Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Jun, 2017 09:30 AM
मुझे इस बात की समझ नहीं आती कि कै. अमरेंद्र सिंह जस्टिस नारंग का बचाव करने ....
चंडीगढ़(रमनजीत): मुझे इस बात की समझ नहीं आती कि कै. अमरेंद्र सिंह जस्टिस नारंग का बचाव करने में पूरा जोर क्यों लगा रहे हैं। खासतौर पर जबकि यह साबित हो चुका है कि जस्टिस नारंग का बेटा राणा गुरजीत सिंह के परिवार का वकील रह चुका है। जस्टिस नारंग के बचाव में आकर कै. अमरेंद्र सिंह शुरू होने से पहले ही जांच को सरेआम प्रभावित कर रहे हैं।
‘रेत खनन मामले’ को मीडिया की देन कहकर कैप्टन ने पहले ही अपने आरोपी मंत्री राणा गुरजीत को क्लीनचिट दे दी है और कहा है कि उनका मंत्री जांच में से साफ निकलकर आएगा। पुख्ता सबूत होने के बावजूद यदि मुख्यमंत्री को अपने मंत्री के कामों पर इतना यकीन है तो फिर जांच के आदेश क्यों दिए? यह बात ‘आप’ विधायक व इस मामले में कांग्रेस सरकार एवं राणा गुरजीत को घेरने वाले सुखपाल सिंह खैहरा ने कही है।
खैहरा ने कहा कि सी.एम. के बयान से ऐसा महसूस होता है कि जस्टिस नारंग को ईमानदारी और साफ अक्स का प्रमाण पत्र देने वाले सी.एम. कै. अमरेंद्र सिंह ने जस्टिस नारंग के परिवार की ‘इंस्टीच्यूट ऑफ लॉ’ के लिए ‘गलत ढंग’ से करवाई गई अलॉटमैंट को अनदेखा कर दिया है। रिकार्ड के मुताबिक जस्टिस नारंग ने गलत ढंग से 2004 में चंडीगढ़ प्रशासन से 8 एकड़ बेशकीमती जमीन अपने दोनों पुत्रों ए.एस. नारंग और आर.एस. नारंग के नाम अलॉट करवाई थी जिसको जनहित याचिका (पी.आई.एल.) द्वारा चैलेंज किया गया था। उक्त अलॉटमैंट को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अप्रैल, 2004 को खारिज कर दिया था और फिर भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी 22 सितम्बर, 2014 को इसको खारिज कर दिया था। खैहरा ने कहा कि कै. अमरेंद्र सिंह की तरफ से जस्टिस नारंग और मंत्री राणा गुरजीत सिंह को सरेआम बचाने के किए जा रहे प्रयासों से लगता है कि कै. अमरेंद्र सिंह की भी रेत खदानों के इस मामले में कोई हिस्सेदारी है।