Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Oct, 2017 10:08 AM
अपरबारी दोआब नहर के किनारों की यदि समय रहते मुरम्मत न की गई तो किसी भी समय यह नहर तिबड़ी छावनी सहित अन्य इलाकों में टूट जाने से भारी तबाही मचा सकती है जिससे तिबड़ी पुल से नहर के किनारे काहनूवान जाने वाला पक्का रास्ता भी बंद हो जाएगा।
गुरदासपुर (विनोद): अपरबारी दोआब नहर के किनारों की यदि समय रहते मुरम्मत न की गई तो किसी भी समय यह नहर तिबड़ी छावनी सहित अन्य इलाकों में टूट जाने से भारी तबाही मचा सकती है जिससे तिबड़ी पुल से नहर के किनारे काहनूवान जाने वाला पक्का रास्ता भी बंद हो जाएगा।
जानकारी अनुसार अपरबारी दोआब नहर रावी दरिया माधोपुर से निकल कर सुजानपुर, सरना, भीमपुर, गाजीकोट, तिबड़ी पुल तक आती है, परंतु तिबड़ी पुल से यह नहर आगे विभाजित होकर 2 नहरें बन जाती हैं। एक नहर तो तिबड़ी पुल से बब्बेहाली, धारीवाल से आगे पाकिस्तान चली जाती है जबकि दूसरी नहर पुल तिबड़ी से आगे सठियाली से होते हुए जिला अमृतसर जाती है। वैसे तो माधोपुर से आगे कई स्थानों पर नहर के किनारों की हालत बहुत ही खस्ता है। कई स्थानों पर नहर किसी भी समय अधिक पानी आने से टूट सकती है, परंतु तिबड़ी पुल से सठियाली जाने वाली नहर के किनारों की हालत इतनी खराब है कि कुछ स्थानों से नहर व सड़क के बीच की दूरी तो बहुत कम हो गई है जबकि कुछ स्थानों से सड़क तक का हिस्सा नहर के साथ मिल चुका है, जो किसी भी समय खतरनाक स्थिति पैदा कर सकता है।जिस तरह से यह नहर के किनारे खस्ताहाल में हैं, उसके साथ ही विशाल तिबड़ी छावनी लगती है तथा कई गांव भी लगते हैं। यदि यहां से नहर का किनारा टूट जाता है तो निश्चित रूप में पानी सर्वप्रथम तिबड़ी छावनी में प्रवेश करेगा क्योंकि नहर के साथ-साथ तिबड़ी छावनी लगती है। अधिकारियों को इस संबंधी सारी जानकारी होने के बावजूद विभाग कुछ नहीं कर रहा।
क्या कहते हैं संबंधित विभाग के अधिकारी : इस संबंधी नहरी विभाग के अधिकारियों से जब बात की गई तो उनका जवाब बहुत ही हैरान करने वाला था। इन अधिकारियों ने अपना नाम गुप्त रखने के आश्वासन पर बताया कि नहरों के किनारों की हालत संबंधी नीचे से लेकर ऊपर तक सबको जानकारी है। समय-समय पर इस संबंधी रिपोर्ट तथा रिपेयर लागत अनुमान सरकार को भेजे जाते हैं, परंतु कई सालों से नहरों के किनारों की मुरम्मत संबंधी एक पैसा भी जारी नहीं किया गया। नहरों के किनारों की देखभाल करने वाले बेलदारों की संख्या भी बहुत कम हो चुकी है। जो बेलदार सेवामुक्त हो जाता है, उसके स्थान पर नई भर्ती नहीं की जाती। मनेरगा स्कीम अधीन भी दिहाड़ी रेट कम होने के कारण मजदूर नहीं मिलते। जो बेलदार इस समय नौकरी कर रहे हैं,वे नहरों के किनारों की मुरम्मत करने को तैयार नहीं हैं क्योंकि वे मोटर साइकिलों पर आते हैं तथा उन्हें कस्सी चलाना तक नहीं आता। अधिकतर बेलदार अधिकारियों के निवास पर काम करते हैं, इसलिए मुरम्मत कार्य प्रभावित हो रहे हैं। जैसे ही फंड उपलब्ध होंगे तो प्राथमिकता पर मुरम्मत करवाई जाएगी। उन्होंने स्वीकार किया कि तिबड़ी छावनी के साथ लगते नहर के किनारों की मुरम्मत बहुत जरूरी है।