Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Sep, 2017 10:13 AM
शहर में कूड़े के ढेर अपना दायरा बढ़ाते जा रहे हैं। आलम यह है कि हर गली-मोहल्ले, सड़क, नैशनल हाईवे व फ्लाईओवरों के नीचे जहां
जालंधर (बुलंद): शहर में कूड़े के ढेर अपना दायरा बढ़ाते जा रहे हैं। आलम यह है कि हर गली-मोहल्ले, सड़क, नैशनल हाईवे व फ्लाईओवरों के नीचे जहां देखो कूड़े के ढेर लगे दिखाई देते हैं जिसके चलते शहर की हवा प्रदूषित होती जा रही है। बढ़ते वायु प्रदूषण से जिंदगी खतरे में पड़ती जा रही है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की मानें तो इसके लिए नगर निगम जिम्मेदार है जो आज तक शहर के कूड़े की निकासी का कोई प्रबंध नहीं कर पाया।अब तो कूड़ा इस स्तर तक बढ़ चुका है कि वरियाणा कूड़ा डम्प में कूड़ा फैंकने के लिए जगह ही नहीं बची। यहां तक कि कूड़ा ढोने वाली निगम की गाडिय़ां वरियाणा डम्प में दाखिल नहीं हो पा रहीं। यही नहीं, कूड़ा बरसात के पानी से सीवर में पहुंच रहा है जिससे शहर के अधिकतर सीवरेज जाम हो रहे हैं और लोगों के लिए जीना दुश्वार हो चुका है।
वायु प्रदूषण संबंधी खतरनाक आंकड़े
वायु प्रदूषण से संबंधित आंकड़े हैरान करने वाले हैं। केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा वायु प्रदूषण के पैमाने को मापने के लिए बनाया गया राष्ट्रीय स्तर का (एम्बीएंट क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशन) दिल्ली में लगाया गया है, जहां पल-पल का वायु प्रदूषण मापा जाता है। पंजाब में वायु प्रदूषण को मापने के लिए एम्बीएंट क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशन सिर्फ अमृतसर, लुधियाना व मंडी गोबिन्दगढ़ में हैं। सी.पी.सी.बी. पंजाब के इन्हीं 3 शहरों का वायु प्रदूषण डाटा प्रकाशित करती है, इसलिए जालंधर के वायु प्रदूषण डाटा की रोकााना की नहीं महज महीनावार रिपोर्ट ही प्राप्त हो पाती है। जालंधर में वायु प्रदूषण मापने के मैनुअल स्टेशन 4 जगह लगाए गए हैं। ये चार स्थान फोकल प्वाइंट, पी.डब्ल्यू.डी. रैस्ट हाऊस (जी.टी.बी. नगर), ई.एस.आई. अस्पताल व नगर निगम मुख्यालय ऐसे स्थान हैं, जहां शहर का वायु प्रदूषण मापने के लिए मशीनें लगाई गई हैं। यहां से जो महीनावार डाटा प्राप्त हुआ है उससे पता चलता है कि हम कितने प्रदूषित वातावरण में जीवन बिता रहे हैं। आर.एस.पी.एम. अगर 60 से ज्यादा हो तो खतरनाक होता है परन्तु अगस्त माह में अलग-अलग वायु प्रदूषण माप कें द्रों में यह कितना पाया गया, यह आपके सामने है। जानकारों की मानें तो यह बेहद खतरनाक है। इसी प्रकार नाईट्रोकान ऑक्साइड और सोडियम ऑक्साइड भी खतरे के निशान के करीब हैं।
वाहन प्रदूषण चैक सैंटरों की अपडेशन जरूरी : इंजीनियर अरुण कक्कड़
मामले बारे जिला वातावरण अधिकारी अरुण कक्कड़ का कहना है कि वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वाहनों से निकलने वाले धुएं से वातावरण में हाइड्रो कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड,नाइट्रोजन ऑक्साइड व सल्फर डाई ऑक्साइड जैसी गैसें वातावरण को बेहद नुक्सान पहुंचाती हैं इसलिए वाहनों की समय-समय पर प्रदूषण जांच करवाई जानी बेहद जरूरी है। इसके लिए जालंधर में 55 प्रदूषण चैक सैंटरों को ट्रांसपोर्ट विभाग की इजाकात से ट्रैफिक पुलिस ने सर्टीफिकेट जारी किए हुए हैं परन्तु इन प्रदूषण सैंटरों पर नियमों की धज्जियां उड़ती आम देखी जा सकती हैं। नियमों के अनुसार प्रदूषण जांच मशीन की रोजाना कैलिब्रेशन करनी चाहिए जिसके लिए टैक्नीकल कर्मचारी की नियुक्ति अनिवार्य है परंतु न तो अधिकतर मशीनों की कैलिब्रेशन ही रोका होती है और न ही इनके लिए टैक्नीकल कर्मचारी नियुक्त हैं। ऐसे में सिर्फ 50-100 रुपए बटोरने की दौड़ लगी होती है तथा वाहनों का प्रदूषण सही तरीके से चैक नहीं हो पाता। कक्कड़ का कहना है कि ट्रैफिक अधिकारियों को रोजाना प्रदूषण चैक सैंटरों की जांच करनी चाहिए।
लोग खुद जागरूक हो तभी रुकेगा प्रदूषण : इंजीनियर बहल
मामले बारे एस.ई. इंजी. संदीप बहल का कहना है कि लोगों को खुद जागरूक होना पड़ेगा, तभी शहर से कूड़ा कम होगा और वातावरण स्वच्छ होगा। बहल का कहना है कि लोग अपने घरों, दुकानों व कारखानों में पौधे लगाएं व उनकी सार-संभाल करें व आसपास सफाई रखें। उन्होंने नगर निगम अधिकारियों से अपील की कि शहर के कूड़े की निकासी का उचित प्रबंध किया जाए। जहां कूड़े का डम्प हो वहां आसपास दीवार बनवाई जाए ताकि कूड़े की बदबू व गंदगी सड़कों पर न फैल सके। कूड़े को आग लगानी बंद की जाए ताकि हवा प्रदूषित न हो, तभी शहर को प्रदूषण-मुक्त किया जा सकेगा तथा सांस लेने के लिए साफ हवा मिल पाएगी।