मुख्यमंत्री के दखल के बाद त्रिवेणी की जांच करेगी पुलिस

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Dec, 2017 03:25 PM

bathinda municipal corporation

पूर्व अकाली-भाजपा सरकार दौरान बठिंडा नगर निगम ने त्रिवेणी इंजीनियर एंड कंस्ट्रक्शन कम्पनी को लगभग 284 करोड़ में सीवरेज प्रणाली दुरुस्त करने व पेयजल की सप्लाई के लिए नई पाइपें डालने का ठेका दिया था। कम्पनी के कार्य से न तो कभी पार्षद खुश हुए और न ही...

बठिंडा(विजय): पूर्व अकाली-भाजपा सरकार दौरान बठिंडा नगर निगम ने त्रिवेणी इंजीनियर एंड कंस्ट्रक्शन कम्पनी को लगभग 284 करोड़ में सीवरेज प्रणाली दुरुस्त करने व पेयजल की सप्लाई के लिए नई पाइपें डालने का ठेका दिया था। कम्पनी के कार्य से न तो कभी पार्षद खुश हुए और न ही कभी नगर निगम ने उनके काम को सराहा। मेयर ने भी सरकार के पास कई बार इसकी शिकायत की लेकिन हमेशा पर्दा ही डाला गया। 8 महीने पहले पंजाब में कांग्रेस ने सत्ता संभाली व मंत्रियों ने पूर्व सरकार के दौरान दिए गए सभी प्रोजैक्टों की समीक्षा के लिए एक कमेटी भी गठित की जिसमें त्रिवेणी का नाम भी शामिल हुआ।

त्रिवेणी के कार्य से नाखुश निकाय मंत्री ने पहले भी इसकी जांच के निर्देश दिए थे, अब मुख्यमंत्री ने इसमें दखलअंदाजी करते हुए पुलिस को जांच का जिम्मा सौंपा। डी.एस.पी. सिटी दविंद्र सिंह त्रिवेणी द्वारा सब ठेकेदारों के पैसे हड़पने की जांच करेंगे। ठेकेदार कन्हैया लाल ने अपनी जमा-पूंजी खर्च कर त्रिवेणी के कई काम किए व पैसा देने में कम्पनी आनाकानी करने लगी तो उक्त ठेकेदार ने कम्पनी की जे.सी.बी., ट्रैक्टर सहित कुछ अन्य उपकरणों को कब्जे में ले लिया था लेकिन मेयर के दखल से डिप्टी मेयर गुरविंद्र कौर मांगट के नेतृत्व में पार्षदों सहित एक कमेटी गठित की थी जिन्होंने ठेकेदार व त्रिवेणी में लिखित समझौता करवाया। कुछ दिन तो ठीक से गुजरे लेकिन बाद में त्रिवेणी वायदे से मुकरी और केवल 25 लाख के आधे-अधूरे बिलों के दस्तावेज तैयार करवाए लेकिन दी फूटी कौड़ी भी नहीं। 

पीड़ित ठेकेदार ने इस संबंधी एस.एस.पी. बङ्क्षठडा सहित मुख्यमंत्री को पत्र लिखा जिसके चलते मुख्यमंत्री ने इस पत्र को गंभीरता से लेते हुए डी.जी.पी. पंजाब को निर्देश जारी कर जांच करने को कहा। डी.जी.पी. द्वारा एस.एस.पी. बङ्क्षठडा को जांच का जिम्मा सौंपा गया जिन्होंने डी.एस.पी.-1 दविंद्र सिंह की ड्यूटी लगाई जिन्होंने कहा कि उन्हें शिकायत मिल चुकी है व जांच शुरू कर दी गई है। बुधवार को पीड़ित ठेकेदार के बयान पुलिस ने कलमबद्ध किए व अगली कार्रवाई जारी रखी। गौर हो कि कुछ दिन पहले अन्य छोटे ठेकेदारों हाकम सिंह, सुखदेव सिंह, राजिंद्र कुक्कू ने मिलकर त्रिवेणी द्वारा बिलों का भुगतान न करने की एवज में उसके कार्यालय को ताला जड़ दिया था। इसके बाद कम्पनी ने तुरंत 50 लाख रुपए का इंतजाम कर ठेकेदारों का भुगतान भी किया। अब नगर निगम भी त्रिवेणी से पीछा छुड़वाना चाहता है जिसके लिए कार्रवाई शुरू कर दी है क्योंकि त्रिवेणी द्वारा दी गई तय सीमा खत्म हो गई जबकि अभी तक 60 प्रतिशत काम भी पूरा नहीं हुआ। शहर की नारकीय व्यवस्था के लिए त्रिवेणी पूर्ण रूप से जिम्मेदार है।  

निगम ने काम के बदले 5 करोड़ का भुगतान रोका : त्रिवेणी: त्रिवेणी के डी.जी.एम. वी.बी. शिवनागी कहते हैं कि उन्होंने ठेकेदार से काम करवाया है और उसके रुपए देने हैं लेकिन उसे नगर निगम की ओर से भुगतान नहीं दिया जा रहा है। उनके करीब 5 करोड़ रुपए के बिल लटके हुए हैं। 5 करोड़ रुपए और है जो काम लगभग फाइनल है उसके बिल जमा करवा दिए गए हैं लेकिन भुगतान नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि अगर निगम उनकी बकाया राशि का भुगतान कर देगी तो वह ठेकेदारों की पाई-पाई चुकता कर देंगे। 

