अकाऊंट्स खोलने के आदेश दिए हैं। इन अकाऊंट्स के जरिए चुनाव आयोग युवा वर्ग के साथ-साथ मध्य आयु वर्ग के वोटरों के साथ सीधा सम्पर्क स्थापित कर सकेगा। आने वाले चुनाव में आयोग बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करेगा।
बुजुर्गों व दिव्यांगों के लिए किस तरह की तैयारी की जा रही है?
उ. : चुनाव आयोग ने पहली बार बुजुर्गों व दिव्यांग वोटरों की पहचान की है। राज्य में 52,000 वोटर ऐसे हैं जो शारीरिक रूप से पूरी तरह सक्षम नहीं हैं। बूथ वाइज ऐसे वोटरों का डाटा तैयार कर लिया गया है। ऐसे वोटरों के नजदीक पडऩे वाले पोलिंग स्टेशनों पर दिव्यांगों को विशेष सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा बुजुर्गों को पोलिंग स्टेशन के अंदर ले जाने के लिए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। इसके अलावा पोलिंग बूथ पर बिजली-पानी सहित 7 सुविधाएं मुहैया करवाई जाएंगी, जिससे वोटरों को परेशानी न हो।
इस बार के चुनाव में तकनीक का किस तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है?
उ. : हमने इस पर काफी काम किया है और तकनीक का इस्तेमाल वोटर की सहूलियत के लिए किया जा रहा है। वोट की रजिस्ट्रेशन से लेकर वोट डालने तक के काम में वोटर को तकनीक का इस्तेमाल नजर आएगा। यदि किसी ने वोटर के तौर पर रजिस्ट्रेशन करवानी है तो वह नैशनल वोटर सॢवस पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकता है। नाम में बदलाव करवा सकता है। इसके अलावा बूथ तक की सारी जानकारी ऑनलाइन मुहैया करवाई गई है। वोटरों की सारी शिकायतें ऑनलाइन रजिस्टर्ड होंगी और उनका समाधान 24 घंटे के अंदर किया जाएगा। यह शिकायत मोबाइल के जरिए भी रजिस्टर्ड हो सकेगी। इसके अलावा पंजाब में पहली बार वी.वी. पैट तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके जरिए वोटर यह जान पाएगा कि उसने किस पार्टी अथवा उम्मीदवार के लिए वोट किया है। वोट कास्ट करते ही 7 सैकेंड के लिए वोटिंग मशीन के पास लगा वी.वी. पैट सैटअप वोटर को उम्मीदवार की फोटो, उसका रजिस्ट्रेशन नम्बर व अन्य जानकारी डिस्पले पर दिखा देगा।
वोटरों को सूची में गड़बड़ी के चलते पोङ्क्षलग स्टेशन पर परेशानी होती है, इसके लिए क्या किया गया है?
उ. : हाल ही में 5 लाख वोटर नए जुड़े हैं और यह सारा काम पारदर्शी तरीके से किया गया है। मैं जनता को अपील करना चाहता हूं कि वह अपना नाम वोटर सूची में जांच ले। सारी वोटर सूची चुनाव आयोग की वैबसाइट पर मौजूद है। जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह जनता की भी ड्यूटी है कि वह अपने नाम की खुद जांच करे और यदि उनका नाम मतदाता सूची में नहीं है तो संबंधित अधिकारी से मिलकर अपना नाम वोटर सूची में डलवाएं ताकि वोट करते समय उनको परेशानी न हो। यदि आपका नाम वोटर सूची में नहीं है तो कानून के मुताबिक आप वोट नहीं कर पाएंगे, फिर भले ही आपके पास वोटर आई.डी. कार्ड हो। चुनाव आयोग मतदान से एक हफ्ता पहले फोटो लगी वोटर स्लिप मुहैया करवाएगा, उसका इस्तेमाल भी मतदान केन्द्र के अंदर जाने के लिए पहचान पत्र के तौर पर हो सकता है। यदि आपका वोटर आई.डी. कार्ड नहीं मिल रहा है तो अन्य 11 तरह के पहचान पत्रों के साथ आप मतदान केन्द्र जा सकते हैं।