Edited By Updated: 28 Apr, 2017 12:17 PM
अंग्रेजी नहीं अाएगी तो पंजाब के सरकारी विभागों में काम नहीं होगा ये बात हम नहीं इस मामले में देखने को मिला। दरअसल घटना कपूरथला के एक गांव से संबंधित है जिसमें मां-बाप अपने बेटे के शव के इंतजार में बैठे हैं।
कपूरथलाः अंग्रेजी नहीं अाएगी तो पंजाब के सरकारी विभागों में काम नहीं होगा ये बात हम नहीं इस मामले में देखने को मिला। दरअसल घटना कपूरथला के एक गांव से संबंधित है जिसमें मां-बाप अपने बेटे के शव के इंतजार में बैठे हैं। परिजनों अनुसार पंजाबी में अावेदन देने के कारण फाईल का काम लटका हुअा है।
मृतक जगतार सिंह के किसान पिता जोगिंदर सिंह (76) ने कहा कि सात साल पहले उसका छोटा बेटा जगतार सिंह (32) रोजी रोटी के लिए इटली गया था। यहां पर गांव में उसकी पत्नी रुपिंदर कौर (31) और जुड़वा बच्चे बेटी दिलजीत कौर और बेटा सहजप्रीत सिंह (9) रह रहे हैं। बूढ़े पिता ने बताया कि 12 अगस्त 2016 को जगतार सिंह 15 दिन के लिए गांव आया था लेकिन वह 24 अगस्त को वापिस चला गया। 26 अगस्त 2016 को उसके साले जगमोहन सिंह ने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी। जबकि उसकी मौत के बारे में पता उन्हें एक हफ्ते के बाद लगा था।
जोगिंदर सिंह ने बताया कि जगतार सिंह के सिर पर ही घर चलता था। उसकी चार किल्ले भूमि है, जिसका वार्षिक ठेका 80 हजार रुपए आता है। बड़ा बेटा मुख्यतार सिंह नशे का आदी है, जो कोई काम-धंधा नहीं करता है और पिछले दो माह से उसका कपूरथला के एक नशा छुड़ाओ केंद्र में ईलाज चल रहा है।
उसने कहा कि उसकी आय का कोई साधन नहीं है। दोनों बेटों का घर वह अकेला चला रहा है। उसकी जिंदगी नरक हो चुकी है। जगतार सिंह की बूढ़ी मां गुरबचन कौर (65) बीमार है और उसकी दवा चल रही है। उनकी आंखें तो बस अब जगतार के हत्यारों को अधिक से अधिक सजा और उसका आखिरी बार मुंह देखने को तरस रही हैं।
जानकारी के अनुसार, 26 अगस्त, 2016 को चार व्यक्तियों ने जगतार की हत्या कर दी थी जिसके बारे में 1 सितंबर को परिवार को पता चला। वे मृतक बेटे का शव लाने के लिए अपने स्तर पर कोशिश कर रहे थे, लेकिन खर्चा लाखों में होने की वजह से वह असमर्थ रहे। फिर वह गांव की सरपंच बूह रुपिंदर कौर और बच्चों को साथ लेकर डी.सी. से मिले। उसके बाद 3 जनवरी 2017 को जिला प्रशासन से वित्तीय सहायता के लिए आवेदन किया। 17 जनवरी को राज्य सरकार की ओर से पत्र वापिस डी.सी. दफ्तर भेज दिया गया। राज्य सरकार की आपत्ति थी कि यह पत्र अंग्रेजी के बजाय पंजाबी भाषा में भेजा गया था। परिवार ने फिर से अंग्रेजी में एक नया आवेदन प्रस्तुत किया और 21 फरवरी को पंजाब सरकार को आगे बढ़ाया। कार्यकारी उपायुक्त (डीसी) दीप्ती उप्पल ने कहा, "हमने आवेदन भेजे हैं लेकिन अभी तक हमें सरकार से कोई जवाब नहीं मिला है। जैसे ही सूबा सरकार की ओर से आदेश मिलेंगे, उसके बाद जगतार के शव को भारत लाने के प्रयास तेज किए जाएंगे।