आंकड़ों में खुद को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बताने वाली BJP का पंजाब में सूर्य होने लगा अस्त

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Jan, 2018 09:27 AM

bjp punjab

आकंड़ों में खुद को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बताने वाली भाजपा का पंजाब में सूर्य अस्त होने लगा है। संगठन पर कमजोर पकड़ के कारण पार्टी का पंजाब में ग्राफ लगातार कमजोर होता जा रहा है। हालात तो यह बन गए हैं कि जिस पार्टी का देश भर में ग्राफ लगातार बढ़...

जालंधर(रविंदर शर्मा): आकंड़ों में खुद को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बताने वाली भाजपा का पंजाब में सूर्य अस्त होने लगा है। संगठन पर कमजोर पकड़ के कारण पार्टी का पंजाब में ग्राफ लगातार कमजोर होता जा रहा है। हालात तो यह बन गए हैं कि जिस पार्टी का देश भर में ग्राफ लगातार बढ़ रहा है, उसी पार्टी का ग्राफ सिर्फ पंजाब के नेताओं के कारण राज्य में लगातार गिरता जा रहा है। पंजाब में पार्टी अपने संविधान से धक्का करते हुए व्यक्तिवाद व परिवारवाद की तरफ चलने लगी है। हालात इस कदर पार्टी के लिए बुरे हो चुके हैं कि पार्टी चंद हाथों की कठपुतली बनकर रह गई है और संगठन लगातार कमजोर पड़ रहा है। अपने मन मुताबिक पार्टी को लेकर कानून बनाए जा रहे हैं।


संगठन इतना कमजोर पड़ चुका है कि जनता के बीच अपनी पैठ गंवाने लगा है और एक भी सशक्त चेहरा पंजाब में पार्टी को ऐसा नजर नहीं आ रहा है जिसके बल पर पार्टी को दोबारा खड़ा किया जा सके। पंजाब की जनता ने उस समय भाजपा को सिर आंखों पर बिठाया था, जब देश में भाजपा का राज नहीं था। 2007 में सत्ता सौंपने के बाद लोगों ने दोबारा विश्वास दिखाया और 2012 में फिर भाजपा को सत्ता सौंपी, मगर सत्ता के नशे में भाजपा के नेता इस कदर डूबे कि लगातार गलतियां करते चले गए और खुद को पंजाब में अकाली दल की बी टीम बनाकर रख दिया। अकाली दल के हाथों की कठपुतली बन चुके नेता जनता का दर्द तक भूल गए थे और पार्टी की विचारधारा तक को बड़े नेताओं ने छिके पर टांग दिया था। इसी बीच पार्टी ने प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन कर दलित नेता विजय सांपला को प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी।

जब से विजय सांपला के हाथ कमान आई, पार्टी संगठन लगातार कमजोर होता गया। पार्टी नेता जिम्मेदारियों से भागने लगे। हर जिले में गुटबाजी हावी होने लगी। ऐसे नेताओं को आगे कर दिया गया, जिन्हें जनता पसंद तक नहीं करती। पहले विधानसभा चुनाव में बुरी हार, फिर गुरदासपुर लोकसभा सीट को भी बड़े मार्जन से गंवा देना और अब तो नगर निगम चुनावों में पूरी तरह से सूपड़ा साफ होने से साफ संकेत चला गया कि पार्टी का नेतृत्व बेहद कमजोर हाथों में पहुंच चुका है। हार-दर-हार से पार्टी वर्कर बुरी तरह हताश हो चुका है। आगे कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा है। कुल मिलाकर नरेंद्र मोदी के मिशन 2019 को पंजाब भाजपा के नेता पूरी तरह से फ्लाप करने में जुटे हुए हैं। पिछले 20 साल से वही नेता पार्टी में हावी चल रहे हैं, जो अपनी मर्जी से वर्करों को इधर से उधर घुमा रहे हैं। पंजाब भाजपा का नैटवर्क पूरी तरह से नैक्सस में बदल चुका है।


सिख वोट बैंक खो दिया, हिंदू लाबी में आधार खोया
भाजपा के पास प्रदेश में एक भी सिख नेता ऐसा नहीं है, जो पार्टी का मजबूत चेहरा बन सके। यही कारण है कि सिख वोट बैंक को पार्टी पंजाब में पूरी तरह से खो चुका है वहीं जिस हिंदू वोट बैंक में पार्टी का आधार था, उस वोट बैंक को पार्टी पिछले समय में अपनी गलतियों से गंवा चुकी है। 

निगम चुनावों ने पार्टी की अंदरूनी लड़ाई उजागर की 
नगर निगम चुनावों में पार्टी की बुरी हार ने पार्टी के अंदर सुलग रही गुटबाजी व लड़ाई को पूरी तरह से उजागर कर रख दिया है। जिस तरह से अपनी ही पार्टी के नेताओं पर अपने प्रत्याशियों को हराने के आरोप लगे, उससे साफ 
हो गया है कि पंजाब भाजपा में सब कुछ अ‘छा नहीं चल रहा है।  

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