Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Sep, 2017 07:27 PM
सुनने में भले ही विश्वास न हो लेकिन आंकड़े बताते हैं कि पंजाब में सड़क हादसों में गत दस वर्षों ...
चंडीगढ़: सुनने में भले ही विश्वास न हो लेकिन आंकड़े बताते हैं कि पंजाब में सड़क हादसों में गत दस वर्षों में लगभग 40 हजार लोग अकाल की मौत के मुंह में समा गए। आतंकवाद से लंबे समय से त्रस्त रहे इस राज्य में आतंकी घटनाओं में जितने लोग मारे गए उससे दुगुने से भी ज्यादा लोगों ने गत दस वर्षों में सड़कों पर दम तोड़ दिया। राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य की सड़कें औसतन पांच हजार लोगों को हर वर्ष लील जाती हैं इनमें लगभग आधे लोग वाहनों की तेज गति का शिकार हो रहे हैं।
सड़क हादसों में इतनी बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने को उच्चतम न्यायालय ने भी गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को रोडवेज और वाणिज्यिक वाहनों में स्पीड गर्वनर लगाने के आदेश दिए थे जिस पर राज्य की पिछली सरकार में इस पर काम भी शुरू हो गया था लेकिन मौजूदा सरकार में इस पर ब्रेक लग गई है ऐसे में जब परिवहन विभाग स्वयं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के पास है।
परिषद् के सदस्य डा. कमल सोई ने हाल ही में यहां पत्रकारों से बातचीत में हादसों में मारे जाने वाले लोगों के आंकड़े साझा करते हुए कहा था राज्य सरकार का इसके प्रति उपेक्षित रवैया समझ से परे और दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने सरकार को यह चेतावनी भी दी थी कि अगर उसने स्पीड गवर्नर लगाने का काम पुन: शुरू नहीं किया तो वह इसे लेकर अदालत में अवमानना की याचिका दायर करेंगे।