Edited By Updated: 20 Feb, 2017 08:57 AM
विधानसभा चुनावों के तहत आचार संहिता लागू किए जाने के बाद बिना किसी उचित कारण के आटा-दाल योजना संकट में आ चुकी
जालंधर/अमृतसर (नीरज) : विधानसभा चुनावों के तहत आचार संहिता लागू किए जाने के बाद बिना किसी उचित कारण के आटा-दाल योजना संकट में आ चुकी है। आचार संहिता लागू होने के बाद फूड सप्लाई विभाग ने गरीबों को मिलने वाला गेहूं पर रोक लगा दी है, लेकिन यह रोक क्यों लगाई गई और किस के कहने पर लगाई गई, इसका कारण नहीं बताया, जबकि तथ्य यह है कि न तो चुनाव आयोग न ही जिला चुनाव अधिकारी और न ही फूड सप्लाई विभाग के उज्जाधिकारियों ने गेहूं का वितरण रोकने के आदेश दिए थे। फूड सप्लाई विभाग के इंस्पैक्टरों ने डिपुओं पर जाकर सैंकड़ों लोगों को गेहूं की पॢचयां दे दीं और बकायदा इसकी राशि भी लेकर सरकारी खजाने में जमा करवा दी गई, बाद में एक अप्रत्यक्ष आदेश आया कि गेहूं वितरण रोक दिया जाए, लेकिन अब जिन सैंकड़ों लोगों को गेहूं की पॢचां मिली हैं, वे डिपो होल्डरों व इंस्पैक्टरों से पूछताछ कर रहे हैं कि उनको गेहूं कब मिलेगी?
पंजाब के एडीशनल चीफ इलैक्टरोल अफसर मंजीत सिंह नारंग (आई.ए.एस.) से जब गेहूं वितरण रोकने संबंधी पूछा गया तो उन्होंने बिल्कुल स्पष्ट उत्तर देते हुए बताया कि चुनाव आयोग ने ऐसा कोई भी लिखित आदेश जारी नहीं किया है, जिसमें यह कहा गया हो कि गरीबों को मिलने वाले गेहूं पर रोक लगाई जाए, हां यह जरूर कहा था कि गेहूं वितरण के दौरान सत्ताधारी पार्टी का कोई नेता मौके पर नहीं होना चाहिए, ताकि विपक्षी दलों को यह न लगे कि गेहूं वितरण की आड़ में चुनाव प्रचार किया जा रहा है। आयोग ने कहा था कि फूड सप्लाई विभाग के अधिकारी व डिपो होल्डर गरीबों को मिलने वाला गेहूं बांट सकते हैं, यह कहीं भी नहीं कहा गया था कि गेहूं का वितरण ही रोक दिया जाए।