Edited By Updated: 15 Feb, 2017 01:50 PM
विधानसभा चुनावों में शिरोमणि अकाली के अध्यक्ष तथा क्षेत्रीय उम्मींदवार सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ सांसद शेर सिंह घुबाया द्वारा खुलकर विरोधता करने के बावजूद वर्तमान समय अंदर अकाली दल द्वारा घुबाया के खिलाफ नोटिस जारी नहीं किया
जलालाबाद (सेतिया) : विधानसभा चुनावों में शिरोमणि अकाली के अध्यक्ष तथा क्षेत्रीय उम्मींदवार सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ सांसद शेर सिंह घुबाया द्वारा खुलकर विरोधता करने के बावजूद वर्तमान समय अंदर अकाली दल द्वारा घुबाया के खिलाफ नोटिस जारी नहीं किया गया जबकि इससे पहले सुखबीर सिंह बादल द्वारा चुनावों पार्टी की विरोधता करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करके पार्टी में से बाहर का रास्ता दिखाया गया है।
बता दे कि घुबाया काफी समय से शिरोमणि अकाली दल से नराज चल रहे थे और पार्टी के अंदर सुनवाई न होने के कारण उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के समक्ष अपना पक्ष भी रखा लेकिन दूसरी ओर घुबाया के रोष को सुखबीर बादल की तरफ से गंभीरता से नहीं लिया गया और चुनावों दौरान भी घुबाया को मनाने की कोशिश नहीं की गई । परिणाम स्वरूप शेर सिंह घुबाया ने पहले जहां अपने बेटे दविंदर घुबाया को कांग्रेस में शामिल करवाया वहीं बाद में अनाज मंडी में हुई राहुल गांधी की रैली दौरान उनकी दो बेटियां और एक बेटा भी कांग्रेस में शामिल हो गए। यही नहीं सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक वीडियो के मामले में भी शेर सिंह घुबाया ने रवनीत सिंह बिट्टू के साथ मिलकर प्रैस कांफ्रैंस कर इसके पीछे पार्टी प्रधान को ही जिम्मेवार ठहराया। इस कांफ्रैंस के बाद ऐसा लग रहा था कि शिरोमणी अकाली दल द्वारा उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा परंतु चुनाव हो जाने के बाद भी शिरोमणि अकाली दल की कोर कमेटी द्वारा शेर सिंह घुबाया के खिलाफ कोई नोटिस नहीं लिया गया।
इस संबंधी जब शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा के साथ बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि कोर कमेटी में राज्य के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों के अंदर पार्टी की विरोधता करने वालों के खिलाफ 15 दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी गई है और कुछ स्थानों पर कार्रवाई करते हुए विरोधता करने वालों को बाहर का रास्ता भी दिखाया जा चुका है लेकिन जब शेर सिंह घुबाया के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस संबंधी फैसला सुखबीर सिंह बादल ने लेना है।
भले ही शिरोमणि अकाली दल शेर सिंह घुबाया के मामले में कार्रवाई को लगातार लटकाया जा रहा है लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि जहां अकाली दल द्वारा विरोधता करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है तो वहीं सुखबीर सिंह बादल जो कि पार्टी प्रधान हैं और उनकी विरोधता करने वाले सांसद घुबाया के मामले में कार्रवाई लटक जाना आम लोगों के लिए सवाल पैदा करता है।