Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Aug, 2017 11:32 AM
: एक तरफ जहां पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा है तो दूसरी तरफ 1965 व 1971 के भारत-पाक जंग के 54 भारतीय जंगी कैदी आज भी पाकिस्तान की जेलों में बंद हैं।
बी.एस.एफ. का जवान सुरजीत सिंह पिछले 44 वर्षों से पाकिस्तान की जेल में कैद है, लेकिन भारत सरकार...
अमृतसर (नीरज): एक तरफ जहां पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा है तो दूसरी तरफ 1965 व 1971 के भारत-पाक जंग के 54 भारतीय जंगी कैदी आज भी पाकिस्तान की जेलों में बंद हैं।
बी.एस.एफ. का जवान सुरजीत सिंह पिछले 44 वर्षों से पाकिस्तान की जेल में कैद है, लेकिन भारत सरकार है कि अपने इस जवान को बचाने के लिए कोई सख्त प्रयास नहीं कर रही है। उसका परिवार कई वर्षों से उसे रिहा करवाने के प्रयास कर रहा है, यहां तक कि जंतर-मंतर पर धरना भी दे चुका है लेकिन फिर भी उसकी रिहाई नहीं हो रही है।
जानकारी के अनुसार बी.एस.एफ. का जवान सुरजीत सिंह गांव टहना फरीदकोट का रहने वाला है। उसका बैच नंबर 66577672 है और वह बी.एस.एफ. की 57वीं बटालियन में तैनात था। जब वह सांबा सैक्टर में ड्यूटी कर रहा था तो उस समय भारत-पाक जंग के दौरान पाकिस्तानी सेना ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। आज तक उसे न तो रिहा किया गया है और न ही पाकिस्तान ने उसके जीवित होने की पुष्टि की है।
सुरजीत सिंह के बेटे अमरीक सिंह ने बताया कि उसे अपने पिता के जिंदा होने की खबर तब मिली, जब 4 जुलाई 1984 को सतीश कुमार मरवाहा निवासी बस्ती टंका वाली फिरोजपुर पाकिस्तान की जेलसे रिहा होकर भारत आया। सतीश कुमार ने बताया कि सुरजीत सिंह वर्ष 1973 से लेकर 1984 तक उसके साथ ही पाकिस्तान की कोटलखपत जेल में कैद था और वे दोनों इकट्ठे थे।
जगजीत सिंह निवासी कपूरथला भी जब वर्ष 2004 में पाकिस्तान से रिहा होकर भारत आया तो उसने भी सुरजीत सिंह के जीवित होने की पुष्टि की। इतना ही नहीं, पाकिस्तान में 24 वर्ष सजा काटने के बाद गोपाल दास जब रिहा होकर भारत आया तो उसने बताया कि सुरजीत सिंह कोटलखपत जेल में कैद था लेकिन अब उसे किसी दूसरी जेल में शिफ्ट कर दिया गया है।
सुरजीत सिंह के बेटे अमरीक ने बताया कि वे अपने पिता की रिहाई के लिए जंतर-मंतर पर धरना भी दे चुके हैं।
इतना ही नहीं, अटारी बार्डर पर बी.एस.एफ. व पाकिस्तान रेंजर्स के बीच होने वाली बैठक में भी सुरजीत सिंह का मुद्दा बी.एस.एफ. के अधिकारियों ने उठाया था, लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने सुरजीत संबंधी कोई भी दस्तावेज नहीं दिए उल्टा पाकिस्तानी अधिकारी यह बोल रहे हैं कि सुरजीत नाम का कोई भी व्यक्ति उनकी जेल में नहीं है। आज सुरजीत का परिवार इस बात से बेहद खफा है कि सुरजीत सिंह को रिहा करवाने के लिए भारत सरकार ने उतने गंभीर प्रयास नहीं किए जितने करने चाहिए थे। उनका मानना है किभारत सरकार अपने सैनिकों का योग्य सम्मान नहीं कर रही है।इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में पहुंचाना चाहिए था, लेकिन
सरकार ने ऐसा नहीं किया है।
54 जंगी कैदियों की भी नहीं की रिहाई
पाकिस्तान की जेल में सिर्फ बी.एस.एफ. का जवान सुरजीत स्ंिाह ही नहीं बल्कि भारत-पाक जंग 1965 व 1971 के 54 जंगी कैदी भी हैं जिनके जीवित होने संबंधी समय-समय पर उनके परिवारों को सूचना मिलती रही लेकिन पाकिस्तान की सरकार ने भारतीय जंगी कैदियों को आज तक रिहा नहीं किया है। यहां तक कि भारतीय कैदियों के जीवित होने से ही मना कर दिया है। सैनिक रामदास व सैनिक मंगल स्ंिाह का परिवार आज भी उनके वापिस लौटने का इंतजार कर रहा है। इन परिवारों को उम्मीद है कि एक न एक दिन रामदास व मंगल सिंह वापिस लौट कर जरूर आएंगे। यह मामला इस समय सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है और केन्द्र सरकार की इसमें खिंचाई हो रही है। भारतीय सैनिकों के परिवार केन्द्र सरकार से सख्त नाराज हैं क्योंकि सरकार ने अपने जंगी कैदियों की रिहाई के लिए उचित कदम नहीं उठाए।