Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Dec, 2017 03:26 AM
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने शनिवार को दावा किया कि भारतीय सेना 1962 के भारत-चीन युद्ध से निपटने के लिए तैयार नहीं थी क्योंकि नई दिल्ली ने चीन की ओर से मंडरा रहे खतरे प्रति अपनी आंखें मूंद रखीं थीं। उन्होंने मौजूदा राजनीतिक प्रतिष्ठान से इस...
चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने शनिवार को दावा किया कि भारतीय सेना 1962 के भारत-चीन युद्ध से निपटने के लिए तैयार नहीं थी क्योंकि नई दिल्ली ने चीन की ओर से मंडरा रहे खतरे प्रति अपनी आंखें मूंद रखीं थीं।
उन्होंने मौजूदा राजनीतिक प्रतिष्ठान से इस बात को सुनिश्चित करने को कहा कि रक्षा बल पूरी तरह से तैयार रहें। उन्होंने देश की पूर्वी सीमा की तरफ से आक्रमण के नए संकेतों के मद्देनजर यह बात कही। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार वर्ष 1962 में भारत की अपमानजनक हार के लिए नई दिल्ली को जिम्मेदार ठहराते सिंह ने कहा, ‘‘नई दिल्ली में तब समूचा माहौल नकारने का था। स्पष्ट संकेतों के बावजूद कोई भी इस बात को मानने को तैयार नहीं था कि चीन की तरफ से हमला आसन्न था।’’
सैन्य साहित्य महोत्सव के समापन दिवस पर ‘भारत-चीन युद्ध 1962’ विषय पर परिचर्चा में सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि युद्ध इस तरह से समाप्त हुआ था, जैसे सबको इसके समाप्त होने की अपेक्षा थी। विज्ञप्ति के अनुसार उन्होंने पराजय के लिए सरकार की नीति और खुफिया तंत्र की कथित विफलता को जिम्मेदार ठहराया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत पर्याप्त तैयारी के साथ युद्ध में नहीं उतरा था। पूर्व में सैन्य अधिकारी रह चुके सिंह ने कहा, ‘‘दिल्ली में तब बैठे राजनीतिक आकाओं ने महत्वपूर्ण पदों पर अपनी पसंद के लोगों को बिठाया। यहां तक कि कोर कमांडर भी सरकार ने सक्षमता के आधार नहीं बल्कि निजी पसंद के आधार पर चुने। उन्होंने कहा कि यह अराजक परिद्दश्य था, जिसका अंत किसी की भी अपेक्षा के अनुसार ही हुआ। सिहं ने कहा कि उनकी सरकार कर्तव्य निर्वहन के दौरान शहीद या विकलांग हुए फौजियों के बच्चों की शिक्षा का खर्च वहन करने को तैयार है।