 

त्रिवेणी को नहीं मिली एक्सटैंशन:  त्रिवेणी की डैडलाइन खत्म हो गई है। 18 दिसम्बर, 2017 तक त्रिवेणी के सभी काम पूरे कर लेने थे लेकिन बकौल कम्पनी फ्रंट (नक्शा-अप्रूवल आदि) नहीं मिलने के कारण काम पिछड़ गया। इसी के चलते कम्पनी पर साढ़े 7 करोड़ की पैनल्टी लगाई गई है। सीवरेज बोर्ड के एक्स.ई.एन. अश्वनी कुमार कहते हैं कि डैडलाईन खत्म होने के बाद कम्पनी ने 6 माह में प्रोजैक्टों को पूरा करने के लिए लिखकर प्लानिंग दी है। इसी के हिसाब से उनसे काम करवाया जा रहा है। प्रोजैक्ट को एक्सटैंशन नहीं मिली है। मामला स्थानीय निकाय सरकार के पास पैंडिंग है। 

100 करोड़ तक के कार्य अभी भी लंबित : जानकारी के अनुसार करीब 100 करोड़ रुपए के एेसे कार्य र्हं जिन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा, वह अभी लंबित पड़े हुए हैं। इनमें से कुछ के नक्शे नहीं बने, कुछ का फ्रंट फाइनल नहीं। बहुत से कामों में वन विभाग से लेकर पी.डब्ल्यू.डी., बी.एस.एन.एल. की एन.ओ.सीज भी पैंङ्क्षडग हैं। जिक्र योग्य है कि 1200 आर.सी.सी. राइजिंग मेन 12.5 किलोमीटर जो लसाड़ा ड्रेन तक बननी है 15 करोड़ का काम है। यह अभी 3.1 किलोमीटर ही बनी है। इसको लेकर गतिरोध है। लसाड़ा ड्रेन तक राइजिंग मेन डालने के लिए नक्शे के हिसाब से पहले से सभी फॉर्मैलिटीज पूरी होनी चाहिए थीं। इसी तरह 760 एम.एम. पी.टी.सी. वर्क सलेज कैरीयर से लेकर डबवाली रोड से गोनियाना रोड तक सीवरेज लाइन का प्रोजैक्ट बड़ा काम है। इस पर करीब 12 करोड़ की राशि खर्च होनी है। इसके अलावा 500 एम.एम. डी.आई. लाइन न्यू सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट (एस.टी.पी.) आदर्श नगर से चंदभान ड्रेन तक 16.5 किलोमीटर का प्रोजैक्ट महानगर का सबसे बड़ा प्रोजैक्ट है। 15 करोड़ लाइन के लिए और 6.5 करोड़ एस.टी.पी. पर खर्च होने हैं। इस तरह 21.5 करोड़ के उक्त प्रोजैक्ट के लिए नक्शा फाइनल नहीं। इसी तरह वाटर ट्रीटमैंट प्लांट (डब्ल.यू.टी.पी.) 2.5 करोड़, स्टोरेज एंड सैटीमैंटशन टैंक (एस.टी.एस. टैंक) 9.37 करोड़ आदि एेसे काम हैं जिन पर कम ध्यान दिया गया। अगर कम्पनी को एक्सटैंशन नहीं मिलती तो यह काम अधूरे रह जाएंगे। 

त्रिवेणी को जुर्माना हुआ 7.50 करोड़, वसूली केवल 50 लाख: त्रिवेणी को समय पर काम नहीं करने पर सीवरेज बोर्ड की तरफ से कागजों में लगाए 7.50 करोड़ रुपए जुर्माने में से सिर्फ 50 लाख रुपए की वसूली बोर्ड अभी तक कर पाया है। यह वसूली भी कम्पनी के बिलों में कटौती कर की गई है। वहीं इसके खिलाफ कम्पनी ने सीवरेज बोर्ड के एस.ई. के पास डाली अपील में इस जुर्माना कटौती को गलत बताया है। कम्पनी का कहना है कि सीवरेज बोर्ड की तरफ से प्रोजैक्ट के तहत जितना भी फं्रड उपलब्ध करवाया गया है, उसका 80 प्रतिशत काम पूरा कर दिया गया है जबकि दूसरी तरफ सीवरेज बोर्ड का तर्क है कि कम्पनी अपनी मनमर्जी से काम कर रही है, जो काम उसे करने के लिए दिया जा रहा है, उसे कर अन्य काम को पहले कर रही है जिस कारण प्रोजैक्ट के अहम कामों में देरी हो रही है। जुर्माने को लेकर दोनों विभाग आमने-सामने हैं। एस.ई. ने फिलहाल त्रिवेणी से वसूले जाने वाले बकाया 7 करोड़ रुपए पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!